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सामान्य अध्ययन-2: भारत और उसके पड़ोसी संबंध।

संदर्भ: हाल ही में, भारत और नेपाल ने रेल-आधारित व्यापार मार्गों का विस्तार करने और मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से पारगमन संधि के प्रोटोकॉल में संशोधन करने हेतु एक लेटर ऑफ एक्सचेंज  (Letter of Exchange) पर हस्ताक्षर किए।

अन्य संबंधित जानकारी

  • यह लेटर ऑफ़ एक्सचेंज भारत के जोगबनी और नेपाल के विराटनगर के बीच रेल-आधारित माल ढुलाई का विस्तार करता है। इस रेल लाइन का निर्माण भारतीय अनुदान सहायता से किया गया था और जून 2023 में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त रूप से इसका उद्घाटन किया गया था।
  • यह लेटर ऑफ़ एक्सचेंज कोलकाता-जोगबनी, कोलकाता-नौतनवा (सुनौली) और विशाखापत्तनम-नौतनवा (सुनौली) जैसे प्रमुख पारगमन गलियारों पर माल ढुलाई का उदारीकरण करता है।
  • दोनों पक्षों ने एकीकृत चेक पोस्ट और रसद संबंधी बुनियादी ढांचे सहित चल रही कनेक्टिविटी परियोजनाओं की भी समीक्षा की।

भारत और नेपाल के बीच पारगमन संधि

  • भारत और नेपाल के बीच पहली पारगमन संधि पर 1960 में हस्ताक्षर किए गए थे। यह संधि मूल रूप से एक संयुक्त “व्यापार और पारगमन संधि” थी और नेपाल को इसके व्यापार के लिए पारगमन पहुँच प्रदान करने हेतु समय-समय पर इसका नवीनीकरण किया जाता रहा। 1978 में एक अन्य “पारगमन संधि” पर हस्ताक्षर किए गए।
  • इस संधि के तहत, अनुबंध करने वाले पक्ष अपने-अपने क्षेत्रों में पारस्परिक रूप से मान्य मार्गों के माध्यम से “पारगमन-यातायात” की स्वतंत्रता प्रदान करेंगे।
  • रैप (RAP – Rules of the Airport/Port) के तहत, जहाजों के ध्वज, उनके उत्पत्ति स्थान, प्रस्थान और प्रवेश के पोर्ट, निकास, गंतव्य, माल या स्वामित्व के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
  •  ट्रैफिक-इन-ट्रांज़िट’ का अर्थ है वस्तुओं, जिसमें बिना यात्री वाले सामान (Unaccompanied Baggage) भी शामिल हैं, का किसी अनुबंधकारी पक्ष (Contracting Party) के क्षेत्र से गुजरना, जब यह पारगमन उस पूरे सफर का एक हिस्सा हो जो दूसरे अनुबंधकारी पक्ष के क्षेत्र में शुरू होता है या समाप्त होता है।”

लेटर ऑफ़ एक्सचेंज का महत्त्व

  • इस समझौते से नेपाल के रेल-आधारित पारगमन विकल्प का विस्तार होगा और बीरगंज आईसीपी पर निर्भरता और भीड़भाड़ कम होगी।
    • उदाहरण: जो माल पहले केवल बीरगंज से होकर गुजरता था, उसे अब विराटनगर और नौतनवा से होकर भेजा जा सकता है, जिससे देरी की संभावना कम होगी।
  • विस्तारित रेल कनेक्टिविटी से नेपाल के तीसरे देश के साथ व्यापार करने के लिए रसद लागत और परिवहन में लगने वाले समय में कमी आएगी।
  • उदाहरण: कोलकाता या विशाखापत्तनम बंदरगाहों से आयातित माल अब जोगबनी-विराटनगर रेल कनेक्टिविटी के माध्यम से पूर्वी नेपाल तक तेजी से और कम लागत पर पहुँचाया जा सकता है।
  • यह संशोधन नेपाल की औद्योगिक और व्यापारिक क्षमता को बढ़ाएगा, क्योंकि इससे सभी प्रकार के माल (कंटेनरयुक्त और थोक) को रेल द्वारा ले जाने की अनुमति मिल जाएगी।
  • उदाहरण: जोगबनी-विराटनगर रेल लाइन के विस्तार से भारतीय बंदरगाहों से नेपाल के मोरंग जिले में सीमा शुल्क यार्ड तक सीधे कंटेनरयुक्त और थोक माल की आवाजाही संभव हो सकेगी।
  • यह संशोधन सीधे कोलकाता और विशाखापत्तनम बंदरगाहों तथा नेपाल के विराटनगर सीमा शुल्क स्टेशन के बीच माल के परिवहन की सुविधा प्रदान करता है।
  • इस कदम से क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ेगी और भारत-नेपाल आर्थिक एकीकरण मज़बूत होगा। कोलकाता-जोगबनी और कोलकाता-नौतनवा जैसे गलियारों के उदारीकरण से द्विपक्षीय व्यापार में सुगमता आएगी और नेपाल की वैश्विक बाज़ारों तक पहुँच बेहतर होगी।
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