संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (NCSK) के कार्यकाल को 31.03.2025 से आगे तीन वर्षों के लिए (अर्थात 31.03.2028 तक) बढ़ाने को स्वीकृति दे दी है।
अन्य संबंधित जानकारी
- आयोग के कार्यकाल के विस्तार से कुल वित्तीय भार लगभग 50.91 करोड़ रुपये होगा।
- इससे सफाई कर्मचारियों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान में मदद मिलेगी, सफाई क्षेत्र में कार्य स्थितियों में सुधार होगा तथा खतरनाक सफाई कार्य करते समय शून्य मृत्यु दर प्राप्त करने का लक्ष्य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग
- वर्ष 1994 में ‘राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग अधिनियम, 1993’ के तहत एक सांविधिक निकाय के रूप में NCSK का गठन किया गया था।
- इस अधिनियम की धारा 1 के अनुसार, NCSK का कार्यकाल 31.3.1997 तक ही था। हालाँकि, दो संशोधनों द्वारा अधिनियम की वैधता को फरवरी, 2004 तक बढ़ा दिया गया था।
- वर्ष 2004 में “राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग अधिनियम, 1993” के समाप्त हो जाने के बाद, आयोग सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के एक गैर-सांविधिक निकाय के रूप में कार्य कर रहा है। हालाँकि, आयोग के कार्यकाल को समय-समय पर सरकारी प्रस्तावों के माध्यम से बढ़ाया जाता है।
- इससे पहले वर्ष 2022 में, प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसने आयोग के कार्यकाल को 01.04.2022 से बढ़ाकर 31.03.2025 किया था।
आयोग के प्रमुख कार्य
NCSK कर्मचारियों की स्थिति, सुविधाओं और अवसरों में असमानताओं को समाप्त करने की दिशा में केंद्र सरकार को विशिष्ट कार्ययोजना की सिफारिश की है।
NCSK विशेषकर सफाई कर्मचारियों और मैला ढोने वालों के सामाजिक और आर्थिक पुनर्वास से संबंधित कार्यक्रमों और योजनाओं के क्रियान्वयन का आकलन करता है।
NCSK विशिष्ट शिकायतों की जाँच करता है और निम्नलिखित के गैर-क्रियान्वयन संबंधित मामलों पर स्वतः संज्ञान लेता है:
(i) कर्मचारियों के किसी भी समूह के संबंध में कार्यक्रम या योजनाएँ।
(ii) कर्मचारियों की कठिनाइयों को कम करने के उद्देश्य से निर्णय, दिशानिर्देश आदि।
(iii) कर्मचारियों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए उपाय आदि।
मैला ढोने वालों के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 (MS अधिनियम, 2013) के तहत NCSK निम्नलिखित कार्य करेगा: –
- अधिनियम के क्रियान्वयन की निगरानी करना।
- अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन से संबंधित शिकायतों की जाँच करना तथा आगे की कार्रवाई हेतु आवश्यक सिफारिशों के साथ अपने निष्कर्षों को संबंधित प्राधिकारियों को अवगत कराना।
- अधिनियम के प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को सलाह देना।
- अधिनियम के गैर-क्रियान्वयन से संबंधित मामले का स्वतः संज्ञान लेना।