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सामान्य अध्ययन -3: देश के विभिन्न हिस्सों में प्रमुख फसलें और फसल का पैटर्न, सिंचाई के विभिन्न प्रकार और सिंचाई प्रणाली, कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन और विपणन तथा इससे संबंधित मुद्दे और बाधाएँ; किसानों

संदर्भ:  केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत जंगली जानवरों के हमलों और धान में जलभराव के कारण फसलों को होने वाले नुकसान को कवर करने के उपायों को मान्यता दी है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • मंत्रालय ने कहा कि संशोधित ढांचे में जंगली जानवरों के हमलों से फसलों को होने वाले नुकसान को अब स्थानीय जोखिम‘ (Localised Risk) श्रेणी के तहत पाँचवें एड-ऑन कवरके रूप में मान्यता दी जाएगी।
  • नए दिशानिर्देशों को 2026 के खरीफ मौसम से लागू किया जाएगा।
  • किसानों को फसल बीमा ऐप का उपयोग करके जियो टैग किए गए फोटो अपलोड करके नुकसान की रिपोर्ट 72 घंटे के भीतर करनी होगी।
  • राज्य उन जंगली जानवरों की सूची जारी करेंगे जो फसल नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं और ऐतिहासिक डेटा के आधार पर संवेदनशील जिले या बीमा इकाइयों की पहचान करेंगे।
  • नैतिक जोखिम (moral hazard) की चिंताओं और जलमग्न फसलों का आकलन करने में कठिनाई आने के कारण धान में जलभराव को 2018 में स्थानीय प्रकोप की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)

  • प्रमुख विशेषताएँ:
  • शुभारंभ और नीतिगत ढांचा: PMFBY केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे 2016 में लॉन्च किया गया और यह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होती है परन्तु इसमें राज्य और किसान दोनों की स्वैच्छिक भागीदारी होती है।
  • उद्देश्य: इसका लक्ष्य किसानों पर प्रीमियम के बोझ को कम करना और शीघ्र दावों का शीघ्र निपटान सुनिश्चित करना है, जिससे अंततः किसानों की आय स्थिर हो और वे आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित हों।
  • कार्यान्वयन और प्रशासन: यद्यपि यह केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करती है, तथापि इसका कार्यान्वयन प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा किया जाता है।”
  • कवरेज और पात्रता: इस योजना के अंतर्गत सभी खाद्य फसलों, तिलहन और वाणिज्यिक/बागवानी फसलों को कवर किया गया है, जिसमें काश्तकार और बटाईदार किसान भी शामिल हैं।
  • संस्थागत ऋण वाले किसानों के लिए यह अनिवार्य है और अन्य किसानों के लिए स्वैच्छिक है, साथ ही इसके लाभ उन किसानों को भी मिलते हैं जो अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसलें उगाते हैं।
  • तकनीकी नवाचार:
  • सुदूर संवेदन और उपग्रह इमेजिंग: फसल के नुकसान के प्रमाण, नुकसान का आकलन और फसल के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए इन तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जो नुकसान के आकलन की गुणवत्ता में सुधार करती हैं और लेन-देन की लागत को कम करती हैं।
  • फसल को हुए नुकसान का आकलन: सेटेलाइट इमेज, ड्रोन और सुदूर संवेदन तकनीकों का उपयोग फसल को हुए नुकसान का सटीक मूल्यांकन करने और दावा प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए किया जाता है।
  • वित्तीय पहलू और किसानों को लाभ:
  • प्रीमियम की सीमा: इस योजना के तहत किसान खरीफ फसलों के लिए 2%, रबी फसलों के लिए 1.5% और वाणिज्यिक/बागवानी फसलों के लिए 5% तक प्रीमियम का भुगतान करते हैं, जिससे उन पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ में कमी आती है।
  • दावों का भुगतान: शुरुआत से ही इस योजना ने 36 करोड़ से अधिक आवेदन निपटाए गए और 1.82 लाख करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया गया, जो किसानों की आय सुरक्षा में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।”
  • शिकायत निवारण: प्रतिक्रिया तंत्र को सुधारने के लिए, किसानों की शिकायतों और उनकी सहायता के लिए कृषक रक्षक पोर्टल और हेल्पलाइन (KRPH) विकसित किए गए ह
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