संबंधित पाठ्यक्रम
सामान्य अध्ययन-3: आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियाँ उत्पन्न करने वाले बाह्य राज्य और गैर-राज्य अभिकर्ताओं की भूमिका।
संदर्भ: नौसेना दिवस के अवसर पर, नौसेना प्रमुख ने भारत समुद्री सिद्धांत-2025 (IMD-2025) जारी किया। इसमें वे सिद्धांत दिए गए हैं जो संघर्ष के दौरान नौसेना की रणनीति, भूमिकाओं और नियोजन का मार्गदर्शन करेंगे।
अन्य संबंधित जानकारी
- यह पहली बार 2004 में जारी किया गया था, जिसमें 2009 में संशोधन किया गया और 2015 में इसमें पुनः संशोधन किया गया। 2025 का संस्करण पिछले एक दशक में भारत के समुद्री परिवेश और रणनीतिक दृष्टिकोण में हुए प्रमुख बदलावों को प्रतिबिंबित करता है।
- नया सिद्धांत भारत के विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण अनुरूप है और सागरमाला, पीएम गति शक्ति, मैरीटाइम इंडिया विजन 2030, मैरीटाइम अमृत काल विजन 2047, और महासागर (MAHASAGAR) जैसी प्रमुख राष्ट्रीय पहलों को एकीकृत करता है।
भारत समुद्री सिद्धांत 2025 की प्रमुख विशेषताएँ

- ग्रे-ज़ोन युद्धों को मान्यता:
- IMD-2025 में पहली बार आधिकारिक तौर पर “नो-वॉर, नो-पीस” (no-war, no-peace) को संघर्ष स्पेक्ट्रम में शांति और पूर्ण युद्ध के बीच एक विशिष्ट चरण के रूप में चिन्हित किया गया है।
- यह युद्ध की सीमाओं के परे जबरन, हाइब्रिड और उप-सीमा समुद्री कार्रवाइयों सहित ग्रे-ज़ोन रणनीतियों (grey-zone tactics) के बढ़ते महत्व पर प्रकाश डालता है।
- इस प्रकार, यह सिद्धांत खुले टकराव के बजाय सूक्ष्म स्तरीय,चल रहे और अस्पष्ट प्रतिरोध की आधुनिक वास्तविकताओं पर प्रतिक्रिया देता है।
- संयुक्तता और त्रि-सेवा एकीकरण:
- IMD-2025 अंतर-संचालनीयता और एकीकृत समुद्री संचालन को सक्षम करने के लिए भारत के सशस्त्र बलों में संयुक्तता पर जोर देता है।
- यह सिद्धांत हाल ही में जारी किए गए त्रि-सेवा सिद्धांतों—विशेष बलों, एयरबोर्न/हेलीबोर्न, और बहु-डोमेन संचालन—के साथ संरेखित है, जो थिएटर आधारित कमांड की स्थापना की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- यह परिवर्तन एकीकृत को प्रोत्साहित करता है, जिससे संसाधनों का अधिकतम उपयोग, त्वरित निर्णय क्षमता और बहु-डोमेन खतरों का सफलतापूर्वक निपटारा सुनिश्चित होता है।
- बहु-क्षेत्रीय खतरे, उभरती प्रौद्योगिकियाँ और स्वायत्त प्रणालियाँ:
- IMD-2025 पारंपरिक समुद्रों से परे, अंतरिक्ष, साइबर और संज्ञानात्मक क्षेत्र तक परिचालन थिएटर का विस्तार करता है, और बहु-डोमेन समुद्री संघर्षों को मान्यता देता है।
- यह मानवरहित प्रणालियों, स्वायत्त प्लेटफॉर्मों और उन्नत तकनीक के एकीकरण की वकालत करता है।
- यह सिद्धांत ग्रे-ज़ोन, हाइब्रिड, और अनियमित युद्ध को संबोधित करता है, और समुद्री परिवेश की जटिलता को रेखांकित करता है।
सिद्धांत का महत्त्व
- सैद्धांतिक स्पष्टता: नौसेना के मुख्य मार्गदर्शक के रूप में, यह भारत की समुद्री भूमिकाओं पर स्पष्टता प्रदान करता है और क्षमता विकास तथा परिचालन तत्परता के लिए एक भविष्योन्मुखी ढाँचा प्रस्तुत करता है।
- बहु-डोमेन विस्तार: यह सिद्धांत समुद्री सुरक्षा के दायरे का विस्तार करते हुए इसमें साइबरस्पेस, अंतरिक्ष, समुद्र तल, संज्ञानात्मक डोमेन और हाइब्रिड युद्ध को शामिल करता है। यह उभरते खतरों से निपटने के लिए स्वायत्त और मानव रहित प्रौद्योगिकियों का समर्थन करता है।
- आत्मनिर्भर भारत की ओर एक कदम: यह स्वदेशी क्षमता विकास, प्रौद्योगिकी को अपनाने और दीर्घकालिक राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं के साथ संरेखण के माध्यम से आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है।
