संदर्भ 

हाल ही में, भारत ने अपनी नवीकरणीय ऊर्जा यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इसने 200 गीगावाट क्षमता के आँकडे को पार कर लिया है।

अन्य संबंधित जानकारी   

  • केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार, कुल नवीनकरणीय ऊर्जा-आधारित विद्युत उत्पादन क्षमता अब 201.45 गीगावाट हो गई है, जो देश की कुल स्थापित ऊर्जा क्षमता का 46.3 प्रतिशत है। 
  • यह उपलब्धि भारत की अधिक धारणीय ऊर्जा भविष्य की ओर बढ़ने, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने तथा वैश्विक मंच पर स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में नेतृत्व करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

भारत का नवीकरणीय ऊर्जा परिदृश्य का अवलोकन 

भारत की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 452.69 गीगावाट तक पहुँच गई है,  जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा का योगदान समग्र बिजली मिश्रण में महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस महत्वपूर्ण आँकड़ों में विभिन्न नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन योगदान इस प्रकार हैं: सौर ऊर्जा 90.76 गीगावाट के साथ अग्रणी है, जो  भारत में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध सूर्य के प्रकाश के बेहतर इस्तेमाल को रेखांकित करती है।

  • पवन ऊर्जा 47.36 गीगावाट के साथ दूसरे स्थान पर है, जो तटीय और अंतर्देशीय गलियारों के इस्तेमाल को रेखांकित करती है।
  • जलविद्युत ऊर्जा का योगदान 51.99 गीगावाट है, जो भारत की नदियों और जल प्रणालियों से ऊर्जा का एक विश्वसनीय और सतत् स्रोत है।
  • बायोपावर, जिसमें बायोमास और बायोगैस शामिल हैं, कृषि अपशिष्ट का उपयोग करके ऊर्जा मिश्रण में 11.32 गीगावाट का योगदान देता है।

ये प्रयास कार्बन उत्सर्जन को कम करने और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने के साथ-साथ बेहतर भविष्य की ओर बढ़ने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। 

नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में अग्रणी राज्य

नवीकरणीय (अक्षय) ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले राज्य निम्नलिखित हैं:

  • राजस्थान 29.98 गीगावाट स्थापित नवीनकरणीय ऊर्जा क्षमता के साथ शीर्ष स्थान पर है। यह अपनी विशाल भूमि और प्रचुर सूर्य के प्रकाश का लाभ उठा रहा है।  
  • गुजरात 29.52 गीगावाट के साथ दूसरे स्थान पर है। यह उपलब्धि इसके मजबूत सौर और पवन परियोजनाओं के कारण संभव हो पाया है।
  • तमिलनाडु अपने अनुकूल पवन पैटर्न का लाभ उठाते हुए 23.70 गीगावाट के साथ तीसरे स्थान पर है। 
  • कर्नाटक 22.37 गीगावाट के साथ शीर्ष चार राज्यों में है। इसे सौर और पवन ऊर्जा पहलों के मिश्रण से समर्थन प्राप्त हुआ है। ये राज्य एक साथ मिलकर राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु सरकार द्वारा की गई पहल

भारत सरकार ने वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 500 गीगावाट के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने (UNFCCC COP-26 में प्रधानमंत्री द्वारा घोषित पंचामृत लक्ष्यों के तहत प्रमुख लक्ष्यों में से एक) के लिए नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में तेजी लाने के उद्देश्य से विभिन्न पहल शुरू की हैं।

  • कुछ प्रमुख योजनाएँ इस प्रकार हैं: राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन: इसका उद्देश्य भारत को हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात में वैश्विक अग्रणी बनाना है।
  • पीएम-कुसुम (प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान) योजना: इसका उद्देश्य भारत में किसानों के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ कुल स्थापित ऊर्जा क्षमता में गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों की हिस्सेदारी बढ़ाना है। 
  • प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना: इसका उद्देश्य सौर पैनलों की स्थापना को बढ़ावा देने के साथ-साथ पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता को कम करके घरों को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराना है।
  • सौर पीवी (फोटोवोल्टिक) मॉड्यूल के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजनाएँ: इसका उद्देश्य उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल की घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देना है।
  • हरित ऊर्जा गलियारा (जीईसी): इसका उद्देश्य सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों से उत्पादित विद्युत ऊर्जा को ग्रिड में पारंपरिक बिजली स्टेशनों के साथ समन्वयित करना है।

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा को आगे बढ़ाने हेतु अन्य प्रमुख पहलें   

  1. निवेश सुविधा (Investment Facilitation): केंद्र सरकार ने स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी है।
  2. ट्रांसमिशन शुल्क में छूट: केंद्र सरकार ने 30 जून, 2025 तक शुरू होने वाली सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं तथा दिसंबर, 2030 तक शुरू होने वाली हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं में अधिक निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन प्रणाली शुल्क में छूट देने की घोषणा की गई है।
  3. अल्ट्रा मेगा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क: व्यापक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए भूमि और ट्रांसमिशन उपलब्ध कराने के लिए स्थापित किए जा रहे हैं।
  4. मानक एवं लेबलिंग (S&L) कार्यक्रम: इसे सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल और ग्रिड से जुड़े सौर इनवर्टर के लिए शुरू किया गया हैं।
  5. ग्रीन टर्म अहेड मार्केट (GTAM): इसे एक्सचेंजों के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा की बिक्री को सुविधाजनक बनाने के लिए शुरू किया गया है। 

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