संदर्भ :

हाल ही में, आंध्र प्रदेश के त्रिपुरा में वार्षिक उत्सव गंगम्मा जतरा मनाया गया।    

गंगा जतरा (Ganga Jatara) के बारे में

  • यह सात दिवसीय उत्सव 14 मई से 22 मई तक चलेगा। इसे इस वर्ष विधानसभा और आम चुनावों के कारण एक सप्ताह तक स्थगित कर दिया गया था।
  • यह एक वार्षिक उत्सव है, जो “चतिम्पू” (Chatimpu) – ढोल की थाप के साथ एक पारंपरिक घोषणा – से शुरू होता है।
  • इस उत्सव के दौरान पूरे शरीर पर चाक, चंदन, कुमकुम और कोयले का लेप लगाकर नियमित रूप जेने की मंदिर जाने की प्रथा है।
  • इस उत्सव के दौरान महिलाएँ ‘नव दुर्गा’ की प्रतिमाएँ लेकर यात्रा में शामिल थीं।
  • इस लोक उत्सव का उद्देश्य ‘ ग्राम देवता’ को प्रसन्न करना है।

गंगम्मा (Gangamma) के बारे में

  • श्री ततैयागुंटा गंगम्मा/श्री तथैया गुंटा गंगम्मा तिरुपति शहर की ग्राम देवी हैं ।
  • वह भगवान वेंकटेश्वर की बहन हैं और उन्हें ‘नारी शक्ति’ के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।
  • ऐसी मान्यता है कि देवता अविलाला गाँव (Avilala Village) से संबंधित हैं तथा गाँव के बुजुर्ग लोग “सारे”, हल्दी, चूड़ियाँ, साड़ी और अन्य शुभ वस्तुओं का एक संग्रह लेकर एक जुलूस के साथ तात्यागुंटा गंगम्मा मंदिर पहुँचते है।
  • तथयागुंटा (Thathayagunta), वह तालाब जिस पर अब मंदिर स्थित है, इसका नाम ‘तिरुमाला तथचार्युलु’ (Tirumala Thathacharyulu) नामक एक वैष्णव भक्त के नाम पर पड़ा, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 16वीं शताब्दी में देवता की प्राण प्रतिष्ठा की थी।

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