संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने और खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तिलहन (एनएमईओ-तिलहन) को मंजूरी दी।
राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तिलहन (एनएमईओ-तिलहन) का विवरण:
- इस मिशन को वर्ष 2024-25 से वर्ष 2030-31 तक सात वर्षों की अवधि में कार्यान्वित किया जाएगा, जिसका वित्तीय परिव्यय ₹10,103 करोड़ होगा।
- शामिल फसल: एनएमईओ-तिलहन प्रमुख प्राथमिक तिलहन फसलों, जैसे- रेपसीड-सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी और तिल के उत्पादन को बढ़ाएगा, साथ ही कपास के बीज, चावल की भूसी और वृक्ष जनित तेलों जैसे द्वितीयक स्रोतों से संग्रह और निष्कर्षण दक्षता में वृद्धि करेगा।
उद्देश्य: मिशन का लक्ष्य प्राथमिक तिलहन उत्पादन को 39 मिलियन टन (वर्ष 2022-23) से बढ़ाकर वर्ष 2030-31 तक 69.7 मिलियन टन करना है।
- एनएमईओ-ओपी (ऑयल पाम) के साथ मिलकर मिशन का लक्ष्य वर्ष 2030-31 तक घरेलू खाद्य तेल उत्पादन को 25.45 मिलियन टन तक बढ़ाना है, जो हमारी अनुमानित घरेलू आवश्यकता का लगभग 72% पूरा करेगा।
- कार्यान्वयन: उच्च उपज देने वाली उच्च तेल तत्व युक्त बीज किस्मों को अपनाने, चावल और आलू की परती भूमि को लक्ष्य करके, अंतरफसल तथा फसल विविधीकरण को बढ़ावा देकर तिलहन की खेती को अतिरिक्त 40 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाना है। यह मिशन जीनोम एडिटिंग जैसी अत्याधुनिक वैश्विक प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके उच्च गुणवत्ता वाले बीजों के विकास को बढ़ावा देगा।
- यह मिशन गुणवत्तापूर्ण बीजों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ‘बीज प्रमाणीकरण, पता लगाने की क्षमता और समग्र सूची (साथी)’ पोर्टल के माध्यम से एक ऑनलाइन 5-वर्षीय रोलिंग बीज योजना भी शुरू करेगा।
- बीज उत्पादन बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में 65 नए बीज केंद्र और 50 बीज भंडारण इकाइयां स्थापित की जाएंगी।
मूल्य श्रृंखला क्लस्टर: 347 विशिष्ट जिलों में 600 से अधिक मूल्य श्रृंखला क्लस्टर (वीसीसी) विकसित किए जाएंगे, जिनमें उच्च गुणवत्ता वाले बीज, कृषि कार्यों के प्रशिक्षण तथा मौसम और कीट प्रबंधन पर परामर्श सेवाएं उपलब्ध होंगी।
- इन क्लस्टरों का प्रबंधन मूल्य श्रृंखला साझेदारों, जैसे- किसान उत्पादक संगठनों (FPOs), सहकारी समितियों और सार्वजनिक या निजी संस्थाओं द्वारा किया जाएगा।
मिशन का महत्व
- यह मिशन भारत को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने (आत्म निर्भर भारत बनाने) में मदद करेगा।
- इससे किसानों को लाभ होगा, पूंजी निवेश बढ़ेगा, रोजगार सृजन होगा, आयात पर निर्भरता कम होगी और किसानों की आय भी बढ़ेगी।
- इस मिशन से कम जल उपयोग, बेहतर मृदा स्वास्थ्य तथा फसल परती क्षेत्रों के उत्पादक उपयोग के रूप में महत्वपूर्ण पर्यावरणीय लाभ भी प्राप्त होंगे।
भारत में खाद्य तेल/तिलहन उत्पादन की स्थिति
- भारत अमेरिका, चीन और ब्राजील के बाद दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तिलहन उत्पादक देश है, जो वैश्विक उत्पादन का 10% हिस्सा है।
- राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र शीर्ष तिलहन उत्पादक राज्य र, जिनकी कुल उत्पादन में क्रमशः 23%, 21%, 18% और 16% हिस्सेदारी थी।
- वर्तमान में भारत खाद्य तेल का शुद्ध आयातक देश है तथा कुल खाद्य तेल का 57% विभिन्न देशों से आयात किया जाता है।
- हालांकि, खाद्य तेलों पर आयात निर्भरता वर्ष 2015-16 में 63.25% से घटकर वर्ष 2022-23 में 57.30% हो गई है और देश की कुल मांग का घरेलू उत्पादन 2015-16 में 36.75% से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 42.71% हो गया है।
खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए सरकार की पहल
- सरकार ने पाम ऑयल की खेती को बढ़ावा देने के लिए अगस्त 2021 में राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – ऑयल पाम शुरू किया।
- सरकार 7 तिलहनों, जैसे- रेपसीड-सरसों, मूंगफली, सूरजमुखी, कुसुम, सोयाबीन, तिल और नाइजरसीड के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य देती है।
- इसके अलावा, प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) की निरंतरता यह सुनिश्चित करती है कि किसानों को मूल्य समर्थन और मूल्य न्यूनता भुगतान योजनाओं के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त हो।
- इसके अतिरिक्त, घरेलू उत्पादकों को संरक्षण देने तथा स्थानीय खेती को प्रोत्साहित करने के लिए खाद्य तेलों पर 20% आयात शुल्क लगाया गया है।
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