संबंधित पाठ्यक्रम
सामान्य अध्ययन-3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
संदर्भ: हाल ही में, समुद्रयान परियोजना के प्रशिक्षण के तहत, दो भारतीय जलयात्रियों ने फ्रांसीसी पोत ‘नॉटाइल’ पर सवार होकर अटलांटिक महासागर में गहरे समुद्र में गोता लगाया।
अन्य संबंधित जानकारी
• यह मिशन भारत की समुद्रयान परियोजना की तैयारियों के हिस्से के रूप में संचालित किया गया था।
• कमांडर (सेवानिवृत्त) जतिंदर पाल सिंह ने 5,002 मीटर की गहराई तक सफलतापूर्वक गोता लगाया, जबकि आर. रमेश समुद्र तल से 4,025 मीटर नीचे पहुँचे।
• इन गोतों से प्राप्त अनुभव और परिचालन संबंधी जानकारी भारत की गहन समुद्र अन्वेषण की क्षमताओं में प्रत्यक्ष रूप से योगदान देगी।
समुद्रयान परियोजना के बारे में
• यह परियोजना भारत का पहला मानवयुक्त गहन समुद्र मिशन है जिसका लक्ष्य गहन समुद्र मिशन (DOM) के तहत 2027 तक तीन मनुष्यों को 6,000 मीटर की गहराई तक भेजना है।

• इस परियोजना में मत्स्य-6000 नामक एक चालक दल युक्त पनडुब्बी (submersible) विकसित की जाएगी जो तीन जलयात्रियों को हिंद महासागर में 6,000 मीटर तक की गहराई तक ले जा सकती है।
• इसका मुख्य लक्ष्य मैंगनीज, कोबाल्ट, निकल और दुर्लभ मृदा तत्वों से समृद्ध पॉलीमेटेलिक नोड्यूल जैसे संसाधनों का पता लगाना और उनका दोहन करना है, साथ ही गहरे समुद्र की जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र का अध्ययन करना भी है।
• यह परियोजना उन्नत निर्माण प्रौद्योगिकी (advanced fabrication technology) में इसरो के सहयोग राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (जो पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत आता है) द्वारा विकसित की जा रही है।
परियोजना के उद्देश्य
• मानवयुक्त पनडुब्बी, गहरे समुद्र में खनन और पानी के भीतर चलने वाले वाहनों तथा पानी के भीतर रोबोटिक्स के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास,
• महासागरीय जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं का विकास,
• गहरे समुद्र में जैव विविधता के अन्वेषण और संरक्षण के लिए तकनीकी नवाचार,
• गहरे समुद्र का सर्वेक्षण और अन्वेषण (और अनुसंधान पोत),
• समुद्र से ऊर्जा और मीठा पानी।
• महासागरीय जीव विज्ञान के लिए उन्नत समुद्री स्टेशन।
परियोजना का महत्त्व
• सामरिक: इससे भारत मानवयुक्त गहरे समुद्र अन्वेषण वाले विशिष्ट देशों (अमेरिका, रूस, चीन, जापान, फ्रांस) की श्रेणी में शामिल हो जाएगा।
• आर्थिक: बैटरी, इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण खनिजों (निकल, कोबाल्ट, दुर्लभ मृदा) तक पहुँच।
• तकनीकी: पानी के भीटर रोबोटिक्स, धातु विज्ञान और संचार में स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देती है।
• नीली अर्थव्यवस्था: भारत की 11,000 किलोमीटर लंबी तटरेखा और समुद्र पर निर्भर अर्थव्यवस्था का समर्थन करती है।
परियोजना की चुनौतियाँ
• अत्यधिक दाब : लगभग 6,000 मीटर की गहराई पर समुद्र तल का दाब सतही दाब से लगभग 600 गुना अधिक होता है; इस स्तर पर कार्य करने वाले उपकरणों के लिए अत्यधिक परिशुद्ध निर्माण आवश्यक होता है — यहाँ तक कि मात्र 0.2 मिमी का विचलन भी संरचना के ढहने का कारण बन सकता है।”
• सामग्री संबंधी बाधाएँ: टाइटेनियम मिश्र धातु की कमी और सीमित वैश्विक साझाकरण।
• संचार: ध्वनिक प्रणालियाँ जल लवणता और तापमान में परिवर्तन के प्रति संवेदनशील।
• स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ: सीमित भोजन/पानी का सेवन; शारीरिक सहनशक्ति महत्वपूर्ण है।
मस्त्य 600
• यह एक स्व-चालित मानवयुक्त पनडुब्बी है जो तीन व्यक्तियों को समुद्र की सतह से 6,000 मीटर नीचे तक ले जाने में सक्षम है।
• इस पनडुब्बी की परिचालन अवधि 12 घंटे है और आपातकालीन परिस्थितियों में यह 96 घंटे तक काम कर सकती है।
• यह मानव-युक्त वाहन (HOV), एक गोलाकार टाइटेनियम-मिश्र धातु का जहाज है।
• इसे राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC), इसरो के सहयोग से विकसित किया जा रहा है।
