‘चरक’- “सामुदायिक स्वास्थ्य: कोयलांचल के लिए एक उत्तरदायी कार्रवाई”

संदर्भ:

हाल ही में सिंगरौली स्थित कोल इंडिया की शाखा नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (NCL) ने ‘चरक’ – “सामुदायिक स्वास्थ्य: कोयलांचल के लिए एक उत्तरदायी कार्रवाई” नामक एक पहल शुरू की है।   

चरक 

‘चरक (CHARAK)’- “Community Health: A Responsive Action for Koylanchal” का संक्षिप्त रूप है।  

यह एक अभिनव स्वास्थ्य-केंद्रित कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) पहल है, जिसके तहत सिंगरौली क्षेत्र के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लक्षित जीवन-घातक रोगों से पीड़ित मरीजों का निःशुल्क उपचार किया जाएगा।    

‘चरक’ के तहत, NCL इन बीमारियों का उपचार अपने समर्पित अस्पताल (NSC) या देशभर के विशेष सूचीबद्ध अस्पतालों में निःशुल्क उपलब्ध कराएगी।  

सिंगरौली (मध्य प्रदेश) और सोनभद्र (उत्तर प्रदेश) जिलों के निवासी जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय 8 लाख रुपये से कम है, इस योजना के अंतर्गत लाभ के पात्र होंगे।

योजना के अंतर्गत सम्मिलित बीमारियाँ:
  • मैलिग्नैन्सी (कैंसर), टीबी और संबंधित जटिलताएं, एचआईवी और संबंधित जटिलताएं, हृदय रोग, अंग प्रत्यारोपण, जलन के साथ संकुचन के कारण स्थायी विकलांगता, यकृत विकार, अचानक सुनने की क्षमता में कमी, तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (एआरडीएस), तीव्र सर्जिकल आपातस्थितियां, तंत्रिका संबंधी विकार, तांत्रिक वाहिका संबंधी विकार, आकस्मिक आघात, गंभीर विकलांगता, मल्टीसिस्टम विकार, संयोजी ऊतक विकार, अचानक दृष्टि हानि आदि।   

AWaDH का ब्लूटूथ लो एनर्जी गेटवे और नोड सिस्टम

संदर्भ:

हाल ही में, iHub – AWaDH (एग्रीकल्चर एंड वॉटर टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट हब) ने कृषि और जल प्रबंधन में तकनीकी प्रगति के लिए ब्लूटूथ लो एनर्जी गेटवे और नोड सिस्टम को लॉन्च किया है।

अन्य संबंधित जानकारी

iHub – AWaDH (एग्रीकल्चर एंड वॉटर टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट हब) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रोपड़ में स्थित है।

यह भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के अंतर्गत अंतर-विषयक साइबर-फिजिकल सिस्टम (NM-ICPS) पर राष्ट्रीय मिशन का हिस्सा है।

  • NM-ICPS को साइबर-फिजिकल सिस्टम (CPS) और संबंधित प्रौद्योगिकियों में स्थानांतरणीय  अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए 2018 में लॉन्च किया गया था। 

यह लागत प्रभावी प्रणाली ब्लूटूथ-सक्षम सेंसर को क्लाउड प्लेटफार्मों से जोड़ती है, जिससे कृषि, लॉजिस्टिक्स और पर्यावरणीय लचीलेपन जैसे क्षेत्रों में रियल टाइम डेटा ट्रांसमिशन, पर्यावरण निगरानी और उन्नत विश्लेषण संभव हो पाता है। 

BLE गेटवे की मुख्य विशेषताएँ
  • मजबूत कनेक्टिविटी: लचीली नेटवर्किंग के लिए 4G, WiFi और LAN अनुकूलता।
  • सुदूर संचार: लाइन-ऑफ-साइट (LOS) पर 1 किमी तक डेटा ट्रांसमिशन।
  • डेटा एकत्रीकरण: एकाधिक जुड़े हुए नोड्स से डेटा संग्रहण और प्रोसेसिंग करना, विश्लेषण और निर्णयन को सुव्यवस्थित करना।
  • मौसमरोधी और कॉम्पैक्ट डिजाइन: कॉम्पैक्ट और यूजर-फ़्रेंडली बनाए रखते हुए चरम मौसमी दशाओं में स्थायित्व को प्रदान करना।  
  • अनुकूलता: बेहतर लचीलेपन के लिए मोबाइल ऐप्स, क्लाउड प्लेटफॉर्म और विविध सेंसर के साथ एकीकरण का पूर्ण समर्थन करना।
BLE गेटवे का महत्व
  • ऊर्जा दक्षता: BLE प्रौद्योगिकी विस्तारित बैटरी जीवन और कम ऊर्जा खपत सुनिश्चित करती है।
  • निर्बाध एकीकरण: BLE दूरस्थ निगरानी के लिए मोबाइल ऐप्स और क्लाउड प्लेटफार्मों के साथ पूरी तरह से अनुकूल है।
  • डेटा सुरक्षा: BLE एन्क्रिप्शन, संवेदनशील पर्यावरणीय डेटा की सुरक्षा करता है।
  • लागत प्रभावी और टिकाऊ: मौसम प्रतिरोधी पदार्थ, चरम वातावरण परिस्थितियों में विश्वसनीयता सुनिश्चित करते हुए रखरखाव लागत को कम करते हैं।

चक्रीय अर्थव्यवस्था

संदर्भ:

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने चक्रीय अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकोनॉमी) और अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए तेलंगाना सरकार और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करवाए।

समझौता ज्ञापन (MoU) के मुख्य बिन्दु :  
  • तेलंगाना सरकार और CSIR के बीच समझौता ज्ञापन का उद्देश्य रीसाइक्लिंग और अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्रों में कुशल कार्यबल विकसित करना है।
  • इस पहल के अंतर्गत, CSIR की प्रयोगशालाएं और संस्थान तेलंगाना में प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करेंगे, तथा व्यक्तियों को CSIR द्वारा विकसित अपशिष्ट प्रबंधन प्रौद्योगिकियों में विशेषज्ञता प्रदान करेंगे। 
  • यह सहयोग चक्रीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को अपनाने को बढ़ावा देगा तथा हरित रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा।
चक्रीय अर्थव्यवस्था
  • यह एक ऐसी व्यवस्था है जहाँ पदार्थ कभी बेकार नहीं होते और प्रकृति का पुनर्जनन होता है। इस मॉडल में, उत्पादों और पदार्थों को रखरखाव, पुनः उपयोग, नवीनीकरण, पुनः निर्माण, पुनर्चक्रण और खाद बनाने जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रचलन में रखा जाता है।   
  • भारत 2070 तक नेट ज़ीरो लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में चक्रीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई है। 
  • भारत ने चक्रीय अर्थव्यवस्था के लक्ष्यों के अनुरूप वैश्विक मिशन ‘पर्यावरण के लिए जीवनशैली’ (LiFE) का भी शुभारंभ किया है। 
  • इसके अतिरिक्त, नीति आयोग ने चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए एक समर्पित इकाई के रूप में सितंबर 2022 में एक चक्रीय अर्थव्यवस्था सेल की स्थापना की।                   
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