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सामान्य अध्ययन-1: स्वतंत्रता संग्राम – इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से महत्वपूर्ण योगदानकर्ता/योगदान।

संदर्भ: 

चंपारण सत्याग्रह महात्मा गांधी द्वारा अप्रैल 1917 में शुरू किया गया था और  वर्ष 2025 मे  इस आंदोलन की 108वीं वर्षगांठ है। 

चंपारण सत्याग्रह (1917) — पहला सविनय अवज्ञा आंदोलन

  • 27 फरवरी, 1917 को राज कुमार शुक्ल चम्पारण ने काश्तकारों की ओर से गांधीजी को एक पत्र भेजकर उनसे अनुरोध किया गया कि वे चम्पारण आएं और उनकी दयनीय स्थिति देखें।
  • 17 अप्रैल 1917 को मोहनदास करमचंद गांधी बिहार के चंपारण पहुंचे , जहां वे उत्पीड़ित नील की खेती के किसानों, जो कि  शोषणकारी तिनकठिया प्रणाली के तहत पीड़ित थे, से मिले।
  • यह क्षण भारत में गांधीजी के पहले प्रमुख सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रतीक था , जो दक्षिण अफ्रीका में उनके परिवर्तनकारी सक्रियता के बाद आया, जहां उन्होंने 1906 में सत्याग्रह का बीड़ा उठाया था।

गांधीजी की भागीदारी:

  • गांधी, राजेंद्र प्रसाद, मजहरुल हक, महादेव देसाई, नरहरि पारेख और जे.बी. कृपलानी के साथ स्थिति की जांच करने के लिए चंपारण पहुंचे।
  • वहां पहुंचने पर अधिकारियों ने उन्हें वापिस जाने का आदेश दिया।
  • गांधी ने आदेश की अवहेलना की और आदेश का पालन करने के बजाय दंड भुगतना स्वीकारा । निष्क्रिय प्रतिरोध या सविनय अवज्ञा का यह कार्य उस समय एक नया तरीका था।
  • गांधीजी के विरोध के बाद अधिकारी पीछे हट गए और उन्हें मामले की जांच करने की अनुमति दी।

सुधार और कानून:

  • गांधीजी ने 8,000 किसानों की गवाही प्रस्तुत की।

समिति की सिफारिशें निम्नलिखित थीं:

  • तीनकठिया प्रथा का उन्मूलन
  • अबवाब पर प्रतिबंध
  • अवैध बकाया के लिए मुआवजा

• इसके परिणामस्वरूप चंपारण कृषि अधिनियम (1918) बनाया गया।

यूरोपीय बागान मालिकों के नियंत्रण का अंत :

  • एक दशक के भीतर ही यूरोपीय बागान मालिक चंपारण छोड़कर चले गए । गांधीजी ने भारत में सविनय अवज्ञा की पहली लड़ाई जीत ली थी।

मुख्य प्रश्न

भारत की स्वतंत्रता संग्राम यात्रा में चंपारण आंदोलन का क्या महत्व था ?

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