संबंधित पाठ्यक्रम:

सामान्य अध्ययन 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

संदर्भ: 

43 कैंसर रजिस्ट्रियों के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि भारत में किसी भी समय जीवन भर में कैंसर होने का जोखिम लगभग 11% है। अनुमान है कि वर्ष 2024 में भारत में लगभग 15.6 लाख नए कैंसर के मामले दर्ज हुए, जबकि कैंसर से लगभग 8.74 लाख मौतें हुईं।

अन्य संबंधित जानकारी

  • भारत में वर्तमान में उपलब्ध 43 कैंसर रजिस्ट्रियां 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की केवल 10% से 18% आबादी को कवर करती हैं। नई रजिस्ट्रियां अब कश्मीर, प्रयागराज, तिरुवनंतपुरम जैसे क्षेत्रों में स्थापित की जा रही हैं, जिससे कवरेज में सुधार होने की संभावना है।
  • ये कैंसर रजिस्ट्रियां विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों में नए कैंसर के मामलों, मौतों और प्रवृत्तियों पर डेटा एकत्र करती हैं।
  • 2015-19 के रजिस्ट्री डेटा का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने कैंसर की घटनाओं की प्रमुख प्रवृत्तियों की पहचान की है जिनके महत्वपूर्ण नीतिगत निहितार्थ हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, जोखिम कारकों से बचकर और मौजूदा साक्ष्य-आधारित रोकथाम रणनीतियों को लागू करके वर्तमान में 30% से 50% कैंसर को रोका जा सकता है।

प्रमुख प्रवृत्तियां 

• लिंग-वार घटनाएँ: 

  • रजिस्ट्री में दर्ज कुल कैंसर मामलों में महिलाओं का अनुपात अधिक (51.1%) था, लेकिन उनकी मृत्यु दर कम (45%) थी।
  • इसका एक कारण यह है कि स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर, जो महिलाओं में 40% मामलों के लिए ज़िम्मेदार हैं, का जल्दी पता लगाना आसान होता है और इससे उनके बेहतर परिणाम भी मिलते हैं, जबकि पुरुषों में होने वाले कैंसर ( जैसे फेफड़े और गैस्ट्रिक कैंसर) का उपचार करना आम तौर पर कठिन होता है।

• मुँह के कैंसर की बढ़ती घटनाएं:

  • देश में मुँह के कैंसर के मामलों में वृद्धि हुई है। भारत में पुरुषों में मुँह के कैंसर का खतरा अब फेफड़ों के कैंसर ज्यादा हो गया है।
  • यह वृद्धि तंबाकू के उपयोग में आई गिरावट के बावजूद दर्ज की गयी है। ध्यातव्य है कि वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण के अनुसार, वयस्कों में तंबाकू सेवन की दर 34.6% (2009-10) से घटकर 28.6% (2016-17) हो गई है।
  • कैंसर संबंधी अध्ययनों से पता चला है कि तंबाकू जैसे कार्सिनोजेन्स (कैंसर कारक) के संपर्क में आने के बाद कैंसर विकसित होने में 20 वर्ष या उससे अधिक समय लग सकता है।
  • इस देरी के कारण, भले ही तंबाकू का उपयोग कम हुआ हो, फिर भी मुँह के कैंसर का खतरा बढ़ता जा रहा है।

• क्षेत्रीय विविधताएँ: 

  • कैंसर के मामले पूर्वोत्तर में सबसे अधिक थे, जहाँ महिलाओं में गर्भाशय-ग्रीवा, फेफड़े और मुँह का कैंसर जैसे मामले सबसे अधिक पाए गए। ये सभी मामले इसी क्षेत्र के विभिन्न राज्यों से दर्ज किए गए।
  • 43 रजिस्ट्री में पुरुषों (प्रति 100,000 पर 198.4) और महिलाओं (प्रति 100,000 पर 172.5)  में सबसे अधिक कैंसर के मामले आइजोल में पाए गए।
  • हेलिकोबैक्टर पाइलोरी, हेपेटाइटिस, साल्मोनेला टाइफी, ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) आदि जैसे संक्रमणों का प्रसार भी पूर्वोत्तर क्षेत्र में अधिक है। ये सभी कई कैंसर में कार्सिनोजेन्स के रूप में कार्य कर सकते हैं।
  • स्तन कैंसर के सबसे अधिक मामले हैदराबाद में (प्रति 100,000 जनसंख्या पर 54) पाए गए, जबकि गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के सबसे अधिक मामले आइजोल (27.1) में पाए गए।
  • पुरुषों में फेफड़े के कैंसर के सबसे अधिक मामले श्रीनगर (39.5) में और महिलाओं में आइजोल (33.7) में दर्ज किए गए।
  • पुरुषों में मुँह के कैंसर के मामले सबसे अधिक अहमदाबाद (33.6) और महिलाओं में पूर्वी खासी हिल्स (13.6) में पाए गए।
  • प्रोस्टेट कैंसर के मामले सबसे अधिक श्रीनगर (12.7) में दर्ज किए गए।

तथ्यों का महत्त्व

  • कैंसर रोगी देखभाल कार्यक्रमों की रुपरेखा तैयार करना: यह डेटा, केंद्र और राज्यों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्क्रीनिंग कार्यक्रमों और विशेष रूप से आयोजित शिविरों से लेकर तृतीयक केंद्रों में कैंसर के उपचार तक, अपने कैंसर देखभाल कार्यक्रमों की प्रभावी योजना बनाने में मदद कर सकता है।
  • भौगोलिक पैटर्न की पहचान: कैंसर मानचित्र विभिन्न स्थानों पर विभिन्न कैंसर की घटनाओं और मृत्यु दर को दर्शाते हैं, जिससे भौगोलिक हॉटस्पॉट और असामान्य पैटर्न वाले क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलती है।
  • स्वास्थ्य असमानताएं: ये तथ्य कैंसर स्क्रीनिंग, समय पर निदान और उपचार की गुणवत्ता तक पहुंच में असमानताओं को उजागर करते हैं क्योंकि ये अक्सर भूगोल, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचे पर निर्भर करते हैं।

भारत में कैंसर देखभाल कार्यक्रम

  • आयुष्मान भारत कार्यक्रम: आयुष्मान भारत एक प्रमुख स्वास्थ्य योजना है जो कैंसर उपचार सहित माध्यमिक और तृतीयक देखभाल हेतु अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का कैशलेस स्वास्थ्य बीमा प्रदान करती है।
  • राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड: राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड (NCG) भारत भर के कैंसर केंद्रों को एकजुट करता है ताकि एकसमान, उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल, मानकीकृत दिशानिर्देश, कुशल कार्यबल विकास और सहयोगात्मक अनुसंधान सुनिश्चित किया जा सके।
  • कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCDCS): 2010 में शुरू किया गए इस कार्यक्रम का उद्देश्य जागरूकता सृजन, जीवनशैली में बदलाव और शीघ्र निदान के माध्यम से इन गैर-संचारी रोगों (NCDs) की रोकथाम करना और उन्हें नियंत्रित करना है।

स्रोत:
Indian Express
Indian Express

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