संदर्भ:

हाल ही में महिला गिग श्रमिकों  ने गिग अर्थव्यवस्था में शोषणकारी श्रम नियमों  के विरोध में ‘ब्लैक दिवाली’ नामक  राष्ट्रव्यापी डिजिटल हड़ताल का आयोजन किया ।

अन्य संबंधित जानकारी:

  • डिजिटल हड़ताल का आह्वान गिग और प्लेटफ़ॉर्म सेवा श्रमिक संघ   (GIPSWU) ने किया था।  यह भारत का पहला ऐसा संघ है जो  महिला गिग श्रमिकों  पर केंद्रित है। 
  • महिला गिग श्रमिकों  ने डिजिटल हड़ताल करने के लिए दिवाली का दिन चुना और इसे “ब्लैक दिवाली” नाम दिया। इसके परिणामस्वरूप उन्हें मीडिया कवरेज और नागरिकों तथा गिग श्रमिकों  से समर्थन प्राप्त हुआ।
  • GIPSWU  अस्पष्ट  वर्गीकरण और पक्षपाती रेटिंग जैसी अनुचित श्रम नियमों  के खिलाफ सामूहिक विरोध का आह्वान करता है जो रोजगार  असुरक्षा को जन्म देती हैं।

गिग श्रमिकों के बारे में:

  • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के अनुसार , “गिग श्रमिक वह व्यक्ति है जो पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध के बाहर काम करता है या कार्य व्यवस्था में भाग लेता है और ऐसी गतिविधियों से आय अर्जित करता है।”
  • इसमें स्वतंत्र ठेकेदार, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म श्रमिक, अनुबंध फर्म श्रमिक, ऑन-कॉल श्रमिक  और अस्थायी श्रमिक शामिल हैं।

गिग अर्थव्यवस्था  के बारे में

  • यह एक मुक्त बाजार प्रणाली को दर्शाता है जिसमें संगठन अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए श्रमिकों को अस्थायी रूप से नियुक्त करते हैं या उनके साथ अनुबंध करते हैं।
  • ओला, उबर, ज़ोमैटो और स्विगी सहित अन्य कम्पनियां भारत की गिग अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भागीदार  बन गई हैं।

भारत में गिग अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति

  • नीति आयोग की वर्ष 2022 रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2030 तक गिग कार्यबल बढ़कर 2.35 करोड़ हो सकता है। 
  • ASSOCHAM  के अनुसार , भारत की गिग अर्थव्यवस्था  17 प्रतिशत की CAGR से बढ़ रही है। लगभग 60 प्रतिशत टेक उद्योग संगठन अब गिग अर्थव्यवस्था  में निवेश कर रहे हैं।

GIPSWU द्वारा उठाए गए मुद्दे:

  • लैंगिक पूर्वाग्रह : कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अक्सर महिलाओं को पारंपरिक रूप से महिलाओं से संबंधित भूमिकाएं सौंपते हैं जैसे ब्यूटीशियन, शेफ या हाउसकीपर।
  • नौकरी की सुरक्षा और रेटिंग: महिलाओं की नौकरी की सुरक्षा प्लेटफ़ॉर्म रेटिंग पर आधारित होती है यह रेटिंग प्रणाली बहुआयामी होने की जगह एक या द्वि आयामी होती है। 
  • कठोर मूल्यांकन प्रणाली : यह एक कठोर वास्तविकता को उजागर करता है जहां व्यक्तियों को लगातार रेटिंग का सामना करना पड़ता  है और महिला गिग श्रमिकों से संबंधित वास्तविक समस्याओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है। 
  • कमज़ोर महिलाओं को लक्षित करना: GIPSWU के कई सदस्य एकल माताएँ हैं या घरेलू हिंसा से पीड़ित हैं। इसलिए सीमित विकल्पों के कारण उन्हें प्लेटफ़ॉर्म नौकरी  की ओर धकेला जाता है। कई कंपनियाँ उनकी कमज़ोरी का फ़ायदा उठाती हैं जिससे प्रभावी तरीके से संघ बनाना मुश्किल हो जाता है।
  • AI -संचालित प्रबंधन: AI -संचालित एल्गोरिदम का उपयोग करके श्रम कानूनों को दरकिनार किया जाता है जो श्रमिकों को अपारदर्शी और अवैयक्तिक तरीकों से प्रबंधित करते हैं।

GISPWU ने महिला गिग श्रमिकों से किए गए झूठे वादों और स्वायत्तता से संबंधित कुछ प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला:

  • भ्रामक विज्ञापन: प्लेटफॉर्म महिलाओं को आकर्षित करने के लिए “स्वतंत्रता” और “लचीलेपन” का विज्ञापन करते हैं लेकिन ये वादे अक्सर भ्रामक होते हैं।
  • गुप्त दबाव: महिलाएं अन्य प्रतिबद्धताओं के साथ कार्य संतुलन बनाते हुए उच्च लक्ष्य को पूरा करने का दबाव महसूस करती हैं।
  • वित्तीय तनाव: स्वायत्तता के वादे के बावजूद कई श्रमिकों को परिवहन से लेकर प्लेटफार्म शुल्क तक भारी वित्तीय लागतों का सामना करना पड़ता हैतथा उन्हें उचित मुआवजा या सामाजिक सुरक्षा नहीं मिलती।

सरकारी उपाय: गिग अर्थव्यवस्था से संबंधित

  • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020: यह जीवन और विकलांगता, दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ, वृद्धावस्था सुरक्षा आदि से संबंधित मामलों पर गिग श्रमिकों और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के लिए उपयुक्त सामाजिक सुरक्षा योजनाएं तैयार करता है।
  • गिग श्रमिकों और प्लेटफॉर्म श्रमिकों सहित असंगठित श्रमिकों के पंजीकरण और एक व्यापक राष्ट्रीय डेटाबेस के निर्माण के लिए ई-श्रम पोर्टल।
  • वेतन संहिता 2019, के अनुसार गिग श्रमिकों सहित सभी संगठित और असंगठित क्षेत्रों को एक सार्वभौमिक न्यूनतम वेतन प्रदान किया जाना चाहिए।
  • राजस्थान प्लेटफॉर्म-आधारित गिग कर्मकार (पंजीकरण और कल्याण) अधिनियम, 2023 (RGW), गिग श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक अग्रणी राज्य-स्तरीय पहल है।

GISPWU द्वारा सिफारिशें 

  • इसने सिफारिश की है कि कंपनियों को गिग श्रमिकों की सुरक्षा के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी भुगतान प्रणाली संरचना स्थापित करनी चाहिए ।
  • सरकारों को गिग प्लेटफॉर्म और ई-कॉमर्स श्रमिकों को अल्प अवधि (लगभग 18 से 24 महीने) के लिए ‘गिग’ के रूप में पुन: परिभाषित करना चाहिए।
  • इसने यह भी सिफारिश की है कि नियामकों को गिग श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करना चाहिए।

निष्कर्ष

GIPSWU का लक्ष्य गिग श्रमिकों के लिए सूक्ष्म दृष्टिकोण के साथ दीर्घकालिक रणनीति को बनाए रखना है। इस डिजिटल हड़ताल ने श्रमिक एकजुटता को मजबूत किया है और जमीनी स्तर के आंदोलनों को संगठित  किया है।

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