संदर्भ:
हाल ही में, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्य पालन विभाग और एजेंस फ्रांसेइस डे डेवलपमेंट (AFD) ने नई दिल्ली में इको-फिशिंग पोर्ट्स: दीर्घकालिक और समावेशी बंदरगाहों पर तकनीकी वार्ता आयोजित की।
वार्ता के मुख्य अंश

- भारत के महत्वपूर्ण समुद्री संसाधनों और मत्स्य उत्पादन, निर्यात और आजीविका समर्थन में उपलब्धियों पर जोर दिया गया ।
- अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और सीमित बाजार संपर्क जैसी चुनौतियों की पहचान की गई
निम्नलिखित के लिए ₹9,832.95 करोड़ (USD 1.15 बिलियन) मूल्य की परियोजनाओं को मंजूरी देने की घोषणा की गई:
- 117 मछली पकड़ने के बंदरगाहों (FH) और मछली लैंडिंग केंद्रों (FLC) का निर्माण / आधुनिकीकरण / ड्रेजिंग
- बंदरगाहों का विकास :
- वनकबारा (दमन एवं दीव)
- कराईकल (पुडुचेरी)
- जखाऊ (गुजरात)
भारत का मत्स्य पालन क्षेत्र
- जलीय संपदा: भारत विविध जलीय संसाधनों से संपन्न है तथा इसकी तटरेखा 11,099 किलोमीटर लम्बी है।
वैश्विक रैंक :
- दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश।
- विश्व के कुल मछली उत्पादन में ~8% का योगदान देता है
जलीय कृषि : जलीय कृषि और झींगा निर्यात में एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता ।
समुद्री खाद्य निर्यात :
- निर्यात गंतव्य: 132 से अधिक देश
- प्रमुख बाजार: चीन, अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान
- निर्यात मूल्य:
- वित्तीय वर्ष 2013-14: ₹30,213 करोड़
- वित्त वर्ष 2023-24: ₹60,523.89 करोड़ (10 वर्षों में दोगुना)
• भविष्य का लक्ष्य : उभरते बाजारों के लिए मूल्यवर्धित उत्पादों और नई समुद्री खाद्य प्रजातियों के साथ निर्यात टोकरी में विविधता लाना