अन्य महत्वपूर्ण जानकारी:

  • पिछले वर्ष लगभग 30% वृद्धि दर्ज किए जाने के बावजूद राज्य अब भी अपनी दैनिक आवश्यकता के आधे से कम अंडों का उत्पादन कर पा रहा है।
  • प्रतिदिन 3.5-5.5 करोड़ अंडों की मांग के मुकाबले वर्तमान में केवल 1.5-1.7 करोड़ अंडों का उत्पादन होता है।
  • परिणामस्वरूप, प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष उपलब्धता सिर्फ़ 25 अंडे है – यानी मुश्किल से दो अंडे प्रति सप्ताह।
  • इस योजना के तहत, SC महिलाओं को 50 चूजे, पिंजरे, दवाइयाँ आदि दी जाती हैं और हर साल 16,600 लाभार्थियों तक पहुँचने का लक्ष्य निर्धारित है।
  • अब अन्य BPL परिवारों को भी शामिल करने के लिए लाभार्थी आधार का विस्तार करने की योजना है। इसी के तहत हर जिले में 1,000 इकाइयों का लक्ष्य निर्धारित किया जाएगा, अर्थात प्रतिवर्ष 75,000 नई इकाइयाँ स्थापित की जाएंगी।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी: निजी इकाइयों को चूजों की आपूर्ति, चिकित्सीय सहायता और फ़ीड उपलब्ध कराने के साथ-साथ चूजों के बढ़ने पर उनकी पुनर्खरीद की जिम्मेदारी भी सौंपी जाएगी।
  • स्वदेशी प्रजातियों को बढ़ावा: इसका उद्देश्य गांव के परिवारों की आय में वृद्धि करना, उत्पादकता बढ़ाना तथा बच्चों में बौनेपन और कुपोषण की समस्या को दूर करने में सहायता प्रदान करना है।
  • भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI), बरेली विभिन्न नस्लों पर शोध कर रहा है और CARI देबेंद्र नस्ल को अपनाने की सिफारिश की है, जो अंडे और मांस दोनों के लिए अच्छी देसी नस्ल है।
  • अंडों के प्रसंस्करणको बढ़ावा देना: प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित करने के लिए इन्वेस्ट यूपी पोर्टल पर पंजीकरण कराने पर राज्य की खाद्य प्रसंस्करण नीति के तहत 35% की सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
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