संबंधित पाठ्यक्रम

सामान्य अध्ययन-2: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्यप्रणाली, कार्य संचालन, शक्तियाँ और विशेषाधिकार तथा इनसे संबंधित विषय।

संदर्भ: हाल ही में, कर्मचारियों को ऑफिस आवर्स के बाद काम के दबाव से कानूनी संरक्षण प्रदान करने हेतु एक निजी विधेयक ‘राइट टू डिसकनेक्ट 2025’ पेश किया गया।

अन्य संबंधित जानकारी

  • 2019 के बाद दूसरी बार इस विधेयक को लोक सभा में पेश किया गया है।
  • काम के घंटों की सीमा तय करने और मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा हेतु व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता (संशोधन) विधेयक, 2025 भी लोकसभा में पेश किया गया।
  • ये विधेयक आधुनिक समय में बदलते वर्क कल्चर की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं जहाँ कर्मचारियों पर ऑफिसियल टाइमिंग के बाद भी उपलब्ध रहने का दबाव बनाया जाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, फ्रांस, पुर्तगाल और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश पहले से ही कानूनी प्रावधानों के माध्यम से राइट टू डिसकनेक्ट (काम से विच्छेद होने का अधिकार) को मान्यता दे चुके हैं।
    • 2017 में औपचारिक तौर पर “राइट टू डिसकनेक्ट” पर कानून लागू करने वाला पहला देश फ्रांस था।
  • हालांकि इस विधायी प्रयास के लिए सरकार को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि निजी सदस्यों के विधेयक संभवतः ही कभी कानून बन पाते हैं। दरअसल, स्वतंत्रता के बाद से अब तक केवल चौदह विधेयक ही पारित हुए हैं।

विधेयक के मुख्य प्रावधान

  • यह विधेयक कर्मचारियों के ऑफिसियल वर्क आवर्स के बाद काम से संबंधित कॉल और ईमेल से विच्छेद (Disconnect) होने के अधिकार को मान्यता देता है।
  • कर्मचारी गैर-आपातकालीन संचारों का उत्तर देने से इनकार कर सकते हैं, जिससे स्वस्थ कार्य-जीवन संतुलन (Work-Life Balance) को बढ़ावा मिलता है।
  • विधेयक, ‘राइट टू डिसकनेक्ट’ के प्रवर्तन के लिए एक कर्मचारी कल्याण प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान करता है।
    • यह प्राधिकरण कार्य के घंटों के बाद कर्मचारी डिजिटल और संचार उपकरणों को कैसे उपयोग में लाते हैं, इसका आकलन करने के लिए प्रारंभिक अध्ययन करेगा।
    • यह प्राधिकरण दस से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को ऑफिसियल आवर्स के बाद काम की शर्तों पर बातचीत करने का निर्देश देगा।
  • विधेयक में यह अनिवार्य किया गया है कि वे कर्मचारी जो आधिकारिक घंटों से अधिक काम करते हैं, उन्हें सामान्य वेतन दर पर ओवरटाइम दिया जाए।
  • यह प्रस्ताव सरकार को काउंसलिंग सेवाएँ प्रदान करने का निर्देश देता है जो कर्मचारियों को कार्य-जीवन संतुलन बनाए रखने में सहायता करती हैं।
  • इस प्रस्ताव में सरकार के लिए कर्मचारियों हेतु डिजिटल डिटॉक्स केंद्र स्थापित करना भी अनिवार्य किया गया है।
  • प्रावधानों का अनुपालन न करने वाली कंपनियों पर कर्मचारियों के कुल पारिश्रमिक के एक प्रतिशत के बराबर जुर्माना लागू लगाया जागेगा।

मामले की पृष्ठभूमि

  • लगातार डिजिटल माध्यमों के संपर्क में रहने से होने वाले तनाव, अनिंद्रा और बर्नआउट (मानसिक/शारीरिक थकावट) के कारण इस मुद्दे ने ध्यान आकर्षित किया है।
  • इस चिंता का उल्लेख वैश्विक रिपोर्टों में भी है जो “टेलीप्रेशर” अर्थात् संदेशों को लगातार चेक करने और उनका उत्तर देने की विवशता, को उजागर करती हैं।
  • यह स्थिति अक्सर कर्मचारियों के कार्य-जीवन संतुलन को प्रभावित करती है और भावनात्मक थकावट का कारण बनती है।
  • यह बहस इससे पहले किए गए प्रयासों जैसे कि केरल राइट टू डिसकनेक्ट विधेयक से भी संबंधित है,जो 2025 में पेश किया गया था।

Source:
India Express
The Of India
Economic Time

Shares: