संदर्भ:

विपक्ष ने उपराष्ट्रपति (राज्यसभा के सभापति) को पद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाने हेतु नोटिस प्रस्तुत किया है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • विपक्ष ने उपराष्ट्रपति पर सदन की कार्यवाही संचालित करने के दौरान “स्पष्ट रूप से पक्षपातपूर्ण” होने का आरोप लगाया।
  • यह पहली बार है जब उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए प्रस्ताव लाने का नोटिस प्रस्तुत किया गया है।

भारत के उपराष्ट्रपति

  • उपराष्ट्रपति का पद राष्ट्रपति के बाद देश में दूसरा सर्वोच्च पद होता है।
  • उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा किया जाता है ।
  • अनुच्छेद 64 के तहत उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होता है ।

उपराष्ट्रपति को पद से हटाना

संविधान के अनुच्छेद 67(b) के अनुसार, “उपराष्ट्रपति को राज्य परिषद के सभी तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित प्रस्ताव और लोक सभा द्वारा सहमति व्यक्त किए जाने के बाद  पद से हटाया जा सकता है।”

  • इसके लिए राज्य सभा से प्रभावी बहुमत और लोक सभा से साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है।

•अनुच्छेद के तहत  14 दिन की नोटिस अवधि भी दी जाती  है, जिसके बाद राज्य सभा प्रस्ताव पर चर्चा करेगी।

नियमों के अनुसार, प्रस्ताव को राज्य सभा में लाए जाने से पहले उपसभापति द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक है।

लेकिन इस बात का निर्धारण करने के लिए कोई पूर्व उदाहरण नहीं है कि सदन के अगले सत्र में प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा या नहीं, यदि वर्तमान सत्र 14 दिन की नोटिस अवधि की समाप्ति से पहले समाप्त हो जाता है, जो कि वर्तमान स्थिति है।

संसद में बहुमत के प्रकार

साधारण बहुमतपूर्ण बहुमतप्रभावी बहुमतविशेष बहुमत (प्रकार 1)विशेष बहुमत (प्रकार 2)
उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों का बहुमत ।  कुल सदस्यता का बहुमत , चाहे सदस्य अनुपस्थित हों या रिक्त सीटें हों।रिक्त सीटों को छोड़कर सदन की कुल सदस्यता का बहुमत ।सदन की कुल सदस्यता का बहुमत तथा उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों का दो-तिहाई बहुमत ।सदन की कुल सदस्यता का दो-तिहाई बहुमत 
साधारण विधेयक, धन विधेयक, स्थगन प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव आदि को पारित करने में उपयोग किया जाता है।सदन में विशेष बहुमत निर्धारित करने के भाग के रूप में इसका उपयोग किया जाता है।  इसका उपयोग राज्य सभा के सभापति एवं उप-सभापति तथा लोक सभा के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष को हटाने में किया जाता है।इसका उपयोग संविधान संशोधन (अनुच्छेद 368) में, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने के लिए किया जाता है।भारत के राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने में उपयोग किया जाता है। यहाँ, दोनों सदनों को विशेष बहुमत से प्रस्ताव पारित करने की आवश्यकता होती है।
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