संदर्भ:
हाल ही में, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) ने कार्य पत्र में उजागर किया कि वर्ष 2017-18 से 2022-23 तक भारत की महिला श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) में वृद्धि हुई है।
अन्य संबंधित जानकारी
- नए कार्य पत्र का शीर्षक है: – महिला श्रम बल भागीदारी दर: आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) 2017-18 से 2022-23 का अवलोकन विश्लेषण , और इसके सह-लेखक शमिका रवि (EAC-PM)और मुदित मापूर (ISI, दिल्ली) हैं।
- इसके अनुसार 2004-05 से 2022-23 तक घरेलू उद्यमों में सभी अवैतनिक पारिवारिक श्रमिकों या सहायकों को बाहर करने के बाद भी, महिला LFPR में वृद्धि का समग्र रुझान पहले जैसा ही बना हुआ है।
रिपोर्ट के मुख्य बिन्दु
- लगभग सभी राज्यों में LFPR में वृद्धि हुई है , जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक वृद्धि हुई है।
- ग्रामीण महिला LFPR 2017-18 से 2022-23 के दौरान 24.6% से बढ़कर 41.5% (लगभग 69% वृद्धि) हो गई।
- शहरी क्षेत्रों में, इसी अवधि के दौरान महिला LFPR 20.4% से बढ़कर 25.4% हो गई, जो लगभग 25% की वृद्धि को दर्शाता है।
- गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, असम, तेलंगाना और पूर्वोत्तर राज्यों अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में यह वृद्धि अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
- केवल दो स्थान गोवा और लक्षद्वीप में महिला LFPR में मामूली गिरावट दर्ज की गई है।
- अधिकांश राज्यों में, महिला LFPR में सबसे अधिक वृद्धि ग्रामीण क्षेत्रों में वर्तमान में विवाहित महिलाओं के बीच हुई है।
- महिला LFPR आमतौर पर अधिकांश राज्यों में “बेल कर्व” (घंटी के आकार का वक्र) दिखाती है , जो 30-40 वर्ष की आयु में चरम पर होती है और उसके बाद तेजी से गिरावट आती है।
- पूर्वोत्तर राज्यों में भी प्रभावशाली वृद्धि देखी गई, नागालैंड में महिला LFPR 15.7% से बढ़कर 71.1% हो गया है।
- भारत के सभी राज्यों में सभी आयु वर्गों तथा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में विवाहित पुरुषों की LFPR काफी अधिक है।
- विवाह से महिलाओं की LFPR में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है – लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में यह गिरावट बहुत अधिक है ।
श्रम बल भागीदारी दर (LFPR)
- LFPR को प्रति 1000 व्यक्ति/व्यक्ति-दिन श्रम बल में व्यक्तियों/व्यक्ति-दिनों की संख्या के रूप में परिभाषित किया गया है।
- महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए वैवाहिक स्थिति LFPR का एक महत्वपूर्ण निर्धारक है।
- LFPR में परिवर्तनों का विश्लेषण करके नीति निर्माता और अर्थशास्त्री विशिष्ट जनसांख्यिकी के बीच कार्यबल भागीदारी में वृद्धि या कमी जैसी प्रवृत्तियों की पहचान कर सकते हैं।