संदर्भ:
नेचर कैटालिसिस में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में यूरिन(मूत्र) से यूरिया निकालने और उसे एक महत्वपूर्ण उर्वरक में परिवर्तित करने की एक नवीन विद्युत-रासायनिक विधि प्रस्तुत की गई है।
अन्य संबंधित जानकारी
नई विधि में मूत्र से यूरिया को उसके ठोस रूप में निकालकर उसे परकार्बामाइड (एक क्रिस्टलीय पेरोक्साइड व्युत्पन्न) में परिवर्तित किया जाता है।

यह तकनीक पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक ऊर्जा-कुशल और पर्यावरण के अनुकूल है।
- मूत्र में 95% पानी होता है, और लवणों सहित इसकी जटिल संरचना यूरिया निष्कर्षण को मुश्किल बनाती है। पारंपरिक विधियों से यूरिया को अन्य घटकों से प्रभावी ढंग से अलग करना कठिन है।
शोधकर्ताओं ने मूत्र में यूरिया को परकार्बामाइड में परिवर्तित करने के लिए ग्रेफाइटिक कार्बन-आधारित उत्प्रेरक का उपयोग करके एक विधि विकसित की है ।
- ग्रेफाइट कार्बन परमाणुओं से बना एक नरम क्रिस्टल है।
- सक्रिय ग्रेफाइटिक कार्बन ग्रेफाइट का एक छिद्रयुक्त रूप है, जिसे बाद में इसके सतह क्षेत्र को और बढ़ाने के लिए संशोधित किया जाता है, जिससे यह अधिक क्रियाशील हो जाता है।
- उत्प्रेरक यूरिया और हाइड्रोजन पेरोक्साइड की परस्परक्रिया की दक्षता में सुधार करता है, जिसके परिणामस्वरूप परकार्बामाइड की अधिक मात्रा प्राप्त होती है।
यह प्रक्रिया मानव और जानवरों के मूत्र से परकार्बामाइड निकालने में लगभग 100% शुद्धता प्राप्त करने में सक्षम रही।
- चूँकि यूरिया हाइड्रोजन पेरोक्साइड जैसे अणुओं के साथ हाइड्रोजन बॉन्ड बनाता है, इसलिए यह आसानी से परकार्बामाइड के निर्माण की ओर ले जाता है , जिसे आसानी से मूत्र से बाहर निकाला जा सकता है।
- परकार्बामाइड अपनी धीमी गति से ऑक्सीजन छोड़ने की क्षमता के कारण मूल्यवान है, जिससे यह विभिन्न रासायनिक प्रक्रियाओं के लिए उपयोगी है और मूत्र से यूरिया की तेजी से पुनर्प्राप्ति करने में सक्षम भी है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, इस प्रणाली में मूत्र का उपयोग केवल यूरिया निष्कर्षण तक सीमित नहीं होगा, बल्कि यह यूरिन उपचार और नाइट्रोजन चक्रण से संबंधित समस्याओं का समाधान भी करेगा।
- यह प्रक्रिया अपशिष्ट जल से महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की प्राप्ति की अनुमति देती है, तथा संसाधन पुनर्चक्रण में सहायता करती है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए यूरिया की सांद्रता 15-38% के बीच, तापमान हिमांक से थोड़ा अधिक और pH लगभग 4 के आसपास होना चाहिए।
परकार्बामाइड के पर्यावरणीय और कृषि लाभ
- परर्कार्बामाइड का धीमा नाइट्रोजन मुक्त होना पौधों की दीर्घकालिक वृद्धि में मदद करता है और मिट्टी के स्वास्थ्य को सुधारता है।
- इसके ऑक्सीडेटिव गुण जड़ों की श्वसन क्रिया को भी उत्तेजित करते हैं, जिससे फसल की वृद्धि में और सुधार होता है।”
- यह प्रक्रिया नाइट्रोजन चक्र में अंतराल को दूर करती है, तथा अधिक टिकाऊ कृषि पद्धतियों में योगदान देती है।
महत्व
- यह शोध अपशिष्ट जल उपचार के साथ संसाधन पुनर्प्राप्ति को एकीकृत करने का मार्ग प्रशस्त करता है, जिससे अपशिष्ट प्रबंधन और मिट्टी की उर्वरता में सुधार के लिए अधिक टिकाऊ दृष्टिकोण उपलब्ध होता है।
- यह विधि सिंथेटिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करने और पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण को बढ़ाने की संभावना रखती है।
यूरिया
- यूरिया एक नाइट्रोजन युक्त कार्बनिक यौगिक है, जिसे कार्बामाइड के नाम से भी जाना जाता है, जो शरीर में प्रोटीन चयापचय का अपशिष्ट उत्पाद है, और इसका उर्वरक के रूप में और विभिन्न औद्योगिक अनुप्रयोगों में उपयोग किया जाता है।
- यूरिया यकृत में अमोनिया से बनता है, जो प्रोटीन चयापचय का एक विषैला उपोत्पाद है, तथा गुर्दों द्वारा मूत्र के माध्यम से उत्सर्जित कर दिया जाता है।
- यह नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन से बना है, तथा यूरिया सहित अन्य अणुओं के साथ हाइड्रोजन बंध बनाने के लिए प्रवृत्त है।
- सूत्र: यूरिया का रासायनिक सूत्र CO(NH₂)₂ है ।
- संरचना: इसमें एक कार्बोनिल समूह (C=O) होता है जिसके साथ दो अमीन समूह (NH₂) जुड़े होते हैं।
- घुलनशीलता: यूरिया जल में अत्यधिक घुलनशील है।
- संश्लेषण: यूरिया को पहली बार 1828 में फ्रेडरिक वोहलर द्वारा अकार्बनिक यौगिकों से प्रयोगशाला में संश्लेषित किया गया था , जो रसायन विज्ञान में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थीं।