K-4 मिसाइल

संदर्भ: हाल ही में, भारत ने बंगाल की खाड़ी में परमाणु चालित पनडुब्बी INS अरिघातसे परमाणु-चालित पनडुब्बी से प्रक्षेपित की जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) K-4 (कलाम-4) का सफल परीक्षण किया ।

अन्य संबंधित जानकारी

  • 29 अगस्त, 2024 को भारतीय नौसेना में शामिल की गई K-4 SLBM को बनाने में अग्नि-III बैलिस्टिक मिसाइल जैसी सफल तकनीक का उपयोग किया गया है।
    • सबमरीन-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) एक ऐसी रणनीतिक हथियार प्रणाली है जिसे विशेष रूप से पनडुब्बी से प्रक्षेपित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • K-4 SLBM प्रणाली को विशेष तौर पर पनडुब्बी से पानी के नीचे रहते हुए प्रक्षेपित करने के लिए बनाया गया है। इसकी विशेष तकनीक की मदद से यह पनडुब्बी के वर्टिकल लॉन्च ट्यूब (साइलो) से आसानी से बाहर निकलकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ सकती है।
  • इससे पहले, नवंबर 2024 में, सामरिक बल कमान ने उस समय नई शामिल की गई परमाणु पनडुब्बी INS अरिघात से 3,500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली मिसाइल K-4 के प्रक्षेपण का परीक्षण किया था।
    • INS अरिघात, अरिहंत श्रेणी की दूसरी परमाणु संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी है और यह भारत की सामरिक बल कमान का मुख्य आधार है।
  • K-4 भारत के न्यूक्लियर ट्रायड (परमाणु त्रय) का सबसे स्टील्थ हिस्सा है, जिसमें सतह आधारित मिसाइलें, हवा से गिराए जाने वाले परमाणु हथियार और समुद्र आधारित प्रणालियाँ शामिल हैं। यह भारत की सेकंड स्ट्राइक‘ (जवाबी कार्रवाई) क्षमता को बढ़ाती है।
    • परमाणु रणनीति में, प्रतिशोधात्मक प्रहार या जवाबी-कार्रवाई की क्षमता किसी देश की वह सुनिश्चित क्षमता है, जिसके द्वारा वह स्वयं पर हुए परमाणु हमले का जवाब हमलावर के विरुद्ध शक्तिशाली परमाणु प्रतिशोध के साथ देने में सक्षम होता है।

कलाम श्रृंखला की मिसाइलों के बारे में

  • K-4 और अन्य K-श्रृंखला की मिसाइलों में ‘K’ अक्षर भारत के पूर्व राष्ट्रपति और इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) के वास्तुकार, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के प्रति सम्मान का द्योतक है।
  • K-4, सामरिक बलों द्वारा तैनात की गई दूसरी परिचालन SLBM है।
    • भारत की पहली कार्यात्मक SLBM 750 किमी. की मारक क्षमता वाली K-15 (जिसे BO-5 के नाम से भी जाना जाता है) थी ।
  • DRDO द्वारा विकसित K-15 मिसाइल को मुख्य रूप से INS अरिहंत और INS अरिघात जैसी परमाणु संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों (SSBNs) से प्रतिशोधात्मक परमाणु हमलों के लिए डिज़ाइन किया गया था।
  • K-15 लगभग 1 टन तक का परमाणु हथियार ले जा सकती है, जो मुख्य रूप से जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली द्वारा निर्देशित होती है, और सटीकता बढ़ाने के लिए इसे टर्मिनल होमिंग (Terminal Homing) से भी लैस किया जा सकता है।
  • DRDO 6,000 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली ‘K-6’ नामक मिसाइल भी विकसित कर रहा है।

भारत 2047–48 तक $26 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने की राह में अग्रसर

