संदर्भ:

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाइजीरिया (अफ्रीका) का दौरा किया।

अन्य संबंधित जानकारी

  • नाइजीरिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को  ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ नाइजर सम्मान प्रदान किया।
  • इस यात्रा के दौरान तीन समझौता ज्ञापनों यथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान, सीमा शुल्क सहयोग और सर्वेक्षण सहयोग पर हस्ताक्षर किए गए।
  • यह यात्रा रक्षा सहयोग, व्यापार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को विकसित करने में भारत की रुचि को रेखांकित करती है।

भारत-नाइजीरिया संबंधों के बारे में

(I) ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

  • 16वीं शताब्दी से भारत और नाइजीरिया के बीच व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान केक्षेत्र में  ऐतिहासिक संबंध रहे हैं।
  • स्वतंत्रता के बाद: दोनों देश 1940-50 के दशक में स्वतंत्र हुए थे; भारत के साथ उनके संबंध 1960 के दशक में उपनिवेशवाद से मुक्ति की प्रक्रिया में मजबूत हुए।
  • सांस्कृतिक एवं शैक्षिक आदान-प्रदान: भारत ने नाइजीरिया की स्वतंत्रता और स्वतंत्रता के बाद के विकास में सहायता की; शैक्षिक आदान-प्रदान शुरू हुआ और नाइजीरिया के कई लोग शिक्षा के लिए भारत आने लगे।
  • सामरिक सहयोग: दोनों देशों ने क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र और गुटनिरपेक्ष आंदोलन के माध्यम से सहयोग किया है।

(II) सामरिक और आर्थिक संबंध:

  • व्यापार साझेदारी: भारत नाइजीरिया का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार देश हैजिसका द्विपक्षीय व्यापार 7.9 बिलियन डॉलर है।
    • भारत और नाइजीरिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा वर्ष 2021-22 में 14.95 बिलियन डॉलर से घटकर वर्ष 2023-24 में 7.89 बिलियन डॉलर हो गई है।
  • भारत नाइजीरिया को फार्मास्यूटिकल्स, वस्त्र, मशीनरी और खाद्य उत्पादों का निर्यात करता है। भारत नाइजीरिया से कच्चे तेल का आयात करता है, लेकिन वहां उसकी कोई उर्धप्रवाह (upstream) परिसंपत्ति नहीं है।
  • नाईजीरिया में भारतीय कंपनियों की संख्या 150 से अधिक हो गई है, जिसका मूल्य 27 बिलियन डॉलर है। नाइजीरिया के विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में भारत महत्वपूर्ण भागीदार है।
  • नाइजीरिया में भारतीय प्रवासियों की संख्या लगभग 60,000 है और यह द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

(III) रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग:

  • भारत ने कई नाइजीरियाई अधिकारियों को रक्षा और आतंकवाद-रोधी क्षेत्रों में विभिन्न रक्षा प्रशिक्षण के अवसर प्रदान किए हैं।
  • बोको हरम विद्रोह, गिनी की खाड़ी में समुद्री डकैती और तेल चोरी के बारे में साझा सुरक्षा चिंताएं, सहयोग बढ़ाने के अवसर प्रदान करती हैं।
  • भारत संयुक्त अभ्यास, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और उपग्रह निगरानी तथा साइबर सुरक्षा सहित खुफिया जानकारी साझा करने के माध्यम से आतंकवाद का मुकाबला करने में सहायता कर सकता है।

(IV) आर्थिक सहयोग और विकास सहायता:

  • भारत ने नाइजीरिया को रियायती ऋण के साथ-साथ तकनीकी क्षेत्रों में क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से विकास सहायता (100 मिलियन डॉलर) प्रदान की है।
  • स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के विकास पर भी सहयोग इसके प्रमुख क्षेत्र रहे हैं।
  • भारत नाइजीरिया के आर्थिक परिवर्तन में सहायता करने तथा रोजगार सृजन को बढ़ाने के लिए सूचना प्रद्योगिकी, स्वास्थ्य देखभाल और कृषि विकास में नाइजीरिया के साथ सहयोग कर सकता है।

