संदर्भ:
नशीली दवाओं और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) ने मानव तस्करी पर वैश्विक रिपोर्ट 2024 जारी की है।
अन्य संबंधित जानकारी
- यह रिपोर्ट का आठवां संस्करण है, इसका पहला संस्करण वर्ष 2009 में प्रकाशित हुआ था।
- वैश्विक रिपोर्ट का यह संस्करण वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तरों पर तस्करी के स्वरूप और प्रवाह का एक विवरण प्रदान करता है।
- इसमें 156 देशों को शामिल किया गया है और वर्ष 2019 और यह वर्ष 2023 के बीच तस्करी के ज्ञात मामलों का विश्लेषण करके मानव तस्करी पर की कार्रवाई का अवलोकन प्रदान करता है।
- यह मामले का पता लगाने और सजा दिलाने के रुझानों पर प्रकाश डालता है तथा हाल के आंकड़ों की तुलना ऐतिहासिक तरीकों (जब से UNODC ने 2003 में आंकड़े एकत्र करना शुरू किया था) से करता है।
- इस रिपोर्ट में तस्करी के रुझानों और कार्रवाईयों पर COVID-19 महामारी के प्रभाव पर एक प्रमुख जोर दिया गया है।
रिपोर्ट के मुख्य अंश
बाल तस्करी, जबरन श्रम के लिए तस्करी और जबरन आपराधिकता बढ़ रही है क्योंकि गरीबी, संघर्ष और जलवायु परिवर्तन अधिक लोगों को शोषण के प्रति संवेदनशील बनाते हैं।
वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2022 में तस्करी पीड़ितों की वैश्विक पहचान में 25% की वृद्धि हुई।
शोषण के सबसे आम रूप जबरन श्रम, यौन शोषण और जबरन आपराधिकता हैं।
वर्ष 2019 में महामारी से पहले के स्तर की तुलना में वर्ष 2022 में बाल तस्करी के 31% अधिक मामलों का पता चला, जिसमें लड़कियों से जुड़े मामलों में 38% की वृद्धि हुई।
- लड़कों को आमतौर पर जबरन श्रम और जबरन आपराधिकता में धकेला जाता है, जबकि लड़कियों को ज्यादातर यौन शोषण के लिए तस्करी की जाती है।
- वर्ष 2022 में, विश्व भर में तस्करी के ज्ञात पीड़ितों में से 61% महिलाएं थीं।
पकड़े गए पीड़ितों में से अधिकांश वयस्क थे। पकड़े गए सभी पीड़ितों में से 39% वयस्क महिलाएं थीं और 22% लड़कियां थीं।
74% तस्कर संगठित अपराध समूहों का हिस्सा थे, जबकि लगभग 26% गैर-संगठित अपराधी थे।
वर्ष 2022 में, विश्व स्तर पर जिन तस्करी की जांच की गई, मुकदमा चलाया गया और दोषी ठहराया गया उसमें 70% पुरुष शामिल थे।
- महिलाओं की मात्रा लगभग 25-30% थी, जबकि बच्चों को शायद ही कभी अपराधियों के रूप में जानकारी दी गई हो।
वर्ष 2022 में, UNODC ने कम से कम ऐसे 162 विभिन्न देशों के नागरिकों के आंकड़े दर्ज किए जिनकी 128 अलग-अलग देशों में तस्करी की गई थी।
पीड़ितों की तस्करी विश्व भर में कई अंतर्राष्ट्रीय मार्गों से की जाती है, जिनमें से अफ्रीकी पीड़ितों की तस्करी सबसे अधिक स्थानों पर की जाती है।
वर्ष 2022 में वैश्विक मामलों में से केवल 17% को बंधुआ श्रम के लिये दोषी ठहराया गया जबकि 72% को यौन शोषण के मामले में दोषी ठहराया गया।
ज्ञात हुए कुल सीमा-पार प्रवाह में से, 31% में अफ्रीकी देशों के नागरिक शामिल हैं, इस प्रकार अफ्रीका को इस क्षेत्र के भीतर और बाहर (यूरोप और मध्य-पूर्व की ओर) दोनों गंतव्यों के साथ तस्करी का मूल केंद्र बना दिया गया है।
मानव तस्करी से निपटने हेतु भारत द्वारा उठाए गए कदम
- भारत ने वर्ष 2011 में व्यक्तियों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों के अवैध व्यापार को रोकने, कुचलने और दंडित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रोटोकॉल का अनुसमर्थन किया है।
- भारत के संविधान का अनुच्छेद 23 मानव तस्करी और बेगार और इसी तरह के अन्य प्रकार के बलात् श्रम का निषेध करता है।
- भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 143 से 146 व्यक्तियों की तस्करी, दासों के आदतन व्यवहार और गैरकानूनी अनिवार्य श्रम के विभिन्न रूपों हेतु दंडात्मक प्रावधान प्रदान करती है।