संबंधित पाठ्यक्रम:
सामान्य अध्ययन-2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
सन्दर्भ: हाल ही में, नीति आयोग ने ‘भारत में उच्च शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण: संभावनाएं, अवसर और नीतिगत संस्तुतियां’ शीर्षक से एक व्यापक नीति रिपोर्ट का विमोचन किया।
अन्य संबंधित जानकारी
- यह रिपोर्ट नीति आयोग और IIT मद्रास के नेतृत्व में ‘नॉलेज पार्टनर्स’ के कंसोर्टियम के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास का परिणाम है, जो ग्लोबल साउथ में अपनी तरह का पहला प्रकाशन है।
- रिपोर्ट, NEP 2020 के तहत परिकल्पित “देश के भीतर शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण” की अवधारणा पर विशेष बल देती है।
- देश के भीतर शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण (इंटरनेशनलाइज़ेशन एट होम – IaH) उन बहुसंख्यक भारतीय छात्रों को वैश्विक अनुभव और अंतर-सांस्कृतिक दक्षता प्रदान करने का एक रणनीतिक दृष्टिकोण है, जो विदेश नहीं जा पाते।
- यह वैश्विक, राष्ट्रीय और संस्थागत स्तरों पर अंतर्राष्ट्रीयकरण के दृष्टिकोणों के साथ-साथ पिछले 20 वर्षों में शैक्षणिक गतिशीलता की प्रवृत्तियों की भी समीक्षा करती है।
रिपोर्ट की प्रमुख विशेषताएँ
- यह रिपोर्ट व्यापक गुणात्मक और मात्रात्मक विश्लेषण पर आधारित है। इसमें 24 राज्यों के 160 भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों (HEI) से प्राप्त प्रतिक्रियाएँ शामिल हैं, जो 100 से अधिक प्रश्नों वाले एक विस्तृत सर्वेक्षण के माध्यम से एकत्र की गईं। साथ ही, इसमें आईआईटी मद्रास में आयोजित एक राष्ट्रीय कार्यशाला में 140 राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागियों से प्राप्त विचारों, अनुभवों और सुझावों को भी शामिल किया गया है।
- वैश्विक दृष्टिकोण प्राप्त करने के लिए 16 देशों के 30 अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के विशेषज्ञों के साथ की-इन्फॉर्मेंट इंटरव्यू किए गए।
- रिपोर्ट वर्ष 2030 तक केंद्रीय एवं राज्य विश्वविद्यालयों में कुल 1 लाख अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करने का लक्ष्य प्रस्तावित करती है।
- यह डॉक्टरेट और अनुसंधान कार्यक्रमों को मजबूत करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भूमिका पर प्रकाश डालती है।
- रिपोर्ट में कुल 22 नीतिगत अनुशंसाएँ तथा 76 कार्यान्वयन पथ (एक्शन पाथवे) प्रस्तावित किए गए हैं।
प्रमुख नीतिगत अनुशंसाएँ
- रणनीति: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के विजन के अनुरूप उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय रणनीति विकसित करना।
- पाठ्यक्रम एवं संस्कृति: एक पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित और क्षेत्रीय रूप से संतुलित नीतिगत दृष्टिकोण के माध्यम से भारत में वैश्विक उच्च शिक्षा केंद्रों को बढ़ावा देना।
- संचार एवं संपर्क: छात्रों, संकायों और संस्थानों की सुगम सीमा पार आवाजाही को सक्षम बनाने के लिए वीजा और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाना।
- विनियमन: प्रमुख विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में अपने कैंपस स्थापित करने के लिए आकर्षित करने हेतु नियामक ढांचे को सरल और डिजिटल बनाना।
- वित्त एवं ब्रांडिंग: दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भारतीय संस्थानों के भीतर ही एकीकृत और सह-स्थित अंतर्राष्ट्रीय कैम्पस को प्रोत्साहित करना।
उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण का महत्व:
- रिपोर्ट में अंतर्राष्ट्रीयकरण को भारत के लिए एक सॉफ्ट पावर टूल और एक आर्थिक अवसर, दोनों के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
- यह भारतीय विश्वविद्यालयों के भीतर पाठ्यक्रम की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है, विदेशी मुद्रा के बहिर्वाह को कम करने में सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, और अनुसंधान साझेदारी के लिए बेहतर अवसर प्रदान कर सकता है।
- रिपोर्ट छात्रों और संकाय की बेहतर गतिशीलता, अधिक अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग, और भारत में अंतर्राष्ट्रीय कैम्पस की स्थापना के साथ-साथ भारतीय सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों के विदेशी कैम्पसों की संभावनाओं की तलाश करती है।
- भारत एक ‘टैलेंट मैग्नेट’ बन सकता है और इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और प्रबंधन के अपने उच्च-गुणवत्ता वाले कार्यक्रमों के माध्यम से ग्लोबल साउथ के अधिक से अधिक छात्रों को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है।
