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सामान्य अध्ययन -3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव आकलन।

संदर्भ: केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों (TPP) में नगर निकाय ठोस अपशिष्ट (MSW) से प्राप्त बायोमास और टॉरेफाइड चारकोल के सह-दहन (Co-Firing) पर एक व्यापक नीति पेश की।

अन्य संबंधित जानकारी

  • अनुमान है कि भारत में प्रतिवर्ष 750 मिलियन टन बायोमास उपलब्ध होता है जिसमें से 230 मिलियन टन को अधिशेष कृषि अवशेष है।
  • भारत के शहरी क्षेत्रों में प्रतिदिन लगभग 1.5 लाख टन नगरनिगम ठोस अपशिष्ट (MSW) उत्पन्न होता है (2023), जिसमें से लगभग 75% संसाधित किया जाता है, जबकि शेष 25% अप्रबंधित रहता है।

नीति के प्रमुख प्रावधान

  • उद्देश्य: इस नीति का उद्देश्य अतिरिक्त कृषि अवशेष और अप्रबंधित नगरपालिका अपशिष्ट का उपयोग करके उत्सर्जन में कटौती करना और स्वच्छ भारत मिशन के लक्ष्यों को पूरा करना  है।
  • अनिवार्य सह-दहन: वित्त वर्ष 2025–26 से, कोयला आधारित तापीय विद्युत् संयंत्रों के लिए कोयले के साथ बायोमास और/या MSW-व्युत्पन्न चारकोल का सह-दहन करना अनिवार्य होगा।
  • सम्मिश्रण प्रतिशत:
  • NCR में:  5% बायोमास पेलेट का सम्मिश्रण अनिवार्य है। इसके साथ ही अतिरिक्त 2% सम्मिश्रण बायोमास पेलेट और/या MSW-आधारित टॉरेफाइड चारकोल का होना चाहिए।
  • NCR के बाहर न्यूनतम 5% सम्मिश्रण बायोमास पेलेट और/या MSW-आधारित टॉरेफाइड चारकोल अनिवार्य है।
  • ईंधन स्रोत (NCR विशेष): NCR और इसके आसपास के संयंत्रों के लिए, बायोमास पेलेट कच्चे माल का कम से कम 50%, NCR और आस-पास के क्षेत्रों से फसल अवशेष के रूप में प्राप्त किया होना चाहिए।
  • नीति प्रतिस्थापन: यह नई व्यापक नीति पूर्व की सभी बायोमास सह-दहन नीतियों को प्रतिस्थापित करती है।
  • छूट: संयंत्र आवश्यकतानुसार मामलों के आधार पर छूट के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिनकी समीक्षा एक समिति द्वारा की जाएगी।
  • भावी समीक्षा: उपलब्ध अतिरिक्त बायोमास और टॉरेफाइड चारकोल के आधार पर भविष्य में सह-दहन प्रतिशत की समीक्षा की जाएगी।

सह-दहन (Co-firing) की चुनौतियाँ और संबंधित जोखिम

  • तकनीकी समस्याएँ: MSW-चारकोल में अक्सर क्लोरीन, क्षारीय धातु और अन्य अशुद्धियाँ होती हैं, जिससे बॉयलरों में जंग लग लगने के साथ ही उनके स्थायित्व और दक्षता में भी कमी आ सकती है।
  • प्रदूषण उत्सर्जन: डाइऑक्सिन, फ्यूरान, भारी धातु और अम्लीय गैसों के उत्सर्जन का जोखिम बढ़ सकता है अतः इनसे निपटने के लिए सख्त प्रदूषण निगरानी उपायों की आवश्यकता होती है।
  • फीडस्टॉक की गुणवत्ता: यदि स्रोत पर प्रभावी पृथक्करण न हो, तो संदूषित कचरे से तैयार टॉरेफाइड चारकोल में विषाक्त तत्व मौजूद रह सकते हैं।
  • अवसंरचना संबंधी आवश्यकताएँ: विद्युत् संयंत्र की निगरानी प्रणालियों में सुधार करना पड़ सकता है, विशेष रूप से उन प्रदूषकों को ट्रैक करने के लिए जिन्हें वर्तमान में नियमित रूप से मापा नहीं जाता।

आगे की राह

  • कचरा पृथक्करण और फीडस्टॉक गुणवत्ता में सुधार: MSW-व्युत्पन्न चारकोल के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता मानक स्थापित करना ताकि क्लोरीन और भारी धातु जैसी अशुद्धियाँ बॉयलरों में प्रवेश न कर सकें।
  • MSW चारकोल के लिए सुदृढ़ आपूर्ति श्रृंखला विकसित करना: विद्युत् संयंत्र और अपशिष्ट-प्रसंस्करण सुविधाओं के बीच दीर्घकालिक खरीद अनुबंध कराकर आपूर्ति स्थिरता सुनिश्चित करना।
  • नियामक निगरानी तंत्र की स्थापना: प्रदर्शन और पर्यावरणीय प्रभाव की नियमित समीक्षा के लिए समर्पित अंतर-मंत्रालयीय निगरानी तंत्र स्थापित करना।
  • तापीय विद्युत् संयंत्रों की तकनीकी क्षमता बढ़ाना: आवश्यक सुधारों के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करना, जिसमें MSW-चारकोल के लिए बेहतर संचालन और भंडारण प्रणाली विकसित करना शामिल है।

Sources:
Down To Earth
Energetica

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