संदर्भ:
हाल ही में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने हिसार जिले के राखीगढ़ी (हड़प्पा स्थल) में दो टीलों को संरक्षित घोषित किया है।
अन्य संबंधित जानकारी
- इन टीलों (अर्थात् टीला संख्या 6 और 7) को प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष, अधिनियम, 1958 के तहत संरक्षित घोषित किया गया है।
- इस स्थल पर स्थित कुल सात टीलों में से चार टीलों को पहले ही संरक्षित घोषित किया जा चुका है, जिससे संरक्षित टीलों की कुल संख्या 6 हो गई है। अब केवल एक टीला (संख्या 4) को संरक्षित घोषित किया जाना बाकी है।
संरक्षित घोषित करने का प्रभाव
- टीलों के नव घोषित संरक्षित क्षेत्र को सरकार द्वारा अधिग्रहित किया जाएगा तथा संबंधित किसानों को मुआवजा दिया जाएगा।
- अधिग्रहण के बाद भूमि को खाली करना आवश्यक होगा।
- जब तक भूमि का अधिग्रहण नहीं हो जाता, तब तक उस पर कृषि की अनुमति होगी, लेकिन टीले को काटने पर प्रतिबंध रहेगा।
- मिट्टी में खेती की अनुमति होगी लेकिन धरती के अंदर खुदाई की अनुमति नहीं होगी। कोई भी टीले को न तो काट सकता है और न ही उसे नुकसान पहुंचा सकता है।
- संबंधित मिट्टी को बेचा नहीं जा सकता।
राखीगढ़ी के बारे में
- यह हरियाणा के घग्गर-हकरा नदी के मैदान में हिसार जिले में स्थित सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे पुराने और सबसे बड़े शहरों में से एक है।
- राखीगढ़ी में कुल 11 उत्खनन टीले हैं, और वे आवासीय स्थलों और दफन (कब्रगाह) स्थलों का मिश्रण हैं।
- कुल मिलाकर, लगभग 5.5 किमी क्षेत्र में विस्तृत हैं, जिससे राखीगढ़ी सबसे बड़ा सिंधु घाटी सभ्यता स्थल बन जाता है।
- इस स्थल की खोज पहली बार 1960 के दशक में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा की गई थी।
राखीगढ़ी में अन्य नवीनतम खोजें
- इस स्थल पर खुदाई के दौरान दो महिलाओं के कंकाल के अवशेष मिले, जिनके लगभग 5000 वर्ष पुराने होने का अनुमान है।
- वर्ष 2023 में, डेक्कन कॉलेज पुणे और भारतीय केंद्रीय पुरातत्व सर्वेक्षण के शोधकर्ताओं ने पुष्टि की कि हरियाणा में प्राचीन राखीगढ़ी स्थल पर पाए गए मानव अवशेष लगभग 8,000 साल पुराने हैं।
- वर्ष 2022 में एक उत्खनन में, स्थल पर खुदाई के बाद एक कुलीन बस्ती की खोज की गई थी।