संदर्भ:

भारत के प्रधानमंत्री ने ‘लखपति दीदी’ योजना की सराहना की, जो महिलाओं को सशक्त बनाने और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने की एक महत्वपूर्ण पहल है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र के जलगांव में 11 लाख नई लखपति दीदियों (ये स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्य होती हैं जो सालाना एक लाख रुपये कमाती हैं) को सम्मानित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया।
  • स्वयं सहायता समूह पशुधन क्षेत्र में सक्रिय हैं, जबकि अन्य ‘कृषि सखी’ और ‘नमो ड्रोन दीदी’ जैसी सरकारी योजनाओं में काम कर रहे हैं।
  • प्रधानमंत्री ने जलगांव कार्यक्रम में 4.3 लाख स्वयं सहायता समूहों के लगभग 48 लाख सदस्यों को लाभ पहुंचाने के लिए 2,500 करोड़ रुपये की एक परिक्रामी निधि भी जारी की।
  • प्रधानमंत्री ने 5,000 करोड़ रुपये के बैंक ऋण भी वितरित किये, जिससे 2.35 लाख स्वयं सहायता समूहों के 25.8 लाख सदस्यों को लाभ मिला।

स्वयं सहायता समूह (SHGs), समान पृष्ठभूमि वाले आर्थिक रूप से वंचित व्यक्तियों के स्वैच्छिक संघ होते हैं जो स्वयं सहायता और सामुदायिक प्रयासों के माध्यम से आम मुद्दों को हल करने के लिए मिलकर काम करते हैं। भारत में वर्ष 1984 में शुरू किए गए स्वयं सहायता समूह प्रोफेसर यूनुस के ग्रामीण बैंक मॉडल से प्रेरित थे।

लखपति दीदी योजना

  • अगस्त 2023 में, प्रधानमंत्री ने महिला स्वयं सहायता समूहों की सामूहिक शक्ति के माध्यम से गांवों में दो करोड़ ‘लखपति दीदी’ या समृद्ध बहनें बनाने की परिकल्पना को शुरू किया।
  • इसके बाद, राजस्थान सरकार द्वारा दिसंबर 2023 में यह योजना शुरू की गई। 
  • कोई भी लखपति दीदी एक स्वयं सहायता समूह की सदस्य होती है, जिसकी वार्षिक घरेलू आय एक लाख रुपये (1,00,000 रुपये) या उससे अधिक होती है।
  • इस आय की गणना कम से कम चार कृषि मौसमों और/या व्यवसाय चक्रों के लिए की जाती है, जिसमें औसत मासिक आय दस हजार रुपये (10,000 रुपये) से अधिक होती है, ताकि यह दीर्घकालिक हो।
  • लखपति दीदी योजना की शुरुआत से अब तक एक करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाया जा चुका है।
  • अंतरिम बजट 2024-25 में ‘लखपति दीदी’ को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य मौजूदा 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ कर दिया गया है।
  • यह योजना ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत चल रही है।

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