सन्दर्भ:
संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध निकाय राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं के वैश्विक गठबंधन (Global Alliance of National Human Rights Institutions-GANHRI) ने लगातार दूसरे वर्ष भारत के राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की पुनः मान्यता को टाल दिया।
मुख्य अंश
- संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधित्व पर प्रभाव: मान्यता के बिना राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत का प्रतिनिधित्व करने में असमर्थ होगा।
- राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का स्पष्टीकरण: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जोर देकर कहा कि यह स्थगन राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं के वैश्विक गठबंधन के भीतर एक उप-समिति द्वारा उठाया गया एक प्रक्रियात्मक कदम है और पुनः मान्यता प्रक्रिया जारी है। वे पेरिस सिद्धांतों के पालन के बारे में उठाई गई चिंताओं को दूर करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
- पेरिस सिद्धांत: वर्ष 1991 में अपनाए गए इन पेरिस सिद्धांतों ने राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानक निर्धारित किए तथा सरकारी प्रभाव से स्वतंत्रता पर बल दिया।
भारत का राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
- स्थापना: 1993 (मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम के अनुसार), बाद में 2006 में संशोधित किया गया।
- कार्य: भारत के मानवाधिकार प्रहरी के रूप में कार्य करने वाला एक स्वतंत्र वैधानिक निकाय।
- पेरिस सिद्धांतों का अनुपालन: पेरिस सिद्धांतों के अनुसार स्थापित और 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा समर्थित।
- पिछला स्थगन: वर्ष 2016 में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के भीतर राजनीतिक नियुक्तियों और लैंगिक असंतुलन के बारे में राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं के वैश्विक गठबंधन की चिंताओं के कारण इसी तरह का स्थगन हुआ, जिसे अंततः हल कर लिया गया।
पृष्ठभूमि
- राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं के वैश्विक गठबंधन समीक्षा: यह गठबंधन प्रत्येक पांच वर्ष में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा पेरिस सिद्धांतों के अनुपालन की समीक्षा करता है।
- राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का मान्यता इतिहास: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को पहली बार वर्ष 1999 में “ए” दर्जा प्राप्त हुआ था और वर्ष 2006, वर्ष 2011 और वर्ष 2017 (एक वर्ष के स्थगन के बाद) सहित बाद की समीक्षाओं के माध्यम से इस दर्जे को बनाए रखा गया।
राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं का वैश्विक गठबंधन
- राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थाओं (NHRCs) ने वर्ष 1993 में ट्यूनिस में राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं का वैश्विक गठबंधन (GANHRI) का गठन किया।
- इसे पहले मानव अधिकारों के प्रचार और संरक्षण के लिए संस्थानों की अंतर्राष्ट्रीय समन्वय समिति के रूप में जाना जाता था।
- राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं का वैश्विक गठबंधन दुनिया भर में राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं की भूमिका को बढ़ावा देता है।
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों को वर्ष 1946 से ही मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण में प्रमुख भूमिका निभाने वाले संस्थानों रूप में मान्यता दिया जाता रहा है।
- वर्ष 1991 में मानवाधिकारों के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए राष्ट्रीय संस्थाओं पर संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1993 में पेरिस सिद्धांतों को अपनाया।