संदर्भ:
संस्कृति मंत्रालय ने शहीद राम प्रसाद बिस्मिल की 127 वीं जयंती के अवसर पर उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में एक विशेष समारोह का आयोजन किया।
पंडित राम प्रसाद बिस्मिल
- इनका उनका जन्म 11 जून 1897 को शाहजहांपुर में हुआ था और ये ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ लड़ने वाले सबसे उल्लेखनीय भारतीय क्रांतिकारियों में से एक थे।
- ये कम उम्र से ही आर्य समाज से जुड़े गए थे।
प्रमुख योगदान
- उन्होंने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA – जिसका बाद में नाम बदलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन कर दिया गया) की स्थापना की, जिसके संस्थापक सदस्य अशफाकउल्ला खान और जोगेश चंद्र चटर्जी थे।
- उन्होंने 1918 के मैनपुरी षडयंत्र में भाग लिया। बिस्मिल ने गेंदा लाल दीक्षित के साथ मिलकर युवाओं को संगठित कर अपने संगठन ‘ मातृवेदी ‘ और ‘शिवाजी समिति’ को मजबूत किया।
- उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध करने के लिए अशफाक उल्ला खान और रोशन सिंह के साथ 1925 के काकोरी षड्यंत्र में भाग लिया।
- काकोरी षड्यंत्र में उनकी भूमिका के कारण 19 दिसंबर 1927 को मात्र 30 वर्ष की आयु में गोरखपुर जेल में उनकी शहादत हो गई ।
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बिस्मिल का दर्शन
- स्वतंत्रता संग्राम के उनके आदर्श महात्मा गांधी के आदर्शों से बिल्कुल अलग थे। उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि “स्वतंत्रता अहिंसा के माध्यम से प्राप्त नहीं होगी”।
प्रमुख रचनायें
- अज्ञात ‘, ‘राम’ और सबसे प्रसिद्ध ‘बिस्मिल’ (जिसका अर्थ है ‘घायल’, ‘बेचैन’) जैसे उपनामों से हिंदी और उर्दू में देशभक्ति की कविताएँ लिखीं।
- आर्य समाज के मिशनरी भाई परमानंद को दी गई मौत की सजा पर अपना गुस्सा व्यक्त करने के लिए 18 साल की उम्र में अपनी पहली कविता ‘मेरा जन्म ‘ लिखी थी।
- देशवासियों ‘ शीर्षक से एक पुस्तिका प्रकाशित की, उन्होंने 1918 में अपनी कविता ‘मैनपुरी की प्रतिज्ञा’ के साथ ‘श्रीमती के नाम’ की रचना की तथा संगठनों के लिए धन एकत्र करने के लिए इसे वितरित किया।
- लखनऊ सेंट्रल जेल में बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा लिखी, जिसे हिंदी साहित्य में सर्वश्रेष्ठ कृतियों में से एक माना जाता है, और उन्होंने “मेरा रंग दे बसंती चोला” नामक गीत भी लिखा।
- सरफ़रोशी की तमन्ना’ भी लिखी जो स्वतंत्रता सेनानियों का गान बन गया।