संबंधित पाठ्यक्रम

सामान्य अध्ययन-2: भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और करार।

संदर्भ: 4-5 दिसंबर को भारत की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा संपन्न करने के कुछ ही दिनों बाद, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत के साथ हुए प्रमुख सैन्य रसद समझौते पारस्परिक रसद सहायता विनिमय (RELOS) पर संघीय कानून के रूप में हस्ताक्षर किए।

अन्य संबंधित जानकारी

  • रूसी संसद के दोनों सदनों से अनुसमर्थन मिलने के पश्चात ही RELOS समझौते को राष्ट्रपति की औपचारिक मंजूरी के लिए भेजा गया था।
  • दोनों देशों के बीच यह प्रमुख सैन्य समझौता अनुसमर्थन के दस्तावेजों के आदान-प्रदान के बाद ही लागू होगा।

RELOS समझौते की विशेषताएँ:

  • यह समझौता भारत और रूस के बीच सैन्य संरचनाओं, युद्धपोतों और सैन्य विमानों के आवागमन हेतु मानक प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है, साथ ही दोनों देशों की सेनाओं के लिए रसद सहायता के पारस्परिक आदान-प्रदान की व्यवस्था भी सुनिश्चित करता है।
  • यह रूसी और भारतीय सैन्य विमानों को एक-दूसरे के एयरबेस का उपयोग करने की सुविधा प्रदान करेगा, और इसमें दोनों देशों के युद्धपोतों के लिए बंदरगाहों पर रुकने (Port Calls) से संबंधित प्रावधान भी शामिल हैं।
  • इस समझौते को न केवल सैनिकों और सैन्य उपकरणों की तैनाती को विनियमित करने के लिए, बल्कि उससे जुड़ी रसद व्यवस्था के लिए भी तैयार किया गया है। इसमें वे सभी सहायक सेवाएँ शामिल हैं जो एक देश की सेना के लिए दूसरे देश की सीमा में परिचालन के दौरान आवश्यक हो सकती हैं।
  • स्थापित ढांचे को संयुक्त सैन्य अभ्यास और प्रशिक्षण गतिविधियों के साथ-साथ मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) कार्यों से जुड़ी स्थितियों में लागू किए जाने की संभावना है।
  • दोनों देशों की पारस्परिक सहमति से, इस समझौते के प्रावधानों का उपयोग अन्य विशेष स्थितियों या उद्देश्यों के लिए भी किया जा सकता है।

भारत के लिए महत्व:

  • भारत के लिए, RELOS प्रशांत महासागर के व्लादिवोस्तोक से लेकर आर्कटिक के मरमान्स्क तक फैले रूसी हवाई और नौसैनिक अड्डों के उपयोग हेतु एक संस्थागत ढांचा तैयार करता है। यह भारत को विशेष रूप से रूसी मूल के सैन्य साजो-सामान के लिए ईंधन, मरम्मत और रखरखाव की सुविधाएं प्रदान कर भारत की परिचालन क्षमता और युद्धक तत्परता का विस्तार करता है।
  • रूस के विस्तृत सैन्य बुनियादी ढांचे का उपयोग भारत की हिंद-प्रशांत नीति को नई गति देगा। इसके माध्यम से 40 से अधिक रूसी सैन्य ठिकानों तक सुलभ पहुंच भारतीय सशस्त्र बलों के लिए दूरदराज के क्षेत्रों में दीर्घावधिक संचालन को सुगम बनाएगी।
  • यह भारत को भू-राजनीतिक तनाव, प्रतिबंधों के दबाव और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के समय में भी अपने हितों को सुरक्षित रखने में सक्षम बनाता है।
  • इसके माध्यम से भारत अंतरराष्ट्रीय तनावों और प्रतिबंधों के जोखिमों के बीच अपनी सामरिक स्वायत्तता बनाए रख सकेगा और आपूर्ति श्रृंखला में आने वाली बाधाओं के बावजूद अपने हितों की रक्षा करने में समर्थ होगा।
  • भारत-रूस संबंधों की गतिशीलता के अनुरूप तैयार किया गया यह समझौता मौजूदा रक्षा साझेदारी को बढ़ाएग और बहुध्रुवीय विश्व में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा।
  • यह समझौता भारत और रूस के बीच निरंतर विकसित होते संबंधों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, जो मौजूदा रक्षा सहयोग को विस्तार देने के साथ-साथ बहुध्रुवीय विश्व में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा।
  • भारत और रूस के निरंतर प्रगाढ़ होते संबंधों के अनुरूप तैयार किया गया यह समझौता, न केवल मौजूदा रक्षा सहयोग को गति देगा, बल्कि एक बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था में भारत की रणनीतिक स्थिति को भी सुदृढ़ करेगा।

अन्य राष्ट्रों के साथ इसी प्रकार के समझौते:

  • भारत ने अन्य देशों के साथ भी इसी तरह के रसद समझौते किए हैं, जो उसकी वैश्विक पहुंच और सामरिक प्रभाव को बढ़ाते हैं। इनमें से प्रमुख समझौते निम्नलिखित हैं:
    • LEMOA (लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट) पर भारत ने 2016 में हस्ताक्षर किए। यह अमेरिकी और भारतीय सेनाओं को एक-दूसरे के सैन्य अड्डों से ईंधन भरने और एक-दूसरे की जमीनी सुविधाओं, एयरबेस और बंदरगाहों से आपूर्ति, स्पेयर पार्ट्स और सेवाएं प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
    • COMCASA (कम्युनिकेशन्स कम्पेटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट) पर 2018 में हस्ताक्षर किए गए थे। यह समझौता अमेरिका को भारत को उच्च-स्तरीय ‘एन्क्रिप्टेड’ संचार उपकरण और प्रणालियाँ हस्तांतरित करने की अनुमति देता है। इससे भारतीय और अमेरिकी सैन्य नेताओं के साथ-साथ उनके विमानों और जहाजों को शांति और संघर्ष दोनों ही स्थितियों में सुरक्षित नेटवर्क के माध्यम से संवाद करने की सुविधा मिलती है।
    • BECA (बेसिक एक्सचेंज एंड को-ऑपरेशन एग्रीमेंट) उच्च श्रेणी की सैन्य तकनीक साझा करने की सुविधा प्रदान करता है, जिसमें अमेरिका के भू-स्थानिक, सैटेलाइट और ड्रोन डेटा तक पहुंच शामिल है।
    • BECA (बेसिक एक्सचेंज एंड को-ऑपरेशन एग्रीमेंट) उन्नत सैन्य तकनीक के साझाकरण को सुगम बनाता है, जिसके अंतर्गत भारत को अमेरिका के संवेदनशील भू-स्थानिक, उपग्रह और ड्रोन डेटा तक पहुंच प्राप्त होती है।
Shares: