संदर्भ:
पशु कल्याण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, ग्रामीण वाराणसी की तीन गौशालाएं — मधुमखिया, बंदेपुर और भितकुरी — गुणवत्ता प्रबंधन के लिए ISO 9001:2015 प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाली उत्तर प्रदेश की पहली गौशालाएं बन गई हैं।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य

- यह प्रमाणन पशुओं की देखभाल, पोषण, स्वच्छता और समग्र प्रबंधन में उत्कृष्टता को मान्यता देता है, जो कि पशु संरक्षण और गौशाला प्रबंधन को बेहतर बनाने के प्रति उत्तर प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- जिले की कुल 40 गौशालाओं में से इन तीन को एक समग्र प्रबंधन रणनीति के तहत लक्षित विकास के लिए चुना गया।
- विकास कार्य दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ किया गया, जिससे गौशालाएं अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतर सकीं। बाहरी मूल्यांकन के बाद ISO प्रमाणन प्रदान किया गया।
- पायलट परियोजना के तहत, इन गौशालाओं में पोषण स्तर में सुधार, गर्मी प्रतिरोधी संरचनाएं और सशक्त निगरानी प्रणाली जैसे उन्नयन किए गए।
- पायलट परियोजना के तहत उन्नत गौशालाओं की विशेषताएं:
- पोषण में सुधार के तहत पशुओं को पारंपरिक चारे के साथ-साथ प्रोटीन युक्त साइलज भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
- पशुओं को अत्यधिक मौसम से बचाने के लिए पंखे, कूलर, जल छिड़काव प्रणाली, टिन शेड और मिस्ट स्प्रे के साथ हरे पर्दे लगाए गए हैं।
- सख्त स्वच्छता मानकों का पालन किया जा रहा है और स्वच्छ पेयजल की सतत आपूर्ति सुनिश्चित की गई है।
- गौशालाएं निरंतर निगरानी में हैं, जिसे मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी और खंड विकास अधिकारी द्वारा नियंत्रित सीसीटीवी कंट्रोल रूम से मॉनिटर किया जाता है।
- पशु चिकित्सा कर्मचारियों की उपस्थिति को GIS तकनीक से ट्रैक किया जा रहा है ताकि उत्तरदायित्व सुनिश्चित हो सके।
- बीमार पशुओं के लिए विशेष बाड़े भी बनाए गए हैं।
- पायलट परियोजना के तहत उन्नत गौशालाओं की विशेषताएं:
- भितकुरी गौशाला में अतिरिक्त सतत उपाय जैसे वर्मी कम्पोस्टिंग और बायोगैस उत्पादन की शुरुआत की गई है।
- सरकार की इस पहल का उद्देश्य न केवल सड़कों पर आवारा पशुओं की समस्या को हल करना है, बल्कि उन्हें एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण भी प्रदान करना है।
- ये ISO प्रमाणित गौशालाएं अब राज्य भर की अन्य गौशालाओं के लिए उदाहरण बनेंगी और पारदर्शी व उच्च गुणवत्ता वाले पशु प्रबंधन के नए मानक स्थापित करेंगी।