(V) व्यापार और निवेश संभावना:

  • व्यापार वृद्धि में हाल की गिरावट के बावजूद, फार्मास्यूटिकल्स, खाद्य पदार्थों और वस्त्र  आदि के निर्यात को बढ़ावा देने की अपार संभावना अभी भी बनी हुई है।
  • भारतीय  रुपया व्यापार व्यवस्था की संभावना पर विचार करेगा, जिससे नाइजीरियाई विदेशी मुद्रा की कमी दूर हो जाएगी और इस प्रकार व्यापार की मात्रा में वृद्धि होगी

भारत के लिए नाइजीरिया का महत्व:

  • नाइजीरिया अफ्रीका के साथ अपने जुड़ाव की आधारशिला के रूप में कार्य कर रहा है।
  • राजनीतिक दृष्टि से, नाइजीरिया अफ्रीका का सबसे अधिक आबादी वाला देश और सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, पश्चिम अफ्रीका में एक क्षेत्रीय स्तर पर अग्रणी देश है तथा अफ्रीकी संघ में एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।
  • “नाइजीरिया भारत की अफ्रीका रणनीति का मुख्य आधार है”, जो अफ्रीकी महाद्वीप में भारत की पहुंच को सुविधाजनक बनाने में इसकी भूमिका को दर्शाता है।
  • आर्थिक दृष्टि सेनाइजीरिया भारत के लिए एक महत्वपूर्ण ऊर्जा साझेदार है, जो भारत के 8% से अधिक कच्चे तेल के आयात की आपूर्ति करता है, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
  • नाइजीरिया की प्राकृतिक गैस क्षमता भारत की स्वच्छ ऊर्जा की बढ़ती मांग के अनुरूप है तथा दीर्घकालिक ऊर्जा सहयोग को बढ़ावा देती है।
  • नाइजीरिया संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की आकांक्षाओं का समर्थन करता है, जिससे वैश्विक दक्षिण एकजुटता मजबूत होती  है।

सामान्य चुनौतियाँ

  • आर्थिक: भारत और नाइजीरिया के बीच असंतुलन है। भारत नाइजीरिया से भारी मात्रा में कच्चा तेल आयात करता है, जबकि गैर-तेल उत्पादों के लिए नाइजीरिया की भारतीय बाजारों तक पहुंच सीमित है।
  • सुरक्षा संबंधी चिंताएं: नाइजीरिया में कार्यरत भारतीय व्यवसायों को कभी-कभी नाइजर डेल्टा में उग्रवाद, समुद्री डकैती और भ्रष्टाचार जैसे खतरों का सामना करना पड़ता है।
  • चीन का प्रभुत्व: नाइजीरिया सहित अफ्रीका में चीन से प्रतिस्पर्धा भारत के लिए भू-राजनीतिक चुनौती पेश करती है। जबकि नाइजीरिया के बुनियादी ढांचे और उद्योगों में चीन के महत्वपूर्ण निवेश प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्रदान करते हैं।
  • नौकरशाही विलंब : नाइजीरिया सहित अफ्रीका तक भारत की पहुंच अक्सर नौकरशाही  संबंधी देरी और अपर्याप्त अनुवर्ती कार्रवाई से ग्रस्त रहती है, जो गहन सहयोग में बाधा डालती है।

महत्वपूर्ण  पहलपूर्ण-अफ्रीकी ई-नेटवर्क परियोजना एक महत्वपूर्ण पहल हैजो भारतीय प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित टेलीमेडिसिन और ई-लर्निंग तक नाइजीरिया की पहुंच को बढ़ाती है।

  • भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC): भारत ने छात्रवृत्ति और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से क्षमता निर्माण में सहायता किया है। भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले नाइजीरिया के छात्र जन-जन के बीच आपसी संबंधों में योगदान करते हैं।

निष्कर्ष

दोनों देशों को वैश्विक दक्षिण एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग करना चाहिए। तेजी से विकसित हो रही विश्व व्यवस्था में एक सक्रिय और समावेशी दृष्टिकोण भारत-नाइजीरिया साझेदारी को मजबूत कर सकता है।

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