संदर्भ:
हाल ही में, भारत सरकार ने रामसर स्थलों की सूची में तीन नई आर्द्रभूमियाँ जोड़ी हैं।
अन्य संबंधित जानकारी
- नव मान्यता प्राप्त स्थलों में तमिलनाडु में नंजरायण पक्षी अभयारण्य एवं काझुवेली पक्षी अभयारण्य तथा मध्य प्रदेश में तवा जलाशय शामिल हैं।
- इन स्थलों के जुड़ने से भारत में रामसर स्थलों की कुल संख्या 85 हो गई है, जो 1,358,068 हेक्टेयर के विशाल क्षेत्र में फैली हुई हैं।
नए रामसर स्थलों के विवरण
1.नंजरायन पक्षी अभयारण्य, तमिलनाडु:
- स्थान: उथुकुली तालुक, तिरुप्पुर जिला, तमिलनाडु।
- आकार: 125.865 हेक्टेयर
- जैव विविधता: 191 पक्षी प्रजातियों, 87 तितली प्रजातियों, सात उभयचर, 21 सरीसृप, 11 छोटे स्तनधारी और 77 पौधों प्रजातियों का आवास स्थल।
- पारिस्थितिक भूमिका: स्थानीय और प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण आवास सुविधा प्रदान करता है, कृषि को बढ़ावा देता है और भूजल पुनर्भरण में सहायता करता है।
- महत्व: तमिलनाडु का 17वां पक्षी अभयारण्य घोषित यह झील वन विभाग के सहयोग से स्थानीय समुदायों द्वारा सक्रिय रूप से संरक्षित है।
रामसर सम्मेलन (Ramsar Convention)
- आर्द्रभूमियों पर सम्मेलन एक अंतर-सरकारी संधि है, जिसे वर्ष 1971 में ईरान के रामसर में अपनाया गया था और वह वर्ष 1975 से प्रभावी है, जो आर्द्रभूमि संरक्षण और उनके संसाधनों के बुद्धिमानी से उपयोग हेतु रूपरेखा प्रदान करता है।
- भारत वर्ष 1981 में इस सम्मेलन का सदस्य बना।
- रामसर कन्वेंशन सचिवालय, स्विटजरलैंड के ग्लैंड में अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) मुख्यालय में स्थित है।
- वर्तमान में भारत में सबसे अधिक रामसर स्थल तमिलनाडु में हैं, जहाँ 18 हैं, उसके बाद उत्तर प्रदेश में 10 हैं।
2. काझुवेली पक्षी अभयारण्य, तमिलनाडु:
- स्थान: कोरोमंडल तट, विल्लुपुरम जिला, तमिलनाडु
- आकार: 5151.6 हेक्टेयर
- जैव विविधता: प्रवासी पक्षियों के लिए एक प्रमुख पड़ाव एवं स्थानीय पक्षी प्रजातियों और मछलियों के लिए प्रजनन स्थल। इसमें एविसेनिया प्रजाति के मैंग्रोव के खंड और सरकंडे से ढके क्षेत्र भी शामिल हैं।
- पारिस्थितिक भूमिका: जलभृत पुनर्भरण में सहायता करता है तथा प्रजातियों की समृद्ध विविधता को आश्रय देता है।
- महत्व: तमिलनाडु का 16वां पक्षी अभयारण्य, काझुवेली प्रायद्वीपीय भारत में सबसे बड़े खारे पानी के आर्द्रभूमि में से एक है।
3. तवा जलाशय, मध्य प्रदेश:
- स्थान: इटारसी शहर के पास तवा और देनवा नदियों के संगम पर स्थित।
- आकार: 20,050 हेक्टेयर
- जैव विविधता: सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का हिस्सा, यहाँ विभिन्न पक्षियों, सरीसृपों और पौधों सहित दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियाँ पायी जाती हैं।
- पारिस्थितिक भूमिका: प्रारंभ में सिंचाई के लिए बनाया गया यह जलाशय अब विद्युत उत्पादन और जलकृषि के लिए उपयोगी है।
- महत्व: यह सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान और बोरी वन्यजीव अभयारण्य की पश्चिमी सीमा गठित करता है, जिससे यह क्षेत्र के भीतर एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक आवास स्थल बना हुआ है।
आद्रभूमि क्या है?
आर्द्रभूमि दलदल, दलदली भूमि, पीटलैंड या पानी का क्षेत्र होता है – चाहे वह प्राकृतिक हो या कृत्रिम, स्थायी हो या अस्थायी – जिसमें पानी स्थिर या बहता हुआ, ताजा, खारा या नमकीन हो सकता है, जिसमें वे समुद्री क्षेत्र शामिल हैं जहाँ कम ज्वार पर गहराई छह मीटर से अधिक नहीं होती है। भारत में, नदी के चैनल, धान के खेत और पीने या व्यावसायिक उद्देश्यों हेतु बनाए गए कृत्रिम जल निकायों को रामसर की सूची में शामिल नहीं किया जाता है।
आर्द्रभूमि का महत्व
- आर्द्रभूमियाँ अपने द्वारा प्रदान किए जाने वाले अनेक लाभों या “पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं” के कारण अपरिहार्य माने जाते हैं।
- इनमें मीठे पानी की आपूर्ति, कृषि को सहायता, विविध प्रजातियों के लिए आवास उपलब्ध कराना, बाढ़ को नियंत्रित करना, भूजल को पुनर्भरन और जलवायु परिवर्तन को कम करना शामिल है।
- अपने महत्व के बावजूद, आर्द्रभूमियों को शहरीकरण और अति उपयोग के कारण गंभीर खतरों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण उनका क्षरण हो रहा है और जैव विविधता को नुकसान पहुंच रहा है।