संदर्भ:
हाल ही में भारत ने रियाद डिजाइन कानून संधि (DLT) के निर्णायक अधिनियम पर हस्ताक्षर किया हैं। यह अधिनियम समावेशी विकास को बढ़ावा देने और अपने बौद्धिक संपदा (IP) ढाँचे को बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करेगा।
अन्य संबंधित जानकारी
- लगभग 20 वर्षों की वार्त्ता के बाद, विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) के सदस्य देशों ने DLT को अपनाया।
इस संधि का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर औद्योगिक डिजाइन संरक्षण प्रक्रियाओं को सुसंगत और सुव्यवस्थित बनाना है, जिससे विभिन्न उद्योगों, विशेषकर लघु और मध्यम उद्यमों (एसएमई) को लाभ होगा।
डिजाइन कानून संधि के मुख्य उद्देश्य
- प्रक्रियाओं का सामंजस्य: इस संधि का उद्देश्य औद्योगिक डिजाइन संरक्षण के लिए प्रक्रियात्मक ढाँचे को मानकीकृत करना है, जिससे विभिन्न देशों में डिजाइनों को पंजीकृत करना आसान और अधिक कुशल हो जाएगा।
- रचनात्मकता को बढ़ावा: इसका उद्देश्य प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाकर, पूरे विश्व में डिजाइन के क्षेत्र में रचनात्मकता और नवाचार को प्रोत्साहित करना है।
- डिजिटल परिवर्तन के लिए प्रोत्साहन: यह संधि अनुबंध में शामिल पक्षों को इलेक्ट्रॉनिक औद्योगिक डिजाइन प्रणालियों को लागू करने और प्राथमिकता वाले दस्तावेजों के इलेक्ट्रॉनिक आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग करके वैश्विक डिजाइन संरक्षण प्रक्रियाओं को और सरल बनाया जा सके।
- DLT में किए गए प्रमुख प्रावधान इसमें डिज़ाइन के आवेदकों के लिए अधिक अनुनेय समय सीमा का प्रावधान किया गया है।
- यह संधि उन अधिकारों को पुनः बहाल करने की अनुमति देती है, जो पहले समय-सीमा चूक जाने के कारण समाप्त हो गए थे।
- इसके अंतर्गत आवेदक आवश्यकता पड़ने पर प्राथमिकता दावों में सुधार कर सकते हैं या इसमें कुछ जोड़ सकते हैं।
- यह संधि डिजाइनों के कार्य (असाइनमेंट) और अनुज्ञप्तियों (लाइसेंसों) को दर्ज कराने हेतु आसान प्रक्रिया प्रस्तुत करती है।
डिजाइनर अब एक ही आवेदन में कई डिजाइन फाइल कर सकते हैं, जिससे समय और संसाधनों की बचत होगी।भारत के लिए DLT के अपेक्षित लाभ:
DLT पर हस्ताक्षर करके: –
- भारत वैश्विक डिजाइन संरक्षण में अपनी भूमिका को बढ़ाने के साथ-साथ अपने कानूनी और विनियामक ढाँचे को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बना रहा है।
- भारत यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय डिजाइनरों को अधिक सुलभ और बेहतर सुरक्षा व्यवस्था का लाभ प्राप्त हो।
यह संधि छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (SMEs), स्टार्टअप्स और स्वतंत्र डिजाइनरों के लिए डिजाइन संरक्षण तक पहुँच में सुधार लाने पर केंद्रित है। यह इस बात को सुनिश्चित करता है कि वे सुव्यवस्थित डिजाइन संरक्षण प्रणाली से लाभान्वित हों।
डिजाइन संरक्षण में भारत का परिदृश्य
- भारत ने पिछले दशक में डिजाइन संरक्षण के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य किया है, जिसके कारण इसका डिजाइन पंजीकरण तीन गुना बढ़ गया है।
- गत दो वर्षों में, डिजाइन संरक्षण के लिए घरेलू आवेदनों में 120% की वृद्धि हुई है, तथा केवल गत वर्ष में ही डिजाइन हेतु आवेदन करने वाले में 25% की वृद्धि हुई है।
- डिजाइन संरक्षण पर भारत के नीतिगत रूप से ध्यान देना देश के नवाचार और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण संचालक साबित हुआ है।
- पेटेंट, ट्रेडमार्क और औद्योगिक डिजाइन के मामले में, भारत विश्व में शीर्ष 10 देशों में शामिल है।
- शीर्ष 20 देशों में, भारत ने सबसे तीव्र वृद्धि दर्ज कीहै जो इस क्षेत्र में दोहरे अंकों की वृद्धि का लगातार पाँचवाँ वर्ष है।