संबंधित पाठ्यक्रम:
सामान्य अध्ययन 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
संदर्भ:
शोधकर्ताओं ने ऐसी नवीन तकनीक विकसित की है जो मस्तिष्क की गतिविधियों से लेकर सुदूर अंतरिक्ष तक के चुंबकीय क्षेत्रों का मापन बिना किसी भारी भरकम परिरक्षण और अति-शांत प्रयोगशालाओं के कर सकता है।
अन्य संबंधित जानकारी
- रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) के शोधकर्ताओं ने एक सर्व-प्रकाशिक क्वांटम मैग्नेटोमीटर में चुंबकत्वमिति (मैग्नेटोमेट्री) के लिए एक नवीन विधि विकसित की है।
- रमन-संचालित स्पिन रव (नॉइज) स्पेक्ट्रोस्कोपी (RDSNS) पर आधारित, यह विधि चुंबकीय क्षेत्रों को मापने के हमारे तरीके को बदल सकती है, जिससे यह प्रक्रिया अधिक तीव्र, पोर्टेबल और रवयुक्त वास्तविक परिवेश में भी अत्यंत सटीक हो सकती है।
- शोधकर्ताओं ने एक ऐसा नया उपकरण विकसित किया है जो मस्तिष्क से लेकर बाह्य अंतरिक्ष तक के चुंबकीय क्षेत्रों का मापन भारी-भरकम परिरक्षण या शांत प्रयोगशालाओं के बिना कर सकता है।
मैग्नेटोमीटर

- मैग्नेटोमीटर एक उपकरण है जो चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता और दिशा को मापता है।
- नेविगेशन और धातुओं की पहचान से लेकर भूभौतिकीय सर्वेक्षण और चिकित्सा इमेजिंग तक इसके विभिन्न अनुप्रयोग हैं।
- चुंबकीय क्षेत्र मापन के लिए सबसे प्रभावशाली विधियां, अत्यंत दुर्बल चुंबकीय क्षेत्र में क्षार परमाणुओं से गुजरने वाले परीक्षण प्रकाश के ध्रुवण घूर्णन के संसूचन पर आधारित हैं।
- इस विधि पर आधारित मैग्नेटोमीटरों को ऑप्टिकली पंप्ड एटॉमिक मैग्नेटोमीटर (OPAMs) और स्पिन एक्सचेंज रिलैक्सेशन फ्री (SERF) मैग्नेटोमीटर कहा जाता है। इनकी सामान्यतः उच्च सुग्राहिता होती हैं, लेकिन इन्हें परिष्कृत चुंबकीय परिरक्षण की आवश्यकता होती है और इनकी गतिशील परास अपेक्षाकृत कम होती है। ये आवश्यकताएँ इन्हें वास्तविक जीवन में प्रयोग के लिए कठिन बना देती हैं।
रमन-संचालित स्पिन रव (नॉइज) स्पेक्ट्रोस्कोपी (RDSNS)
- रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) के शोधकर्ताओं ने रमन-संचालित स्पिन रव स्पेक्ट्रोस्कोपी (RDSNS) का उपयोग करते हुए एक नवीन सर्व-प्रकाशिक क्वांटम मैग्नेटोमीटर विकसित किया है।
- यह विधि चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव में आने पर रुबिडियम परमाणुओं में उत्पन्न सूक्ष्म क्वांटम उतार-चढ़ावों (स्पिन रव) को ट्रैक करती है।
- इन परमाणुओं से परावर्तित होने वाले लेज़र प्रकाश का विश्लेषण करके, शोधकर्ता चुंबकीय क्षेत्रों को शीघ्रता से, सटीक रूप से, और रवयुक्त परिवेश में भी माप सकते हैं।
- चुंबकीय क्षेत्र के संपर्क में आने पर, इस स्पिन रव (नॉइज) का पैटर्न पूर्वानुमानित तरीकों से बदल जाता है ।
- शोधकर्ता लेज़र किरणें डालकर तथा उत्पन्न रव का विश्लेषण करके, परमाणुओं को बिना स्पर्श किए या बिना उनकी स्थिति को बाधित किए चुंबकीय क्षेत्र का सटीक मापन करने में सक्षम होते हैं।
- अधिकांश मैग्नेटोमीटरों को उच्च सुग्राहिता और दीर्घ गतिशील परास में से किसी एक को चुनना पड़ता है। लेकिन RDSNS विधि अत्यंत दुर्बल से लेकर अत्यंत प्रबल चुंबकीय क्षेत्रों तक के व्यापक दायरे में भी बिना सटीकता खोए प्रभावी रूप से कार्य करती है।
- यह सेटअप चुंबकीय परिरक्षण के बिना भी कार्य करता है, जिससे इसका उपयोग बाहरी, औद्योगिक और नैदानिक वातावरण में किया जा सकता है, जहां अन्य मैग्नेटोमीटर विफल हो जाते हैं।
- यह विधि मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को स्कैन करने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है – यह MRI का एक ऐसा विकल्प प्रस्तुत करती है जो शांत, कॉम्पैक्ट और गैर-आक्रामक है।
- खनिज अन्वेषक इन सेंसरों का उपयोग भूमिगत चुंबकीय विविधताओं का पता लगाने के लिए कर सकते हैं , जो खनिज भंडारों की उपस्थिति का संकेत देते हैं।
- अंतरिक्ष में, जहाँ भार और स्थायित्व (मजबूती) का विशेष महत्व होता है, वहाँ एक पोर्टेबल और परिरक्षण-रहित मैग्नेटोमीटर ग्रहों और तारों के चारों ओर मौजूद चुंबकीय क्षेत्रों के अध्ययन के लिए अत्यंत बहुमूल्य सिद्ध होता है।
रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI)
- रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना 1948 में भारतीय भौतिक विज्ञानी और नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी.वी. रमन ने भारतीय विज्ञान संस्थान से सेवानिवृत्त होने के बाद अपने अध्ययन और मूलभूत अनुसंधान को जारी रखने के लिए की थी।
- वर्तमान में यह एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है, जो मूलभूत विज्ञानों (basic sciences) के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य में संलग्न है।
- इस संस्थान को भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) से वित्तीय सहायता प्राप्त होती है।
- संस्थान में अनुसंधान के प्रमुख क्षेत्र हैं — खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी, प्रकाश एवं पदार्थ भौतिकी, सॉफ्ट कंडेन्स्ड मैटर, तथा सैद्धांतिक भौतिकी (Theoretical Physics)।
Source: PIB