संदर्भ: हाल ही में, अर्न्स्ट एंड यंग की एक रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारत 2047-48 तक 26 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर ($26 Trillion) की अर्थव्यवस्था बन सकता है। इसके साथ ही, लगभग 6% प्रति वर्ष की स्थिर औसत विकास दर के साथ भी, भारत की प्रति व्यक्ति आय $15,000 से अधिक हो सकती है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • भारत 2030 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बाद, अब यह प्रमुख विकास कारकों और निरंतर उच्च विकास दर के माध्यम से इस लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।
  • यह इसकी आर्थिक उदारीकरण की नीतियों के कारण संभव हुआ है, जिन्होंने अर्थव्यवस्था को अधिक बाजार-उन्मुख बनाया, निजी पूंजी की भूमिका का विस्तार किया और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाया।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • पिछले दो दशकों में भारत के सेवा निर्यात में 14 प्रतिशत की वार्षिक औसत वृद्धि दर्ज की गई है और 2021-22 में यह $254.5 बिलियन रही
    • सेवा निर्यात में एक बड़ी हिस्सेदारी सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (BPO) सेवाओं की है, जिनका निर्यात 2021-22 में $157 बिलियन का रहा।
  • भारत अधिक कौशल-गहन और तेजी से डिजिटल होती सेवाओं की पेशकश करके इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह तैयार है।
  • भारतीय और वैश्विक आईटी फर्मों के परामर्श, अनुभव, फुल-स्टैक डिजिटल इंजीनियरिंग, इंडस्ट्री 4.0 उत्पाद विकास, और उन्नत बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट जैसे उच्च-लागत वाले क्षेत्रों में विस्तार करने की उम्मीद है।
  • भारत के पास गैर-आईटी सेवा क्षेत्रों में भी एक बड़ा अवसर है; शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों को लाभ होने की उम्मीद है, जहाँ सेवाओं का वितरण डिजिटल माध्यमों से किया जा रहा है।
  • सरकार द्वारा डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता दिए जाने और देश में मौजूद 1.2 बिलियन टेलीकॉम व 837 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के आधार ने भारत में एक मजबूत डिजिटल इकोनॉमी की नींव रखी है।
  • रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया है कि पिछले एक दशक में भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के निर्माण में सरकार ने निरंतर सहयोग किया है और इससे महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ प्राप्त हुए हैं, जिससे नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा मिला है।
  • वर्ष 2014 से 2019 के मध्य, भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था में वास्तविक अमेरिकी डॉलर के मूल्य में 15.6% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई, जो संपूर्ण भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर की तुलना में 2.4 गुना अधिक तीव्र है।

DAC ने 79,000 करोड़ लागत के रक्षा खरीद प्रस्ताव को मंजूरी दी  

संदर्भ: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में 29 दिसंबर 2025 को हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक में, भारतीय सशस्त्र बलों की परिचालन क्षमता को सुदृढ़ करने हेतु ₹79,000 करोड़ के खरीद प्रस्तावों को ‘आवश्यकता की स्वीकृति’ (AoN) प्रदान की गई।

अन्य संबंधित जानकारी

  • भारतीय सेना की परिचालन क्षमता को बढ़ाने के लिए, रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने हाल ही में ₹79,000 करोड़ के कुल बजट में से सेना के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण हथियारों और प्रणालियों की खरीद को मंजूरी दी है:
    • आर्टिलरी रेजिमेंट के लिए लॉइटर म्यूनिशन सिस्टम: सामरिक लक्ष्यों के विरुद्ध सटीक हमले की क्षमता।
    • लो-लेवल लाइट वेट रडार: छोटे लक्ष्यों का पता लगाने और उन्हें ट्रैक करने की सेना की क्षमता को बढ़ाने के लिए।
    • पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (MRLS) के लिए लंबी दूरी का गाइडेड रॉकेट गोला-बारूद: पिनाका MRLS की रेंज और सटीकता में सुधार करने के लिए, जिससे महत्वपूर्ण सामरिक लक्ष्यों पर सटीक हमला किया जा सके।
    • इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम (IDDIS) Mk-II: सामरिक युद्ध क्षेत्रों और आंतरिक क्षेत्रों, दोनों ही स्थानों पर महत्वपूर्ण सैन्य संपत्तियों को विस्तारित-रेंज तक सुरक्षा प्रदान करने के लिए।
  • भारतीय वायुसेना के लिए, रक्षा अधिग्रहण परिषद ने निम्नलिखित उपकरणों और प्रणालियों की खरीद के प्रस्तावों को मंजूरी दी है:
    • ऑटोमैटिक टेक-ऑफ और लैंडिंग रिकॉर्डिंग सिस्टम: उड़ान के महत्वपूर्ण चरणों की हर मौसम में सक्षम और हाई-डेफिनिशन रिकॉर्डिंग के माध्यम से विमानन सुरक्षा इकोसिस्टम को सुदृढ़ करने के लिए।
    • अस्त्र Mk-II हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइलें और तेजस लड़ाकू विमान के लिए फुल मिशन सिमुलेटर: विस्तारित रेंज से लैस ये प्रणालियाँ, भारतीय वायु सेना की शत्रु विमानों को सुरक्षित दूरी से ही लक्षित करने की क्षमता को बढ़ाएंगी।
    • SPICE-1000 लंबी दूरी की गाइडेंस किट: लंबी दूरी की सटीक मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए।
  • भारतीय नौसेना के लिए, रक्षा अधिग्रहण परिषद ने निम्नलिखित उपकरणों और प्रणालियों की खरीद के प्रस्तावों को मंजूरी दी है:
    • बोलार्ड पुल (BP) टग्स: बंदरगाह के सीमित जल क्षेत्र में जहाजों और पनडुब्बियों को किनारे लगाने (berthing), किनारे से हटाने (unberthing) और युद्धाभ्यास के दौरान सहायता प्रदान करने के लिए।
    • हाई फ्रीक्वेंसी सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (HF SDR) मैनपैक सिस्टम: बोर्डिंग और लैंडिंग ऑपरेशंस के दौरान लंबी दूरी के सुरक्षित संचार तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए।
    • हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग रेंज (HALE) रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (RPAS) को लीज पर लेना: हिंद महासागर क्षेत्र में खुफिया जानकारी, निगरानी और टोही (ISR) क्षमताओं को बढ़ाने और समुद्री क्षेत्र के संबंध में जागरूकता बढ़ाने के लिए।

