संदर्भ:

हाल ही में, भारतीय संसद के निचले सदन (लोकसभा) ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया है।

अन्य संबंधित जानकारी:

  • संसद में राष्ट्राध्यक्ष द्वारा अभिभाषण का प्रावधान वर्ष 1921 से चला आ रहा है, जब भारत सरकार अधिनियम, 1919 के तहत पहली बार केंद्रीय विधानमंडल की स्थापना की गई थी।
  • यह सरकार की नीति का वक्तव्य है, इसलिए इस अभिभाषण का मसौदा सरकार द्वारा तैयार किया जाता है, जो इसकी विषय-वस्तु के लिए जिम्मेदार होती है।
  • इसमें पिछले वर्ष के दौरान सरकार की गतिविधियों और उपलब्धियों की समीक्षा होती है तथा महत्वपूर्ण आंतरिक और अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के संबंध में सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियों का उल्लेख किया जाता है।
  • इसमें विधायी कार्य की मुख्य मदों का भी उल्लेख होता है जिन्हें उस वर्ष आयोजित होने वाले सत्र के दौरान प्रस्तुत किया जाता है।

राष्ट्रपति के अभिभाषण का कानूनी प्रावधान:

राष्ट्रपति निम्नलिखित दो मामलों में संसद के दोनों सदनों को या किसी भी सदन को अलग-अलग संबोधित कर सकते हैं:

(a) संविधान के अनुच्छेद 86 (1) में प्रावधान है कि राष्ट्रपति संसद के किसी भी सदन या दोनों सदनों को संबोधित कर सकता है और इसके लिए सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य कर सकता है।

  • हालाँकि, संविधान के लागू होने के बाद से राष्ट्रपति ने अभी तक इस अनुच्छेद के प्रावधान के तहत किसी भी सदन या दोनों सदनों को संबोधित नहीं किया है।

(b) अनुच्छेद 87 (1) में यह प्रावधान है कि लोक सभा के प्रत्येक आम चुनाव के पश्चात प्रथम सत्र के आरंभ में तथा प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरंभ में राष्ट्रपति संसद को सत्र बुलाने के कारणों से अवगत कराएंगे।

  • जब लोक सभा का सत्र अनिश्चित काल के लिए स्थगित होने के बाद स्थगित नहीं किया जाता है और तत्पश्चात् अगले कैलेण्डर वर्ष में बैठक के लिए पुनः बुलाया जाता है, तो ऐसे मामलों में राष्ट्रपति को संसद के दोनों सदनों को संबोधित करने की आवश्यकता नहीं होती है।

धन्यवाद प्रस्ताव की प्रक्रिया

लोक सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमों के नियम 17 के अंतर्गत राष्ट्रपति के अभिभाषण में संदर्भित विषयों पर चर्चा एक सदस्य द्वारा प्रस्तुत तथा दूसरे सदस्य द्वारा समर्थित धन्यवाद प्रस्ताव पर होती है।

धन्यवाद प्रस्ताव संसद में दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए एक औपचारिक प्रस्ताव है।

संसद में चर्चा: धन्यवाद प्रस्ताव पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा की जाती है।

  • सदस्य प्रस्ताव में संशोधन का सुझाव दे सकते हैं, जिसमें अभिभाषण में उल्लिखित सरकार की योजनाओं की प्रशंसा या आलोचना हो सकती है।

संशोधन: सदस्य राष्ट्रपति के अभिभाषण में क्या शामिल है या क्या नहीं है, इसके आधार पर प्रस्ताव में परिवर्तन प्रस्तावित कर सकते हैं।

  • यदि ये संशोधन स्वीकार कर लिये जाते हैं तो इससे प्रस्ताव बदल जायेगा।

चर्चा का समापन: चर्चा के बाद प्रधानमंत्री या सरकार का कोई मंत्री जवाब देता है।

  • इसके बाद धन्यवाद प्रस्ताव पर मतदान किया जाता है।

महत्व: प्रस्ताव पारित होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है, तो यह दर्शाता है कि सरकार ने सदन का विश्वास खो दिया है।

  • यह संसद के लिए सरकार पर विश्वास (या उसकी कमी) व्यक्त करने का एक तरीका है।

सीमाएँ: सदस्य केवल केंद्र सरकार की जिम्मेदारी से संबंधित मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं। वे चर्चा के दौरान राष्ट्रपति के नाम का उल्लेख नहीं कर सकते।

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