संदर्भ:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा तैयार की गई एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र ने पिछले दशक में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 24 बिलियन डॉलर (20,000 करोड़ रुपये) का रिकॉर्ड प्रत्यक्ष योगदान दिया है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • यह रिपोर्ट 23 अगस्त, 2024 को नई दिल्ली में प्रथम राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस समारोह के दौरान प्रस्तुत की गई।
  • यह रिपोर्ट इसरो द्वारा वर्ष 2014-2023 तक अंतरिक्ष क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए शुरू की गई थी।
  • यह अध्ययन भारतीय अर्थशास्त्र अनुसंधान फर्म ईकॉनवन (econONE) और नोवास्पेस (Novaspace) द्वारा किया गया था।

मुख्य निष्कर्ष

  • भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र ने वर्ष 2014-2023 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में सीधे 24 बिलियन डॉलर का योगदान दिया है।
  • इस क्षेत्र ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में 96,000 नौकरियों में सहायता प्रदान की है।
  • अंतरिक्ष क्षेत्र द्वारा अर्जित प्रत्येक डॉलर पर 2.54 डॉलर का आर्थिक गुणक प्रभाव।
  • भारतीय अंतरिक्ष कार्यबल व्यापक औद्योगिक कार्यबल की तुलना में 2.5 गुना अधिक उत्पादक है।
  • संचार उपग्रहों ने अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में 54% योगदान दिया, इसके बाद नौवहन (26%) और प्रक्षेपण (11%) का स्थान रहा।
  • अंतरिक्ष क्षेत्र द्वारा समर्थित मुख्य उद्योग दूरसंचार (25%), सूचना प्रौद्योगिकी (10%) और प्रशासनिक सेवाएं (7%) थे।

भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र

  • भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को दशकों से लगातार निवेश का लाभ मिला है, पिछले दशक में 13 बिलियन डॉलर का निवेश किया गया है। वित्तपोषण के मामले में यह दुनिया की 8वीं सबसे बड़ी अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था है।
  • भारत के अंतरिक्ष उद्योग में विस्तार और गतिविधियों की व्यापक श्रृंखला चल रही है।
  • भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र विविधतापूर्ण हो रहा था तथा अब इसमें 200 स्टार्ट-अप सहित 700 से अधिक कंपनियां हैं और वर्ष 2023 में इसका राजस्व बढ़कर 6.3 बिलियन डॉलर हो गया है, जो वैश्विक अंतरिक्ष बाजार का लगभग 1.5% है।
  • अनुमान है कि अगले दशक में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था पांच गुना बढ़कर 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगी।

भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार

  • नई अंतरिक्ष नीति 2023: यह निजी कंपनियों को उपग्रहों के प्रक्षेपण से लेकर जमीनी बुनियादी ढांचे के संचालन तक की संपूर्ण अंतरिक्ष गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति देता है, जो भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।
  • भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) की स्थापना वर्ष 2020 में की गई थी, ताकि निजी अंतरिक्ष गतिविधियों को अधिकृत करने और बढ़ावा देने के लिए एकल-स्थल एजेंसी के रूप में काम किया जा सके।
  • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण और प्रक्षेपण यानों के विनिर्माण के लिए वर्ष 2020 में न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) की भी स्थापना की गई थी।

भारत के आगामी मिशन

  • भारत वर्ष 2025 में गगनयान मिशन से पहले अंतरिक्ष यात्री कार्यों को करने के लिए वर्ष 2024 में अपनी महिला मानव रोबोट, वायुमित्र को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रहा है।
  • भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन: भारत का लक्ष्य वर्ष 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना है, जिससे मानव अंतरिक्ष उड़ान में इसकी क्षमताओं में वृद्धि होगी।
  • वर्ष 2040 तक चन्द्रमा पर उतरना: देश ने वर्ष 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चन्द्रमा पर उतारने का लक्ष्य रखा है, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में उसकी दीर्घकालिक महत्वाकांक्षाओं को प्रदर्शित करता है।

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