संदर्भ:
हाल ही में, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने “महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए भारत में पशु स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करना” पर 25 मिलियन डॉलर की महामारी निधि परियोजना शुरू की।
अन्य संबंधित जानकारी
यह परियोजना रोगों पर निगरानी रखने की विभाग की विभिन्न मौजूदा पहलों का समर्थन करता है जिसमें प्रारंभिक चेतावनी के लिए जीनोमिक और पर्यावरण निगरानी, प्रयोगशाला अवसंरचना विकास, सीमा पार सहयोग शामिल है
भारत में पशु स्वास्थ्य प्रबंधन को मजबूत करने के उद्देश्य से दो महत्वपूर्ण दस्तावेज भी जारी किए:
- मानक पशु चिकित्सा उपचार दिशानिर्देश (एसवीटीजी): यह एक व्यापक दस्तावेज है जो पशु चिकित्सा देखभाल के लिए सर्वोत्तम विधियों को रेखांकित करता है, जिसका उद्देश्य पशुधन के समग्र स्वास्थ्य और उत्पादकता में सुधार करना और रोगाणु-रोधी प्रतिरोध के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना का समर्थन करना है।
- पशु रोगों के लिए संकट प्रबंधन योजना (सीएमपी): यह दूसरा महत्वपूर्ण दस्तावेज जो पशु रोगों के प्रकोप के प्रबंधन और उचित समय पर बचाव के लिए एक रूपरेखा प्रदान करेगा, जिससे त्वरित रोकथाम और शमन सुनिश्चित होगा।
महामारी निधि परियोजना के बारे में
G20 महामारी कोष द्वारा वित्त पोषित इस परियोजना का ध्यान प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के लिए जीनोमिक और पर्यावरण निगरानी के माध्यम से रोग निगरानी बढ़ाने और प्रयोगशाला बुनियादी ढाँचे में सुधार पर केंद्रित है।
- इंडोनेशिया की G20 प्रेसीडेंसी के तहत स्थापित, G20 महामारी कोष निम्न और मध्यम आय वाले देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर महामारी की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया क्षमताओं को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण निवेश का वित्तपोषण करता है।
वन हेल्थ दृष्टिकोण को क्रियान्वित करके , परियोजना का लक्ष्य पशुओं (पालतू और वन्यजीव) से रोगाणुओं के उभरने और मानव आबादी में संचारित होने के जोखिम को कम करना है, जिससे कमजोर आबादी के स्वास्थ्य, पोषण सुरक्षा और आजीविका को खतरा हो सकता है।
यह परियोजना एशियाई विकास बैंक (ADB), खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) और विश्व बैंक की साझेदारी में क्रियान्वित की जाएगी।
निम्नलिखित पांच प्रमुख परिणामों के माध्यम से भविष्य की महामारियों के खिलाफ देश की सुरक्षा को मजबूत किया जा सके: