संदर्भ:
हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, अकेले इस सदी में वैश्विक स्तर पर हिमनदों से पिघलने वाली बर्फ के कारण समुद्र जल स्तर लगभग 2 सेंटीमीटर बढ़ा है।
अन्य संबंधित जानकारी
- यह शोध पत्र नेचर पत्रिका में “कम्युनिटी एस्टीमेट ऑफ ग्लोबल ग्लेशियर मास चेंजेज फ्रॉम 2000 टू 2023” शीर्षक से प्रकाशित हुआ।
- नवीनतम शोध ग्लेशियर मास बैलेंस इंटरकंपैरिजन एक्सरसाइज़ जिसे ग्लैम्बी (Glambie) के नाम से जाना जाता है, का हिस्सा है, जो क्षेत्रीय मापनों और ऑप्टिकल, रडार एवं लेज़र उपग्रह मिशनों से प्राप्त डेटा को एकत्रित और विश्लेषण करता है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिन्दु
शोध के अनुसार, 2000 से 2023 के बीच विश्वभर के हिमनदों से कुल 6.542 ट्रिलियन टन बर्फ पिघली, जिससे वैश्विक समुद्र जल स्तर में 18 मिमी (0.7 इंच) की वृद्धि हुई।
- समुद्र जल स्तर में वृद्धि वस्तुतः महासागर की सतह की औसत ऊंचाई में वृद्धि है, जिसे पृथ्वी के केंद्र से मापा जाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, हिमनदों से प्रत्येक वर्ष लगभग 273 बिलियन टन बर्फ पिघल रही है।
पिछले दशक की तुलना में 2012 और 2023 के बीच 36% अधिक बर्फ पिघली है।
समुद्र जल स्तर में वृद्धि 1993 में 0.18 सेमी प्रति वर्ष से दोगुने से अधिक बढ़कर वर्तमान में 0.42 सेमी प्रति वर्ष हो गयी है।
क्षेत्रीय स्तर पर बर्फ के ह्रास में काफी भिन्नता रही; अंटार्कटिक और उप-अंटार्कटिक द्वीपों में 2% की हानि हुई, लेकिन मध्य यूरोप के हिमनदों में 39% की हानि हुई।
भारत के तटीय शहरों पर समुद्र जल स्तर में वृद्धि का प्रभाव
बेंगलुरु स्थित सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (CSTEP) की 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार:
- पिछले कुछ वर्षों में भारत के तटीय शहरों में समुद्र जल स्तर में वृद्धि देखी गई है।
- मुंबई में 1987 से 2021 के बीच समुद्र जल स्तर में सबसे अधिक 4.44 सेमी की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे यह भारत के सबसे अधिक प्रभावित शहरों में शामिल हो गया।
- मुंबई समुद्र तल से लगभग 10 मीटर की औसत ऊंचाई पर स्थित है, जिससे यह भविष्य में समुद्र जल स्तर में वृद्धि के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो जाता है।
- प्रभावित अन्य शहर निम्न हैं:
- पश्चिम बंगाल का हल्दिया: 2.726 सेमी वृद्धि
- आंध्र प्रदेश का विशाखापत्तनम: 2.381 सेमी वृद्धि
- केरल का कोच्चि: 2.213 सेमी वृद्धि
समुद्र जल स्तर में वृद्धि का मुख्य कारण
- ग्लोबल वार्मिंग और हिमनदों का पिघलना : ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमनद और हिम चादरें तेजी से पिघल रही हैं। 2000 के बाद से, क्षेत्रीय स्तर पर हिमनदों की बर्फ में 2% से 39% तक की कमी आई है, जबकि वैश्विक स्तर पर लगभग 5% बर्फ पिघली है।
- समुद्री जल का ऊष्मीय प्रसार: इसके तहत, वैश्विक तापमान बढ़ रहा है, महासागर गर्म हो रहे हैं, और परिणामस्वरूप जल की मात्रा भी बढ़ रही है।
समुद्र जल स्तर में वृद्धि का प्रभाव
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- समुद्र जल स्तर में प्रत्येक सेंटीमीटर की वृद्धि से हमारे ग्रह पर लगभग 20 लाख लोग वार्षिक बाढ़ के जोखिम में आ जाते हैं।
- समुद्र जल स्तर में वृद्धि चरम मौसमी घटनाओं के खतरे को बढ़ा देती है। जब कोई चक्रवात या बड़ा तूफान आता है, तो जल स्तर बढ़ जाता है और तेज़ हवाएँ जल को अन्तर्देशीय क्षेत्र की ओर धकेलती हैं, जिसे तूफ़ानी महोर्मि (storm surge) कहा जाता है।
- समुद्र जल स्तर में वृद्धि से तटीय क्षरण बढ़ता है, जिससे भारी आर्थिक और संपत्ति हानि होती है।
- समुद्र का जलस्तर बढ़ने के कारण खारे पानी का प्रवाह भूमिगत मीठे पानी के स्रोतों, जैसे कि जलभृतों, में हो रहा है, जिससे तटीय क्षेत्रों में पेयजल के दूषित होने का खतरा बढ़ रहा है।