संदर्भ: उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया है कि कई प्रगतिशील किसानों ने मक्का की खेती को अपनाया है क्योंकि यह आर्थिक रूप से लाभकारी है, कम पानी की आवश्यकता होती है और पोषण से भरपूर है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- मक्का के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹2,225 प्रति क्विंटल घोषित किया गया है।
- सरकार का लक्ष्य वर्ष 2027 तक उत्तर प्रदेश में मक्का उत्पादन को दोगुना करना है।
- किसानों को जागरूक किया जा रहा है, तकनीकी सहायता दी जा रही है और MSP के माध्यम से उचित मूल्य सुनिश्चित किया जा रहा है।
- मक्का कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और खनिजों से भरपूर होता है, इसीलिए इसे “अनाजों की रानी” कहा जाता है।
- तमिलनाडु मक्का उत्पादन में अग्रणी है, जहां औसत उपज 59.39 क्विंटल/हेक्टेयर है, जबकि राष्ट्रीय औसत 26 क्विंटल है।
- उत्तर प्रदेश की औसत उपज 2021–22 में 21.63 क्विंटल/हेक्टेयर रही, जिससे इसमें सुधार की काफी गुंजाइश है।
मक्का की खेती के बारे में:
- मिट्टी: अच्छी जलनिकासी वाली बलुई दोमट से सिल्टी दोमट मिट्टी मक्का के लिए उपयुक्त है।
- जलभराव मक्का के लिए हानिकारक होता है, खासकर खरीफ में, इसलिए अच्छी ड्रेनेज व्यवस्था जरूरी है।
- गंगा के मैदानों की जलोढ़ मिट्टी मक्का के लिए विशेष रूप से अनुकूल मानी जाती है।
- खरीफ मौसम: उत्तर भारत में मक्का की मुख्य फसल का समय है।
- दक्षिण भारत: यहाँ मक्का अप्रैल से अक्टूबर के बीच कभी भी बोई जा सकती है।
- अंकुरण के लिए तापमान: लगभग 21°C और बढ़वार के लिए 32°C उपयुक्त है।
- क्षेत्रवार बुवाई का समय:
- उत्तर-पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्र: अप्रैल से मई की शुरुआत
- उत्तर-पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र: अप्रैल–मई
- दक्षिण भारत (पेनिन्सुला): मई–जून
- गंगा के मैदानी क्षेत्र: जून–जुलाई
- यह समय भारी वर्षा से पहले फसल की प्रारंभिक वृद्धि सुनिश्चित करता है
- पानी की आवश्यकता: मक्का की पूरी फसल अवधि में लगभग 500–600 मिमी पानी की जरूरत होती है।