संदर्भ: 

अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थान के अनुसार, परिवारों, व्यवसायों और सरकारों का संयुक्त वैश्विक ऋण वर्ष 2024 में बढ़कर 315 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा।

वैश्विक ऋण क्या है?

• वैश्विक ऋण सरकारों, निजी व्यवसायों और व्यक्तियों द्वारा लिए गए ऋणों को संदर्भित करता है।

  • सरकारें अपने कर आय से अधिक किए गए व्यय को वित्त-पोषित करने के अलावा कभी-कभी पहले लिए गए ऋणों के ब्याज का भुगतान करने के लिए उधार लेती हैं।
  • मुख्यतः, निजी क्षेत्र निवेश उद्देश्यों के लिए उधार लेता है।

वैश्विक स्तर पर बढ़ते कर्ज की वर्तमान स्थिति:

  • यह कुल वैश्विक ऋण वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का तीन गुना है।
  • वैश्विक सार्वजनिक ऋण (सरकारों द्वारा घरेलू बाजारों और विदेशों से उधार दोनों) में अत्यधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो वर्ष 2023 में 97 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है, जो वर्ष 2022 की तुलना में 5.6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर अधिक है।
  • कुल वैश्विक ऋण में विकासशील देशों की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत है। हालाँकि, विकासशील देशों की ऋण वृद्धि दर विकसित देशों की तुलना में दोगुनी है।
  • इसमें घरेलू ऋण 59.1 ट्रिलियन डॉलर, व्यावसायिक ऋण 164.5 ट्रिलियन डॉलर तथा सार्वजनिक ऋण 91.4 ट्रिलियन डॉलर है।
  • अफ्रीका में ब्याज पर प्रति व्यक्ति व्यय 70 अमेरिकी डॉलर है, जो शिक्षा पर प्रति व्यक्ति व्यय 60 अमेरिकी डॉलर तथा स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति व्यय 39 अमेरिकी डॉलर से अधिक है। 
  • वर्ष 2023 में, विकासशील देश ब्याज भुगतान पर 847 बिलियन डॉलर खर्च किए है, जो वर्ष 2021 से 21 प्रतिशत अधिक है, तथा ब्याज दरें अमेरिका की तुलना में चार गुना अधिक होंगी।

विकासशील देशों में ऋण के बढ़ने के प्रमुख कारण:

  • विगत दो वर्षों में समग्र सहायता में गिरावट दर्ज देखने को मिली है।
  • विकासशील देशों में बढ़ते सार्वजनिक ऋण का मुख्य कारण विकसात्मक सहायता की रूपरेखा में बदलाव हो सकता है।

• रियायती दर पर ऋण सहायता (Aid) का स्थान ले रहे हैं, जिससे ऋण का बोझ बढ़ रहा है।

  • उदाहरण के लिए, वर्ष 2012 में सहायता (Aid) में ऋण का हिस्सा 28 प्रतिशत था, जो वर्ष 2022 तक बढ़कर 34 प्रतिशत हो गया।
  • राहत उपायों (Relief Measures) सहित विकासशील देशों के बीच ऋण को कम करने के उद्देश्य से दी जाने वाली सहायता में काफी कमी आई है, जो वर्ष 2012 में 4.1 बिलियन डॉलर से कम होकर वर्ष 2022 में 300 मिलियन डॉलर पहुँच गई है।

विकासशील देशों पर बड़े ऋण का प्रभाव:

  • सार्वजनिक ऋण विकास व्यय को प्रतिबंधित करता है। इसका प्रभाव विशेष रूप से विकासशील देशों पर देखने को मिलता है, जहाँ धन का एक बड़ा हिस्सा अवसंरचना परियोजनाओं पर खर्च किया जाता है।
  • यदि देश अपने ऋणों का भुगतान करने में चूक करते हैं, तो इससे वित्तीय बाजारों में हलचल पैदा हो सकती है और आर्थिक मंदी आ सकती है।
  • व्यवसायों के लिए, उच्च स्तर के ऋण चुकाने का बोझ रोजगार सृजन और विस्तार के लिए उपलब्ध धनराशि (फंड) को कम कर देता है तथा दिवालियापन के जोखिम को बढ़ा देता है।
  • अत्यधिक ऋण लिए हुए परिवारों को खाद्यान और ईंधन जैसी आवश्यक वस्तुओं पर होने वाले खर्च में कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है, जिससे निम्न आय वाले परिवार सबसे अधिक प्रभावित होते है।
  • उच्च ऋण वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में एक प्रमुख बाधक के रूप में उभर रहा है।

इस समस्या के समाधान के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें सहायता में वृद्धि, रियायती ऋण तथा कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में सतत विकास और वित्तीय स्थिरता का समर्थन करने के लिए ऋण माफी समझौते पर बातचीत करना शामिल है।

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