
अन्य संबंधित जानकारी:
- इस पहल का उद्देश्य सेवा निर्यातकों की वैश्विक पहुंच का विस्तार करना और भारत के सेवा व्यापार में उत्तर प्रदेश की भूमिका को सुदृढ़ करना है।
- राज्य सरकार के अनुसार, योजना की शुरुआत के साथ ही उत्तर प्रदेश सेवा निर्यात के लिए विशेष रूप से विशिष्ट विपणन सहायता नीति शुरू करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है।
योजना के उद्देश्य:

- विपणन विकास सहायता योजना के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
- सेवा निर्यातकों की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उपस्थिति का विस्तार करना।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता और विपणन (मार्केटिंग) क्षमताओं को बढ़ाना।
- अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सेवा की गुणवत्ता में सुधार करना।
- राज्य के भीतर रोजगार और निवेश के अवसरों का सृजन करना।
पात्र लाभार्थी और कवरेज
- इस योजना से निम्नलिखित के साथ पंजीकृत सेवा निर्यातकों को लाभ मिलेगा:
- निर्यात संवर्धन ब्यूरो, उत्तर प्रदेश (UPEPB), और
- उत्तर प्रदेश निर्यात संवर्धन परिषद
- पात्र निर्यातकों को भारत सरकार द्वारा चिन्हित 12 ‘चैंपियन सेवा क्षेत्रों में सेवाओं के निर्यात में संलग्न होना चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी के लिए वित्तीय सहायता
- इस नीति के तहत, निर्यातक विदेश में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों, प्रदर्शनियों और क्रेता-विक्रेता सम्मेलनों में भाग लेने के लिए स्टाल किराए में लेने हेतु 75% तक की वित्तीय सहायता राशि (अधिकतम ₹2 लाख) प्राप्त करने के लिए पात्र हैं। इसके साथ ही, एक प्रतिभागी को इकोनॉमी-क्लास हवाई यात्रा के लिए 75% तक की सहायता राशि (अधिकतम ₹1 लाख) दी जाएगी।
- देश के भीतर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों के लिए, स्टाल किराए में लेने हेतु ₹2.5 लाख तक की सहायता और यात्रा व्यय के लिए ₹25,000 की सहायता प्रदान की जाती है।
- यह योजना आयोजन करने वाली एजेंसियों को भी सहायता प्रदान करती है, जिसके तहत विदेश में आयोजित कार्यक्रमों के लिए कुल व्यय का 75% तक (अधिकतम ₹1 करोड़) और भारत के भीतर आयोजित इसी तरह के कार्यक्रमों के लिए ₹75 लाख तक की सहायता राशि दी जाती है, जिसमें कम से कम 20 सेवा-निर्यात इकाइयों की भागीदारी अनिवार्य है।

