संदर्भ:
कपास और सिंथेटिक फाइबर उत्पादन में वैश्विक अग्रणी होने के बावजूद , भारत का वस्त्र और परिधान उद्योग वस्त्र निर्यात में पिछड़ रहा है ।
भारत के वस्त्र उद्योग की वर्तमान स्थिति
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- यह उद्योग देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 2%, औद्योगिक उत्पादन में 10% तथा भारत के समग्र निर्यात में 8.21% का योगदान देता है।
- भारत, कपास का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, जो चीन के बाद वैश्विक उत्पादन का 24% उत्पादन करता है।
- वैश्विक व्यापार में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 4.5% है , जिसमें भारत के वस्त्र और परिधान निर्यात में संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ का योगदान 47% है।
- भारत, वस्त्रों का छठा सबसे बड़ा निर्यातक है, जिसकी विश्व के वस्त्र निर्यात में 3.91% हिस्सेदारी है, जो 2023-24 में लगभग 35.87 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
- यह क्षेत्र देश में कृषि क्षेत्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार सृजनकर्ता है (45 मिलियन से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है)।
- वस्त्रमंत्रालय के अनुसार, भारत में मानव निर्मित फाइबर (MMF) की खपत प्रति व्यक्ति मात्र 3.1 किलोग्राम है, जबकि चीन में यह 12 किलोग्राम और उत्तरी अमेरिका में 22.5 किलोग्राम है।
भारत वस्त्र निर्यात में क्यों पीछे है?
भारत की विखंडित कपास आपूर्ति श्रृंखला कई राज्यों में फैली हुई है, जिससे रसद लागत बढ़ जाती है और बड़े पैमाने पर उत्पादन में बाधा उत्पन्न होती है।
- ऊर्ध्वाधर रूप से एकीकृत आपूर्ति श्रृंखलाएं वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों को कहीं अधिक प्रतिस्पर्धी कीमतों पर वस्त्र निर्माण की अनुमति देती हैं।
भारत के कपड़ा निर्यातक जटिल प्रक्रियाओं का सामना कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें निर्यात में उपयोग किए गए कपड़े, बटन और जिपर के हर वर्ग सेंटीमीटर का सटीक हिसाब रखना पड़ता है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, चीन और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धी देशों में ऊर्ध्वाधर रूप से एकीकृत ‘ फाइबर -टू-फ़ैशन’ फ़र्म कम लागत वाले उत्पादों का निर्यात करती हैं और निरंतर गुणवत्ता बनाए रखती हैं और उद्योग की तेजी से बदलती प्रकृति के साथ समायोजन करने के लिए पर्याप्त रूप से चुस्त हैं।
- प्रतिस्पर्धी राष्ट्रों को भी उपभोक्ता बाजारों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) से लाभ होता है।
MMF क्षेत्र में कच्चे माल की ऊंची लागत भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को और कम कर रही है।
- जनवरी में भारत में पॉलिएस्टर फाइबर चीन की तुलना में 33-36% महंगा था, जबकि विस्कोस फाइबर 14-16% अधिक महंगा था।
प्रमुख सरकारी योजनाएं/पहल:
पीएम मेगा एकीकृत वस्त्र क्षेत्र और परिधान (PM MITRA) पार्क : सरकार ने विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के साथ ग्रीनफील्ड/ब्राउनफील्ड स्थलों में 7 पीएम मित्र पार्कों की स्थापना को मंजूरी दी है।
- इन पार्कों में 2027-28 तक सात वर्षों की अवधि के लिए 4,445 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ प्लग-एंड-प्ले सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (NTTM): इसे भारत में वस्त्रउद्योग के समग्र विकास के लिए निम्नलिखित प्रमुख स्तंभों के साथ 2020-21 से 2025-26 की अवधि के लिए बनाया गया था:
- अनुसंधान नवाचार एवं विकास
- प्रचार एवं बाजार विकास
- शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशल
- निर्यात संवर्धन
भारत टेक्स 2024 और 2025: फरवरी 2024 में पहली बार वस्त्र निर्यात संवर्धन परिषदों के संघ द्वारा सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।
- फरवरी 2025 में आयोजित दूसरे संस्करण में, इसका लक्ष्य 2030 तक भारत के वस्त्रनिर्यात को 3 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 9 लाख करोड़ रुपये करना था।
समर्थ योजना: कपड़ा-संबंधी कौशल में 3 लाख व्यक्तियों को प्रशिक्षित करने के लिए 495 करोड़ रुपये के बजट के साथ इसे दो वर्षों (वित्त वर्ष 2024-25 और 2025-26) के लिए बढ़ा दिया गया है।
100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (स्वचालित मार्ग) की अनुमति है।
पांच वर्षों में MMF और तकनीकी वस्त्रों के लिए 10,683 करोड़ रुपये (1.44 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना।