संदर्भ:

हाल ही में, आकाशवाणी कोकराझार में उच्च शक्ति वाले 10 किलोवाट के FM ट्रांसमीटर का गुवाहाटी से वर्चुअल उद्घाटन किया गया, जो संचार और सांस्कृतिक एकीकरण में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।

  • आकाशवाणी कोकराझार की स्थापना वर्ष 1999 में हुई थी, इसने क्षेत्र के विविध आदिवासी समूहों की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा दिया है।
  • यह ट्रांसमीटर 70 किलोमीटर के दायरे को कवर करेगा, जो कोकराझार और आसपास के जिलों में 30 लाख से अधिक लोगों को सेवा प्रदान करेगा।
  • यह किसानों, युवाओं और स्थानीय समुदायों के साथ अपने संपर्क को बढ़ाएगा।
  • इससे बोडो लोक संगीत और राजबोंगशी गीतों सहित क्षेत्रीय सांस्कृतिक सामग्री के प्रसारण को भी बढ़ावा मिलेगा।

बोडो लोक संगीत

  • बोडो लोकगीत कृषि पद्धतियों, विशेष रूप से धान की खेती से निकटता से जुड़े हुए हैं।
  • ये गीत प्रकृति और कृषि को दर्शाते हैं, जो बोडो लोगों के जीवन के अनुभवों की जानकारी देते हैं।
  • असमिया समाज के एक बड़े हिस्से के रूप में बोडो लोग इन गीतों के माध्यम से प्रकृति और संस्कृति के साथ अपने जुड़ाव को व्यक्त करते हैं।
  • बोडो लोकगीत अपने लोक स्वाद के लिए अद्वितीय है और यह उनके लोकगीतों का एक अभिन्न अंग है।
  • ये गीत प्रकृति और कृषि परिवेश के बीच जीवन को दर्शाते हैं।

बोडो लोकगीतों की मुख्य श्रेणियाँ:

  • इसके कुछ उल्लेखनीय विद्वानों में मोहिनी मोहन ब्रह्मा, मधुम बोडो आदि शामिल है।

बोडो लोकगीतों में वीर-पूजा (वीरता) गीत, देशभक्ति गीत, मिट्टी और देहाती जीवन के गीत, प्रेम गीत, त्योहार गीत, चरवाहे गीत, विवाह गीत, धार्मिक गीत, बिहू या बिसागु गीत, मानव गीत, खेल गीत और अनुष्ठान प्रार्थना तथा दर्शन शामिल हैं।

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