प्रसंग:

दस लाख से अधिक लोगों के प्रभावित होने के साथ, सिकल सेल रोग भारत के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है।

सिकल सेल रोग 

  • सिकल सेल रोग एक आनुवंशिक असामान्यता के कारण होता है। अगर माता-पिता दोनों में सिकल सेल रोग के लक्षण है, तो बच्चे के इस रोग के साथ पैदा होने की संभावना काफी अधिक होती है।
  • जबकि स्वस्थ व्यक्तियों की लाल रक्त कोशिकाएं डिस्क के आकार की होती हैं  जबकि सिकल सेल रोग से पीड़ित व्यक्तियों की लाल रक्त कोशिकाएं अर्धचन्द्राकार या दरांती के आकार की होती हैं। 
  • लक्षण: हड्डियों में दर्द, नेत्र रोग या अंधापन, जननांग और हार्मोनल समस्याएं, यकृत और पित्ताशय की थैली संबंधी समस्याएं, स्ट्रोक और गुर्दे की समस्याएं आदि।
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: यह रोग जीवनकाल को काफी कम (लगभग 40 वर्ष तक) कर देता है और एनीमिया, आवर्ती (बार-बार) संक्रमण, दर्द और अंग क्षति जैसी जटिलताएं पैदा करता है।
  • व्यापकता: इसके अधिकांश मामले ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों में केंद्रित हैं।
  • इलाज और उपचार: सिकल सेल रोग के लिए कोई स्थायी इलाज उपलब्ध नहीं है। जीन थेरेपी में चल रहा शोध आशाजनक है, लेकिन जब यह उपलब्ध हो भी जाएगा, तब भी अधिकांश प्रभावित लोगों के लिए यह वहनीय नहीं (अत्यधिक महंगा) होगा।
  • हाइड्रेशन: हाइड्रेटेड रहने से लाल रक्त कोशिकाओं के सिकुड़ने को रोकने में मदद मिलती है।
  • हाइड्रोक्सीयूरिया: यह दवा भ्रूण हीमोग्लोबिन के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करती है, जो कि एक अलग प्रकार का हीमोग्लोबिन है, जो सिकलीकरण को कम कर सकता है।
  • रक्त आधान: गंभीर मामलों में दरांतीनुमा लाल रक्त कोशिकाओं को स्वस्थ रक्त कोशिकाओं से बदलने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।

भारत के समक्ष चुनौतियाँ

  • सभी सरकारी प्रयासों के बावजूद दस लाख से अधिक लोग सिकल सेल रोग से प्रभावित हैं, विश्व में इस रोग की दूसरी सबसे बड़ी संख्या में लोग भारत में रहते हैं।  
  • भारत में सिकल सेल रोग से पीड़ित केवल 18% व्यक्तियों को ही नियमित उपचार मिल पाता है।
  • प्रमुख चुनौतियों में कलंक, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के प्रति अविश्वास तथा देखभाल और दवाओं तक पहुंच में कठिनाइयां शामिल हैं।
  • कई मरीज़ उपचार के विभिन्न चरणों में ही उपचार छोड़ देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

सरकार की पहल

  • पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन की शुरुआत की थी। इस पहल का उद्देश्य वर्ष 2047 तक सिकल सेल रोग को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त करना है।
  • मिशन का उद्देश्य सुलभ देखभाल प्रदान करना, जागरूकता बढ़ाना और 0-40 वर्ष आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिए सामूहिक जांच कार्यक्रम लागू करना है।
  • मिशन का ध्यान 17 राज्यों के 278 जिलों के उन क्षेत्रों पर केंद्रित है जहां सिकलसेल रोग का उच्च प्रसार है।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत स्वास्थ्य मंत्रालय ने वर्ष 2016 में सिकल सेल रोग की रोकथाम और प्रबंधन पर व्यापक दिशानिर्देश जारी किए।
  • सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए भी काम कर रही है कि हाइड्रोक्सीयूरिया जैसी आवश्यक दवाएं आसानी से उपलब्ध हों और उन्हें आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल किया जाए।
  • सिकलसेल रोग की जांच और प्रबंधन में चुनौतियों से निपटने के लिए मध्य प्रदेश में राज्य हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन की स्थापना की गई है।

आगे की राह

  • सिकल सेल रोग से प्रभावी रूप से निपटने के लिए, मिशन को लक्षित जागरूकता अभियानों के माध्यम से कलंक को कम करने, नवजात शिशुओं की जांच बढ़ाने, रोगियों के आसपास दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने और आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • इसके अतिरिक्त, भारतीय संदर्भ के अनुरूप नए उपचार विकसित करने और मौजूदा देखभाल मॉडल में सुधार करने के लिए चल रहे अनुसंधान महत्वपूर्ण हैं।

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