अल-नताह

संदर्भ: हाल ही में पुरातत्वविदों ने सऊदी अरब में 4,000 वर्ष पुराने किलेबंद शहर, अल-नताह की खोज की है।       

सऊदी अरब स्थित अल-नताह

स्थान और खोज:

  • यह शहर उत्तर-पश्चिम सऊदी अरब के खैबर मरूद्यान में खोजा गया। 
  • इसकी खोज फ्रांसीसी पुरातत्ववेत्ता गिलौम चार्लॉक्स और उनकी टीम ने की।
  • यह शहर सदियों तक बेसाल्ट चट्टान की परतों के नीचे दबा रहा।

आयु और कालक्रम:

  • इसका इतिहास लगभग 2400 ईसा पूर्व (प्रारंभिक कांस्य युग) तक का है।
  • यह शहर कम से कम 1500 ईसा पूर्व से  1300 ईसा पूर्व तक जीवन का केंद्र बना रहा।
  • यह क्षेत्र की सबसे पुरानी ज्ञात शहरी बस्तियों में से एक है।

शहरी अभिविन्यास:

  • अल-नताह में तीन मुख्य क्षेत्र थे – आवासीय क्षेत्र, प्रशासनिक क्षेत्र और नेक्रोपोलिस (कब्रिस्तान)।
  • शहर की विशेषताएँ: इसमें तीन मंजिला मकान, संगठित सड़कें, मानकीकृत भवन योजनाएँ, परस्पर जुड़े आवास आदि थे। 
  • एक किलेबंद बस्ती:  एक विशाल शहर, 14.5 किलोमीटर लंबी दीवार से घिरा था जो इसके सामरिक महत्व को दर्शाता है।
  • एक समृद्ध सभ्यता: अल-नताह एक महत्वपूर्ण शहरी केंद्र था और इसके चरम विकास की अवस्था  में यहाँ 500 तक निवासी रहते थे।  

ऐतिहासिक महत्व:

  • यह खानाबदोश जीवन शैली से शहरी जीवन शैली में परिवर्तन को दर्शाता है और “धीमी शहरीकरण” या “कम शहरीकरण” का प्रमाण प्रस्तुत करता है।
  • यह शहर प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया सभ्यताओं के मध्य में अवस्थित था।
  • इसने एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र के रूप में कार्य किया।   
  • क्षेत्रीय प्रभाव: इस खोज ने उत्तर-पश्चिम अरब के कांस्य युग की सभ्यताओं की समझ में महत्वपूर्ण बदलाव लाया है।     

PyPIM प्लेटफ़ॉर्म

संदर्भ:

हाल ही में, इज़रायली शोधकर्ताओं ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया है जो कंप्यूटर की  सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) को दरकिनार करते हुए सीधे मेमोरी में डेटा प्रोसेस करने में सक्षम बनाता है।  

PyPIM प्लेटफ़ॉर्म 

  • पायथन एवं PIM का एकीकरण: PyPIM प्लेटफॉर्म, पायथन प्रोग्रामिंग भाषा को डिजिटल प्रोसेसिंग-इन-मेमोरी (PIM) तकनीक के साथ जोड़ता है जो डेवलपर्स को PIM-आधारित प्रणाली  के लिए आसानी से सॉफ्टवेयर विकसित करने में सक्षम बनाता है।
  • इन-मेमोरी ऑपरेशन: PyPIM मेमोरी के भीतर सीधे गणना संचालन करने के लिए विशिष्ट निर्देशों का उपयोग करता है जिससे डेटा को CPU और मेमोरी के बीच स्थानांतरित करने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
  • मेमोरी वॉल का समाधान: यह प्लेटफॉर्म “मेमोरी वॉल” समस्या का समाधान करता है जहाँ CPU का प्रदर्शन मेमोरी और प्रोसेसर के बीच डेटा स्थानांतरण की गति से अधिक होता है।
  • ऊर्जा एवं समय की बचत: मेमोरी में सीधे डेटा प्रोसेसिंग करने से PyPIM डेटा ट्रांसफर करने में  लगने वाले समय और ऊर्जा की खपत में कमी लाता है जो पारंपरिक कंप्यूटिंग में एक प्रमुख चुनौती होती है। 
  • CPU पर निर्भरता में कमी: यह नवाचार डेटा प्रोसेसिंग में CPU की भूमिका को न्यूनतम कर देता है जिससे समग्र  प्रदर्शन विशेष रूप से गति और ऊर्जा दक्षता में सुधार होता है।  
  • पायथन-आधारित विकास: PyPIM डेवलपर्स को एक परिचित भाषा, पायथन के माध्यम से PIM तकनीक का लाभ उठाने का अवसर प्रदान करता है जिससे नए PIM प्रणाली  पर कार्य करना आसान हो जाता है।            

चोंकस

संदर्भ:

हाल ही में, हार्वर्ड विश्वविद्यालय के वाइस इंस्टीट्यूट और पलेर्मो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने साइनोबैक्टीरिया की एक नई प्रजाति चोंकस की खोज की है।  

चोंकस के बारे में 

  • चोंकस की कोशिकाएँ कार्बन-सघन कणिकाओं की उपस्थिति के कारण अन्य साइनोबैक्टीरिया की तुलना में काफी बड़ी होती हैं।
  • कार्बन पृथक्करण: चोंकस की ये कणिकाएँ जल में तेजी से डूबने में सक्षम होती हैं जिससे चोंकस संग्रहित कार्बन को गहरे महासागरीय परतों तक ले जाने में सक्षम होता है।  
  • वृद्धि क्षमता: प्रयोगशाला में यह तेजी से बढ़ता है तथा बड़ी कॉलोनियां बनाता है और कार्बन समृद्ध वातावरण में अच्छी तरह से पनपता है। 

जलवायु परिवर्तन शमन क्षमता    

  • चोंकस वायुमंडल में मौजूद CO₂ के उच्च स्तर को अवशोषित कर प्राकृतिक रूप से कार्बन पृथक्करण में सहायक साबित हो सकता है।  
  • इसके डूबने की विशेषता कैप्चर किए गए कार्बन को समुद्र की गहराई में स्थानांतरित करने में सहायता करती है जिससे संभवतः वायुमंडलीय CO₂ के स्तर में कमी होती है। 
  • यह जीव जैव-विनिर्माण अनुप्रयोगों में भी उपयोगी हो सकता है तथा पर्यावरण-अनुकूल औद्योगिक कार्बन कैप्चर समाधान प्रदान कर सकता है।   

सायनोबैक्टीरिया      

  • सायनोबैक्टीरिया समुद्री खाद्य श्रृंखला के आधार पर पाए जाने वाले प्राचीन प्रकाश संश्लेषक जीव हैं। 
  • नाम उत्पत्ति: “साइनोबैक्टीरिया” का नाम उनके नीले-हरे रंग  से लिया गया है जिसे अनौपचारिक रूप से “नीले-हरे शैवाल” भी कहा जाता है।  प्रोकैरियोट्स  रूप में इन्हें 
  • (वैज्ञानिक रूप से) शैवाल के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है।     
  • अपनी लचीलेपन के लिए जाने जाने वाले साइनोबैक्टीरिया चरम परिस्थितियों में भी जीवित रहते हैं तथा तेजी से वृद्धि करने में सक्षम होते हैं।  
  • साइनोबैक्टीरिया CO₂ को बायोमास में परिवर्तित कर कार्बन चक्रण और ऑक्सीजन उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।     

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