संदर्भ:

हाल ही में एक शोध में मानव पर आनुवंशिक कीटनाशकों के हानिकारक प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है।

अध्ययन के विवरण

  • यह शोध, “बाह्य जीनोम संपादन से बहु-प्रजाति पर पड़ने वाले अनपेक्षित प्रभाव” नामक विषय पर, इकोटॉक्सिकोलॉजी एंड एनवायरनमेंटल सेफ्टी नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।

अध्ययन के लिए अपनाई गई कार्यप्रणाली

  • ब्राजील, न्यूजीलैंड और नॉर्वे के वैज्ञानिकों के दल ने 18 प्रजातियों की जांच की जो आमतौर पर कृषि वातावरण में पाई जाती हैं, जैसे- मानव, मवेशी, मुर्गियां, चूहे, परागण करने वाले कीड़े, केंचुए, कवक, तथा मक्का, कपास और सोयाबीन जैसी फसलें।
  • इन्हें गैर-लक्ष्यित जीव (NTOs) के नाम से भी जाना जाता है।
  • अध्ययन में, कंप्यूटर पूर्वानुमान मॉडलिंग का उपयोग करते हुए, पता चला कि 18 में से 12 प्रजातियों को संभावित “अनपेक्षित संकरण” का सामना करना पड़ा।
  • शोध दल ने तीन प्रमुख कीटों की पहचान की, जिन्हें संभावित रूप से बाहरी उपयोग हेतु जीन-संपादन (CRIPR/Cas9) कीटनाशकों के लिए लक्षित किया जा सकता है:
  • पश्चिमी मक्का जड़कृमि
  • रेड फ्लोर बीटल

जीन संपादन:

  • जीनोम संपादन तकनीक वैज्ञानिकों को डीएनए में परिवर्तन करने में सक्षम बनाती है, जिससे शारीरिक लक्षणों में परिवर्तन होता है और बीमारी का जोखिम होता है। 
  • वैज्ञानिक ऐसा करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हैं। ये तकनीकें कैंची की तरह काम करती हैं एवं डीएनए को एक विशिष्ट स्थान पर काटती हैं।
  • पहली जीनोम संपादन तकनीकें 1900 के दशक के अंत में विकसित की गई थीं।

क्रिस्पर कैस9 (CRISPR Cas9):

  • यह क्रिस्पर (CRISPR) नामक एक नया जीनोम संपादन उपकरण है, जिसका आविष्कार वर्ष 2009 में किया गया था, जिसने डीएनए को संपादित करना पहले से कहीं अधिक आसान बना दिया है।
  • यह उपकरण दो बुनियादी भागों से बना है: कैस9 (Cas9) प्रोटीन, जो रिंच (औजार) की तरह काम करता है और विशिष्ट आरएनए (RNA) गाइड, क्रिस्पर (CRISPRs), जो विभिन्न सॉकेट हेड के सेट के रूप में कार्य करते हैं।
  • कवक स्केलेरोटिनिया स्केलेरोशियम

मुख्य निष्कर्ष

  • वैज्ञानिकों ने पाया है कि आनुवंशिक कीटनाशक उस वातावरण में रहने वाले लोगों, पशुओं और कीटों के जीन को संपादित करने में सक्षम हो सकते हैं जहां कीटनाशकों का छिड़काव किया जाएगा।
  • इसका सबसे अधिक संभावित प्रभाव मनुष्यों पर पड़ेगा, जिन्हें कैंसर और हार्मोन चयापचय जैसे महत्वपूर्ण जैविक परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।
  • शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि सीमित प्रयोगशालाओं के बाहर आनुवंशिक अभियंत्रण के प्रस्तावित अनुप्रयोगों हेतु नए जोखिम मूल्यांकन ढांचे की आवश्यकता है।
  • आनुवंशिक कीटनाशकों के प्रयोग से इन प्रजातियों की सामान्य कार्यप्रणाली में बाधा उत्पन्न हो सकती है या उनकी मृत्यु हो सकती है।

जीन-मौनकारी कीटनाशक

  • कीटनाशक कम्पनियां ऐसे “जीन-साइलेंसिंग कीटनाशक” विकसित कर रही हैं, जो आरएनए इंटरफेरेंस (RNAi) नामक कोशिकीय प्रक्रिया का लाभ उठाते हैं। 
  • आरएनएआई पौधों, कवकों और कीटों सहित जानवरों में प्राकृतिक रूप से होने वाली कोशिकीय प्रक्रिया है।
  • जीन-मौनकारी कीटनाशकों को बाह्य उत्पाद के रूप में प्रयोग करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो खुले वातावरण में उपस्थित जीवों को संशोधित करेगा।

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