संदर्भ
भारत में स्थित इज़राइल के दूतावास ने आधिकारिक तौर पर ‘मिलियन मियावाकी’ परियोजना में शामिल हो गया।
विवरण
- मिलियन मियावाकी फाउंडेशन, एक गैर-लाभकारी संगठन, ने ‘मिलियन मियावाकी’ परियोजना में शामिल होने के लिए इजरायली दूतावास के साथ सहयोग किया है।
- मिलियन मियावाकी परियोजना एक समुदाय-आधारित पहल है, जिसका उद्देश्य संकीर्ण शहरी स्थानों में व्यापक स्तर पर वनीकरण के माध्यम से भारतीय शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार करना है।
- इस परियोजना का लक्ष्य दिल्ली-एनसीआर में 30 विभिन्न स्थानीय प्रजातियों की विविधता वाले 600 पेड़ों के ‘वन जैसे’ मियावाकी वृक्षारोपण का निर्माण करके दस लाख पेड़ लगाना है।
मियावाकी पद्धति के बारे में
- इसे जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी द्वारा विकसित किया गया है, यह पारिस्थितिक रूप से विविध और लचीले पारिस्थितिकी तंत्रों की स्थापना के लिए प्राकृतिक वन पुनर्स्थापन प्रक्रियाओं की प्रतिकृति पर केंद्रित है।
- मियावाकी पद्धति तेजी से घने, प्राकृतिक वन लगाने की एक तकनीक है।
- इस पद्धति में केवल विशिष्ट क्षेत्र की मूल वनस्पति प्रजातियों के उपयोग पर जोर दिया जाता है।
- इसमें पेड़ों को एक दूसरे के बहुत करीब लगाया जाता है, जिससे प्राकृतिक वन घनत्व की प्रतिकृति करता है। इससे प्रकाश और संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलता है, जिससे तेजी से ऊर्ध्वाधर विकास होता है तथा छत्र आवरण का दायर भी बढ़ता है।
मियावाकी वन के फायदे
- मियावाकी पद्धति का उपयोग करके लगाए गए वन पारंपरिक वृक्षारोपण की तुलना में 10 गुना तेजी से बढ़ते हैं और 20-30 वर्षों में परिपक्व हो जाते हैं।
- विविध वनस्पति समुदाय विभिन्न प्रजातियों के लिए पर्यावास उपलब्ध कराते हैं, जिससे बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिलता है।
- छोटे स्थानों और न्यूनतम संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करने के कारण, मियावाकी पद्धति शहरों में शहरी वन और हरित स्थान के सृजन के लिए उपयुक्त है।
- यह मृदा और वन जैव विविधता को बढ़ावा देता है।
- यह कार्बन पृथक्करण को बढ़ाता है, वन लचीलेपन को बढ़ाता है और संरक्षण की लागत को कम करता है।