संदर्भ:

विश्व के मूल निवासियों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस प्रतिवर्ष 9 अगस्त को मनाया जाता है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • इस वर्ष इस दिवस का विषय है, “स्वैच्छिक अलगाव और प्रारंभिक संपर्क में मूल निवासियों के अधिकारों की रक्षा करना” (“Protecting the Rights of Indigenous Peoples in Voluntary Isolation and Initial Contact”)।
  • यह दिवस मुल निवासियों (आदिवासियों) की विशिष्ट संस्कृतियों, भाषाओं एवं परंपराओं तथा वैश्विक विविधता और सतत विकास में उनके योगदान को मान्यता देता है।

विश्व के मूल निवासी

  • वर्तमान में मूल निवासियों के लगभग 200 समूह स्वैच्छिक अलगाव और प्रारंभिक संपर्क में रहते हैं। वे बोलीविया, ब्राजील, कोलंबिया, इक्वाडोर, भारत, इंडोनेशिया, पापुआ न्यू गिनी, पेरू और वेनेजुएला में प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध दूरदराज के जंगलों में निवास करते हैं।
  • अनुमान है कि दुनिया भर में 90 देशों में 476 मिलियन मूल निवासी (आदिवासी) लोग रहते हैं। वे दुनिया की आबादी का 6 प्रतिशत से भी कम हिस्सा हैं, लेकिन सबसे गरीब लोगों में उनकी संख्या कम से कम 15 प्रतिशत हैं।
  • वे विश्व की अनुमानित 7,000 भाषाओं में से अधिकांश भाषा बोलते हैं तथा 5,000 विभिन्न संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व (प्रदर्शित) करते हैं।

मूल निवासियों के अधिकारों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • वर्ष 1994 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने प्रस्ताव 49/214 में निर्णय लिया कि विश्व के आदिवासी लोगों (मूल निवासियों) का अंतर्राष्ट्रीय दिवस हर वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाएगा।
  • वर्ष 1982 में जिनेवा में आयोजित मूल निवासियों पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की पहली बैठक के सम्मान में इस दिन को चुना गया था।
  • 29 जून, 2006 को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने मूल निवासियों के अधिकारों पर घोषणापत्र को अपनाया। 
  • संयुक्त राष्ट्र के मूल निवासियों के अधिकारों पर घोषणापत्र (UNDRIP) को महासभा द्वारा गुरुवार, 13 सितंबर, 2007 को अपनाया गया।

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