संबंधित पाठ्यक्रम
सामान्य अध्ययन – 3: पर्यावरण
संदर्भ:
हाल ही में, राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) की स्थायी समिति ने कर्नाटक के शरावती घाटी वन्यजीव अभयारण्य में वन भूमि को हस्तांतरित करने की प्रारंभिक मंजूरी दे दी है।
अन्य संबंधित जानकारी
- NBWL की स्थायी समिति ने 26 जून 2025 को आयोजित अपनी 84वीं बैठक में 142.76 हेक्टेयर भूमि के हस्तांतरण को मंजूरी दी।
- इसमें से 39.72 हेक्टेयर भूमि अभयारण्य के आसपास घोषित पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) से ली जाएगी। यह भूमि शरावती पम्प्ड स्टोरेज परियोजना के लिए प्रस्तावित है।
- परियोजना का कार्यान्वयन कर्नाटक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (KPCL) द्वारा शिवमोग्गा और उत्तर कन्नड़ जिलों में किया जाएगा।
- यह स्वीकृति 2,000 मेगावाट की पम्प्ड-स्टोरेज जलविद्युत परियोजना को समर्थन देती है, जो तालकलेले और गेरुसोप्पा जलाशयों का उपयोग करेगी।
- यह मंजूरी पारिस्थितिक क्षति, परियोजना की व्यवहार्यता पर प्रश्न और वन मंजूरी की कमी के बारे में चिंताओं के बावजूद दी गई।
शरावती पंप स्टोरेज जलविद्युत परियोजना
- यह परियोजना कर्नाटक में शरावती नदी पर प्रस्तावित 2,000 मेगावाट का भूमिगत जलविद्युत स्टेशन है।
- इसमें आठ 250 मेगावाट क्षमता वाली उत्क्रमणीय फ्रांसिस पंप-टर्बाइन इकाइयाँ भूमिगत पावरहाउस में स्थापित की जाएंगी।
- ऊपरी तालकलेले बांध (लगभग 62 मीटर ऊँचा) और निचला गेरुसोप्पा बांध (लगभग 64 मीटर ऊँचा) के बीच पाँच सुरंगों द्वारा ये इकाइयाँ जुड़ी होंगी।
- ऑफ पीक समय (जब बिजली की मांग कम होती है) में विद्युत ऊर्जा का उपयोग करके जल को तालकलेले जलाशय की ओर ऊपर की दिशा में पंप किया जाएगा; वहीं पीक समय (जब मांग अधिक होती है) में वही जल नीचे गिराकर बिजली उत्पन्न की जाएगी — यह एक प्रकार की “जल बैटरी” प्रणाली है।
लायन-टेल्ड मेकाक
- यह भारत के पश्चिमी घाट में कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के खंडित वर्षावनों का मूल निवासी है।
- यह मुख्यतः उष्णकटिबंधीय आर्द्र सदाबहार वनों के ऊपरी वितान (कैनोपी) में रहता है।
- IUCN रेड लिस्ट: लुप्तप्राय
- CITES: परिशिष्ट I
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची I
पर्यावरण संबंधी चिंता
पारिस्थितिक क्षति: यह परियोजना शरावती घाटी लायन-टेल्ड मेकाक वन्यजीव अभयारण्य के भीतर स्थित है जो कि यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त पश्चिमी घाट जैव विविधता हॉटस्पॉट का हिस्सा है।
- लगभग 360 एकड़ (133-150 हेक्टेयर) वन क्षेत्र प्रभावित होगा।
- इस क्षेत्र में पाई जाने वाली लुप्तप्राय प्रजातियों में लायन-टेल्ड मेकाक, ग्रेट इंडियन हॉर्नबिल, किंग कोबरा सहित अन्य वन्यजीव शामिल हैं।
आवास विखंडन: परियोजना के तहत लगभग 15,000 पेड़ों की कटाई और नई सड़कों/सुरंगों के निर्माण से वन्यजीव गलियारे बाधित होंगे और वृक्षों की सतत छाया संरचना का ह्रास होगा जो मैकाक की निर्बाध गतिशीलता के लिए अत्यावश्यक है।
आर्थिक व्यवहार्यता पर प्रश्न: इस परियोजना की दक्षता लगभग 80–81% है — यह प्रति वर्ष लगभग 14,833 मेगावाट-घंटा (MWh) ऊर्जा की खपत कर मात्र 12,000 मेगावाट-घंटा प्रतिवर्ष बिजली उत्पादन करेगी, जिससे यह परियोजना एक शुद्ध ऊर्जा उपभोक्ता बन जाती है। फिर भी, यह पीक और ऑफ-पीक बिजली दरों के अंतर का लाभ उठाकर आर्थिक रूप से लाभदायक हो सकती है।
स्थानीय विस्थापन: हेन्नी, गुंडिबिलु आदि क्षेत्रों की स्थानीय आबादी को दूसरी बार विस्थापन का सामना करना पड़ रहा है, साथ ही पर्याप्त मुआवज़े की कमी और पारदर्शिता के अभाव को लेकर गंभीर चिंताएँ व्यक्त की जा रही हैं।
शरावती नदी से संबंधित मुख्य तथ्य
- यह नदी जोग जलप्रपात का निर्माण करती है, जो भारत के सबसे ऊँचे जलप्रपातों में से एक है (प्रपात: 253 मीटर)।
- यह मुख्यतः पश्चिमी घाट में प्रवाहित होती है, जो एक वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट है।
- राज्य: पश्चिमी कर्नाटक
- उद्गम: पश्चिमी घाट
- प्रवाह की दिशा: पश्चिम की ओर बहती है – भारत की कुछ गिनी-चुनी नदियों में से एक जो पश्चिम की ओर बहती है।
- मुहाना: होनावर (उत्तर कन्नड़ जिला) के पास अरब सागर में गिरती है।
- लंबाई: 128 किमी
- बेसिन क्षेत्र : 2,985 वर्ग किमी
- सहायक नदियों: नंदीहोल, हरिद्रवथी, मविनाहोल, हिलकुंजी, येनेहोल, हुर्लिहोल, नागोडिहोल

