हाल ही में, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने भारत की पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जिसे DRDO के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल परिसर, हैदराबाद और विभिन्न अन्य DRDO प्रयोगशालाओं और उद्योग भागीदारों द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।
- इसे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) द्वारा लॉन्च किया गया।
- यह मिसाइल विभिन्न सशस्त्र बलों का भार वहन करने के लिए डिज़ाइन की गई है और इसे भारतीय सशस्त्र बलों की सभी शाखाओं द्वारा उपयोग किया जा सकता है।
- DRDO ने पुष्टि की कि मिसाइल को कई प्रणालियों द्वारा ट्रैक किया गया और उड़ान डेटा ने सफल अंतिम क्रियावली को दिखाया, जिसमें लक्ष्य को अत्यधिक सटीकता के साथ मारा गया।
- उड़ान परीक्षण ने महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों का सत्यापन किया, जिसमें हाइपरसोनिक वायुगतिकीय डिज़ाइन, इग्निशन और सतत दहन के लिए स्क्रमजेट प्रोपल्शन, उच्च तापमान सामग्री प्रदर्शन और हाइपरसोनिक गति पर पृथक्करण तंत्र शामिल हैं।
- यह 1,500 किमी से अधिक की दूरी पर विभिन्न सशस्त्र बलों का भार वहन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
हाइपरसोनिक के बारे में:
- हाइपरसोनिक गति: यह गति, ध्वनि की गति से कम से कम पाँच गुना (Mach-5) होती है, जो लगभग एक मील प्रति सेकंड के बराबर होती है।
- मनोवरेबिलिटी (मोड़ने की क्षमता): हाइपरसोनिक मिसाइल उड़ान के दौरान अपनी दिशा बदल सकती हैं, जबकि बैलिस्टिक मिसाइल ऐसा नहीं कर सकतीं।
• ये मिसाइलें पारंपरिक और आणविक युद्धास्त्र दोनों को ले जा सकती हैं।
हाइपरसोनिक हथियारों के प्रकार:
- हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स (HGV): यह रॉकेट से लॉन्च होते हैं, फिर लक्ष्य की ओर ग्लाइड करते हैं।
- हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल्स (HCM): यह वायुगतिकीय इंजन (स्क्रमजेट) द्वारा संचालित होते हैं, जो लक्ष्य की पहचान के बाद काम करते हैं।
हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV)
- HSTDV एक बिना पायलट वाला विमान है जिसे हाइपरसोनिक उड़ान का प्रदर्शन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसकी गति Mach 6 (ध्वनि की छह गुना गति) और ऊंचाई 32.5 किमी होती है, जो 20 सेकंड में पूरी होती है।
- यह हाइपरसोनिक प्रणोदन प्रौद्योगिकियों पर आधारित है।
प्रमुख बिंदु:
- यह बाहरी और आंतरिक वातावरण दोनों में मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर सकता है।
- इसके नागरिक उपयोग भी हैं, जैसे ऊर्जा-कुशल, कम लागत वाला और पुन: उपयोग योग्य उपग्रह प्रक्षेपण यान और लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल।
- इस तकनीक को रखने वाले अन्य देशों में केवल अमेरिका, रूस और चीन शामिल हैं।