श्रीमंत शंकरदेव

संदर्भ: हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने असम के नागांव जिले में स्थित बटाद्रवा थान की पुनर्विकास परियोजना का उद्घाटन किया। यह स्थान 15वीं-16वीं शताब्दी के महान वैष्णव संत, समाज सुधारक और बहुश्रुत श्रीमंत शंकरदेव की जन्मस्थली है।

श्रीमंत शंकरदेव के बारे में

  • उनका जन्म 1449 में शिरोमणि (भुइयों के अधिपति) परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम कुसुमवर कायस्थ भुइयां और माता का नाम सत्यसंधा देवी था।
  • वे एक महान धार्मिक प्रचारक, बहुश्रुत, आध्यात्मिक नेता, समाज सुधारक, नाटककार, कवि और संगीतकार थे, जिन्होंने मौजूदा वैष्णव धर्म को एक नया दृष्टिकोण प्रदान करके अराजक असमिया समाज को एक नई दिशा और गति दी।
  • 1481 में, उन्होंने उत्तर भारत के कई पवित्र स्थानों की अपनी पहली तीर्थयात्रा शुरू की, जिसने उनके सामाजिक, आध्यात्मिक, दार्शनिक और धार्मिक दृष्टिकोण को आकार दिया| इसी यात्रा के दौरान उन्होंने बद्रिकाश्रम में अपने पहले ‘बोरगीत’ की रचना की थी।
  • तीर्थयात्रा के दौरान प्राप्त यात्रा अनुभवों ने नव-वैष्णव भक्ति सिद्धांत के प्रतिपादन में उल्लेखनीय योगदान दिया।
    • यह एक ऐसा एकेश्वरवादी आंदोलन है, जो भगवान विष्णु या कृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति को ही मोक्ष प्राप्ति का एकमात्र मार्ग मानता है।
  • अपने नव-वैष्णव आंदोलन के कारण उन्हें जीवन भर रूढ़िवादी वर्गों और तत्कालीन शासकों के विरोध का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उन्हें बार-बार अपना निवास स्थान बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा|
  • 15वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में शंकरदेव द्वारा प्रवर्तित नव-वैष्णव आंदोलन ने असम में एक अभूतपूर्व सामाजिक-सांस्कृतिक पुनर्जागरण का सूत्रपात किया।
  • उनके द्वारा शुरू किया गया नया पंथ एकशरण-नाम-धर्म (जिसे महापुरुषीय धर्म के रूप में भी जाना जाता है) के नाम से प्रसिद्ध हुआ, जो एक ही ईश्वर (विष्णु या कृष्ण) के प्रति भक्ति का उपदेश देता था, जिनकी पूजा केवल उनके विभिन्न नामों के उच्चारण मात्र से की जा सकती है।
    • उन्होंने असम के धार्मिक जीवन से अत्यधिक बाहरी कर्मकांडों को समाप्त करने का प्रयास किया और भक्ति के दो रूपों पर विशेष बल दिया: श्रवण (ईश्वर का नाम सुनना) और कीर्तन (ईश्वर के नाम का जाप करना)।
    • नव-वैष्णव दर्शन को प्रचारित करने के लिए, उन्होंने नामघरों और सत्रों को सामूहिक पूजा, पवित्रता और भक्ति के केंद्रों के रूप में संस्थागत बनाया। 
  • इस सुधारवादी आंदोलन के माध्यम से, उन्होंने जातिवाद और छुआछूत के कलंक को मिटाने का भी प्रयास किया।
  • उनकी प्रारंभिक कृतियों में निमि नव सिद्ध संवाद, हरिश्चंद्र-उपाख्यान और रुक्मिणी हरण काव्य शामिल हैं; साथ ही साहित्य, संगीत, रंगमंच (थिएटर), नृत्य और कला के क्षेत्र में भी उनका उत्कृष्ट योगदान रहा।
  • इनका निधन 1568 में पश्चिम बंगाल के कूच बिहार में लगभग 120 वर्ष की आयु में हुआ था।

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