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सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं से संबद्ध विषय।

संदर्भ: 

हाल ही में, मारीवाला हेल्थ इनिशिएटिव ने राजस्थान के तीन ग्रामीण समुदायों का अध्ययन किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि गर्मी का तनाव अत्यधिक हाशिए पर रहने वाले श्रमिकों के मानसिक स्वास्थ्य को किस तरह से प्रभावित करता है।

अन्य संबंधित जानकारी 

  • अध्ययन में 97 प्रतिभागी शामिल थे, जिनमें 43 पुरुष और 53 महिलाएँ थीं।  महिलाओं से ग्रुप डिस्कशन किया गया।
  • इस समूह में अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, मुस्लिम, ईसाई और सामान्य जाति समुदायों के साथ-साथ सिलिकोसिस से प्रभावित परिवारों के लोग शामिल थे।
  • भारत में अनेक शहरों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि हर वर्ष अत्यधिक गर्मी के कारण लगभग 1,116 लोगों की मृत्यु हो जाती है।

गर्मी के तनाव की मनोवैज्ञानिक अभिव्यक्तियाँ

  • लंबे समय तक गर्मी में रहने से लोगों की स्वयं के बारे में, अपने परिवार के बारे में और अपने समुदाय के सदस्यों के बारे में धारणा प्रभावित होती है, जिसके परिणामस्वरूप वे कई प्रकार की मनोसामाजिक प्रतिक्रियाएं देते हैं।
  • श्रमिकों ने बताया कि उनमें अत्यधिक चिड़चिड़ापन, तनाव, अत्यधिक थकान और उदासी, चिंता और क्रोध सहित मनोदशा में परिवर्तन होना आम है।
  • वे चिड़चिड़ापन, गलत निर्णय लेना और हिंसक व्यवहार तथा अभद्र भाषा के शिकार हो जाते हैं, जिससे उनकी संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली प्रभावित हुई और उन्हें एकाग्रचित्त होने व निर्णय लेने में कठिनाई हुई।
  • पुरुषों और महिलाओं दोनों ने अपनी फसल के नष्ट हो जाने और अपने अनिश्चित भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त की।
  • कुछ पुरुषों ने शराब और मादक पदार्थों का अधिक सेवन करना शुरू कर दिया, जिसके कारण उनमें आवेग नियंत्रण संबंधी समस्याएं उत्पन्न हुई और वे अवसादग्रस्त हो गए।

तनाव बढ़ाने वाले कारक 

  • उत्पादकता में कमी के कारण वेतन में कटौती का भय श्रमिकों को अत्यधिक गर्मी में काम करने के लिए मजबूर करता है, जिससे वे चिंतित, असहाय महसूस करते हैं और अवसादग्रस्त हो जाते है।
  • चूंकि महिलाएं अक्सर घरेलू काम और बाहरी काम दोनों संभालती हैं, इसलिए वे गर्मी के कारण कार्यस्थल बंद होने पर लिंग आधारित हिंसा और सामाजिक अलगाव के बढ़ते जोखिम का सामना करती हैं।
  • गर्मी सिलिकोसिस जैसी दीर्घकालिक बीमारियों को बढ़ा देती है, जिससे घबराहट और अवसाद की समस्या उत्पन्न होती है, जबकि स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच न होना उनके संघर्ष को और बढ़ा देता है।
  • कार्यस्थलों पर छाया और पानी की कमी से उनकी कठिनाइयाँ बढ़ जाती हैं। दरअसल, हाशिए पर रहने वाले समूहों को पानी साझा करने की सुविधा नहीं मिल पाती।

नीतिगत अंतराल 

भारत का आपदा प्रबंधन ढांचा यह निर्धारित करता है कि कौन-सी आपदाएं राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रतिक्रिया निधि के माध्यम से वित्तीय सहायता के लिए पात्र हैं।

  • हालांकि, जीवन और आजीविका पर इसके विनाशकारी प्रभाव के बावजूद अत्यधिक गर्मी को  (कुछ राज्यों को छोड़कर) राहत उपायों के लिए पात्र आपदा के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं है।
  • आपदा के अंतर्गत न आने के कारण लाखों लोग, विशेष रूप से ग्रामीण श्रमिक अत्यधिक गर्मी के दौरान संस्थागत सहायता से वंचित रह जाते हैं।

अध्ययन के अनुसार, उन हस्तक्षेपों के जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन का कोई साक्ष्य मौजूद नहीं था जिसका वादा किया गया था, इसलिए राज्य की अपने सबसे कमजोर नागरिकों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल उठे।

राजस्थान ने रुरल हीट एक्शन प्लान शुरू किया है। हालाँकि, यह योजना कई प्रमुख क्षेत्रों में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में विफल रही है।

  • इसमें इस बात का ध्यान नहीं रखा गया है कि हाशिए पर रहने वाले विभिन्न समुदाय अत्यधिक गर्मी से किस प्रकार असमान रूप से प्रभावित होते हैं।
  • जलवायु अनुकूलन उपायों में उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं, जैसे पानी की उपलब्धता, छाया, आराम की व्यवस्था और गर्मी के कारण कार्य में होने वाले नुकसान के लिए मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं हैं।
  • यह योजना गर्मी के तनाव के मानसिक स्वास्थ्य परिणामों की पूरी तरह से अनदेखी करती है।
  • जागरूकता की कमी और कार्यान्वयन योजना की प्रभावशीलता तथा बढ़ती हीट वेव से सबसे हाशिए पर रहने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए राज्य की प्रतिबद्धता पर संदेह होता है।

आगे की राह  

  • बढ़ती गर्मी के न केवल शारीरिक खतरों, बल्कि इसके मनोवैज्ञानिक प्रभावों से निपटने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
  • नीतिगत और संबंधित रणनीतियों के माध्यम से गर्मी से संबद्ध मनो-सामाजिक तनावों से जुड़ी गहरी संरचनात्मक असमानताओं से निपटना होगा।
  • सभी ग्रामीण कार्यस्थलों पर छायादार विश्राम क्षेत्रों, पर्याप्त पेयजल और स्वच्छता सुविधाओं तक पहुँच को अनिवार्य और सुनिश्चित करना होगा।
  • अत्यधिक गर्मी के दौरान कार्यदिवसों में कमी के वित्तीय प्रभाव को कम करने के लिए सशक्त सामाजिक सुरक्षा जाल लागू करना तथा खतरनाक परिस्थितियों में जबरन श्रम को रोकना आवश्यक है।

स्रोत: The Hindu

https://www.thehindu.com/sci-tech/health/the-impact-of-heat-stress-on-the-mental-health-of-rural-workers-in-rajasthan/article69786821.ece

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