संदर्भ:

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2024 में वैश्विक मलेरिया नियंत्रण की दिशा में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला गया है। 

अन्य संबंधित जानकारी 

विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2024

  • इसमें अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2023 में विश्व में मलेरिया के 263 मिलियन मामले दर्ज किए गए तथा 597,000 मृत्यु हुई।
  • वर्ष 2022 की तुलना में 2023 में 11 मिलियन से अधिक मामले और लगभग इतनी ही संख्या में मृत्यु दर्ज की गई।
  • ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2000 से अब तक मलेरिया के 2.2 बिलियन मामले और 12.7 मिलियन मौतें टाली जा चुकी हैं ।
  • मलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य की दिशा में लगातार प्रगति हुई है। 2023 में, विश्व में मलेरिया से प्रभावित 83 देशों में से 47 में इस बीमारी के 10,000 से कम मामले सामने आए।
  • अफ्रीकी क्षेत्र मलेरिया का सबसे अधिक बोझ झेल रहा है।  अनुमान है कि 2023 में वैश्विक मलेरिया मामलों का 94% और मलेरिया से जुड़ी मौतों का 95% अफ्रीकी क्षेत्र से था। 
  • वैश्विक मलेरिया के दो-तिहाई मामले और मौतें 11 अफ्रीकी देशों में केंद्रित हैं जिनमें बुर्किना फासो, कैमरून, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और घाना शामिल हैं।

भारत में मलेरिया की स्थिति 

मलेरिया उन्मूलन की दिशा में प्रगति के बाद भारत मलेरिया से ग्रस्त देशों के उच्च-भार-उच्च-प्रभाव (HBHI – High-Burden-High-Impact) समूह से बाहर आ गया है।

इसने मलेरिया के मामलों को 2017 में 6.4 मिलियन से 2023 में 2 मिलियन तक अथार्त 69% तक कम कर दिया है।

मलेरिया से होने वाली मौतों में भी 69 % की कमी दर्ज की गई , जो 11,100 से घटकर 3500 हो गई।

इस प्रगति का श्रेय आर्टेमिसिनिन-आधारित संयोजन चिकित्सा (ACT- Artemisinin-based combination therapy) और दीर्घकालिक कीटनाशक जाल (LLIN- long-lasting insecticidal nets) के उपयोग को दिया जाता है।

  • ACT में, आर्टीमिसिनिन सबसे पहले एक निश्चित प्रोटीन पर हमला करके मलेरिया परजीवियों के समूह को मारता है, और सहयोगी दवा शेष बची छोटी संख्या में परजीवियों को खत्म कर देती है।

मलेरिया के बारे में

  • यह एक जानलेवा बीमारी है, जो ज़्यादातर उष्णकटिबंधीय देशों में पाई जाती है ।   इसका उपचार और इलाज भी संभव है ।
  • मलेरिया ज़्यादातर संक्रमित मादा एनोफ़िलीज़ मच्छरों के काटने से फैलता है । रक्त आधान और दूषित सुइयों से भी मलेरिया फैल सकता है।
  • प्लास्मोडियम परजीवी की पांच प्रजातियां हैं जो मनुष्यों में मलेरिया का कारण बनती हैं और इनमें से दो प्रजातियां – पी. फाल्सीपेरम और पी. विवैक्स – सबसे बड़ा खतरा उत्पन्न करती हैं।
  • इसके सामान्य लक्षणों में बुखार, ठंड लगना और सिरदर्द शामिल है। गंभीर लक्षणों में थकान, भ्रम, दौरे और सांस लेने में कठिनाई शामिल हैं ।
  • शिशु, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएं , यात्री और एचआईवी या एड्स से पीड़ित लोगों में इसके गंभीर संक्रमण का खतरा अधिक होता है।

मलेरिया नियंत्रण के लिए भारत की पहल

  • राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम (NMCP): 1953 में शुरू किया गया यह कार्यक्रम तीन प्रमुख गतिविधियों – DDT के साथ कीटनाशक अवशिष्ट स्प्रे (IRS); मामलों की निगरानी और निरीक्षण; तथा रोगियों का उपचार – पर आधारित था।
  • मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रूपरेखा 2016-2030: इसका लक्ष्य 2030 तक मलेरिया का उन्मूलन करना है।
  • राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम: यह कार्यक्रम वेक्टर जनित रोगों जैसे मलेरिया, जापानी इंसेफेलाइटिस, डेंगू, चिकनगुनिया, कालाजार और लिम्फैटिक फाइलेरियासिस की रोकथाम और नियंत्रण के लिए है।
  • मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना 2023-27: नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल (NCVBDC) द्वारा विकसित। इसका उद्देश्य मलेरिया के निदान और उपचार तक सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना और मलेरिया मुक्त स्थिति प्राप्त करने के प्रयासों में तेज़ी लाना है।

मलेरिया मुक्त प्रमाणन

  • वर्ष 2023 तक, 44 देशों और एक क्षेत्र को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मलेरिया-मुक्त प्रमाणित किया गया है ।
  • किसी देश को प्रमाणन प्राप्त करने के लिए चार मुख्य मानव परजीवी प्रजातियों को समाप्त करना होगा जिसमें पी. फाल्सीपेरम, पी. विवैक्स, पी. ओवेल और पी. मलेरिया शामिल है।
  • कम से कम  लगातार तीन वर्षों तक स्थानीय मलेरिया का कोई मामला दर्ज नहीं होना चाहिए ।
  • भारत का लक्ष्य 2027 तक मलेरिया के किसी भी मामले  को शून्य करना तथा 2030 तक पूर्ण मलेरिया-मुक्त प्रमाणीकरण प्राप्त करना है।
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